PM इंटर्नशिप स्कीम में युवा नहीं दिखा रहे दिलचस्पी, सिर्फ 20 फीसदी ने ही स्वीकारा ऑफर, पता है क्यों?
PM Internship Scheme के तहत कंपनियों ने करीब 1.65 लाख इंटर्नशिप के ऑफर दिए थे. लेकिन सिर्फ 20 फीसदी लोगों ने ही ये ऑफर एक्सेप्ट किए. इसके पीछे की वजह भी पता चली है.

देश का युवा वर्ग, प्रधानमंत्री इंटर्नशिप स्कीम में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. आंकड़ों से ये पता चला है. ये आंकड़े केंद्र सरकार ने संसद पेश किए. बताया गया कि स्कीम के तहत कंपनियों ने करीब 1.65 लाख इंटर्नशिप के ऑफर दिए थे. लेकिन सिर्फ 20 फीसदी लोगों ने ही ये ऑफर एक्सेप्ट किए. यानी पांच में से सिर्फ एक ने. हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों ने ऑफर एक्सेप्ट भी किए, उनमें से 20 फीसदी लोगों ने इंटर्नशिप पूरी करने से पहले ही छोड़ दी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया कि PM इंटर्नशिप स्कीम के पायलट प्रोजेक्ट के तहत कंपनियों ने दो चरणों में 1.65 लाख ऑफर दिए, जिनमें से केवल 33,000 लोगों ने ये ऑफर एक्सेप्ट किए. इनमें से भी 6,618 इंटर्न समय से पहले ही चले गए.
PM इंटर्नशिप स्कीम (PMIS) का ऐलान केंद्रीय बजट 2024 में किया गया था, जिसका मकसद पांच सालों में भारत की टॉप 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के मौके देना है. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने अक्टूबर 2024 में इस योजना के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसका मकसद एक साल में 1.25 लाख इंटर्नशिप देना था. हालांकि, इस प्रोजेक्ट ने अपने टारगेट को तो पूरा कर लिया, लेकिन भारत में इसे लेने वाले बहुत कम हैं.
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वजह क्या है?कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने इसके पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए फीडबैक सर्वे आयोजित किए, आवेदकों से संपर्क किया और कंपनियों से फीडबैक लिया. मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि ‘इंटर्नशिप ऑफर एक्सेप्ट न करने और समय से पहले छोड़ने' के पीछे लोकेशन सबसे बड़ी वजह है. कैंडिडेट्स ने बताया कि उनकी और जिस कंपनी में वे इंटर्नशिप कर रहे हैं, उसके बीच की दूरी 5 किलोमीटर से लेकर 10 किलोमीटर के बीच है.
मंत्रालय ने यह भी बताया कि 12 महीने की इंटर्नशिप अवधि ज्यादा लंबी है और पाया कि कुछ कैंडिडेट्स को उन पदों में कोई रुचि नहीं थी, जो उन्हें इंटर्नशिप के दौरान दिया गया.
सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के लिए शुरुआत में 840 करोड़ रुपये का बजट रखा था, जिसे वित्त वर्ष 2024-25 में घटाकर 380 करोड़ रुपये कर दिया गया. जवाब में कहा गया है कि पायलट प्रोजेक्ट में अब तक 73.72 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.
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