The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • pegasus spyware whatsapp case us court finds nso group guilty of snooping

WhatsApp ने साबित किया पेगासस पर जासूसी का आरोप, इस फैसले के बाद बवाल अब थमेगा नहीं

Pegasus Spyware WhatsApp Case: पेगासस के ऊपर आरोप है कि पूरी दुनिया की सरकारों के लिए ये एक अचूक हथियार है. जिसका इस्तेमाल वो अपने विरोधियों की जासूसी करने के लिए करती है.

Advertisement
pegasus spyware whatsapp case us court finds nso group guilty of snooping
अमेरिकी अदालत का NSO ग्रुप पर बड़ा फैसला: पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी का दोषी करार. (फोटो-इंडिया टुडे )
pic
अभिनव कुमार झा
21 दिसंबर 2024 (Updated: 21 दिसंबर 2024, 05:48 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

अमेरिका के एक कोर्ट ने पहली बार इजराइल के NSO ग्रुप को दोषी करार दिया है. ये वही NSO ग्रुप है जो पेगासस सॉफ्टवेयर (NSO Pegasus Software US) बनाता है. अदालत ने NSO ग्रुप के सॉफ्टवेयर पेगासस को क़रीब 1400 व्हाट्सएप यूजर्स के डिवाइसेज को शिकार बनाने का दोषी पाया है. और उसे कंप्यूटर फ़्रॉड एंड एब्यूज एक्ट (CFAA) का उल्लंघन करने का दोषी पाया है. CFAA साइबर सिक्योरिटी से जुड़ा अमेरिका का एक सरकारी क़ानून है. 

कोर्ट ने ये फैसला व्हाट्सऐप बनाम NSO ग्रुप के केस की सुनवाई के दौरान सुनाया. ये फैसला जज फिलिस हैमिल्टन ने सुनाया. इन 1400 यूजर्स में सीनियर सरकारी अधिकारी, पत्रकार, मानव अधिकार आयोग से जुड़े कार्यकर्ता, डिप्लोमैट्स और राजनीतिक विरोधी शामिल हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक़, इस सॉफ्टवेयर से भारत के भी कुछ लोगों को निशाना बनाए जाने का आरोप है. इनमें कई पत्रकार, राजनेता, केंद्रीय मंत्रियों और सिविल सोसाइटी के लोगों के नाम शामिल हैं.

ये भी पढ़ें - दिन में 9 बार बलात्कार, थ्रीसम के लिए पैरेंट्स ने अपनी बेटियों का किया यौन शोषण, हर कोई सन्न रह गया

साल 2021 में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने NSO ग्रुप को ब्लैकलिस्ट किया था. और सभी सरकारी विभागों को ये आदेश दिया था कि वो इस कंपनी से जुड़े किसी प्रोडक्ट को नहीं खरीदेंगे. पेगासस के ऊपर आरोप है कि दुनियाभर की सरकारों के लिए ये एक अचूक हथियार है. जिसका इस्तेमाल वो अपने विरोधियों की जासूसी करने के लिए करती है.   
साल 2021 में ऐसी ख़बर आई थी कि पेगासस का इस्तेमाल 300 से अधिक भारतीय मोबाइल नंबर्स में किया गया है. इसमें नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्री भी शामिल थे. और जिनके फ़ोन में पेगासस डाला गया, उनमें विपक्ष के तीन नेता, एक संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारी, कई पत्रकार और बिजनेस से जुड़े लोग शामिल थे. इस ख़बर के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया.

NSO ग्रुप ने अपनी तरफ से जारी बयान में कई बार कहा कि वो सिर्फ़ सरकार और सरकारी एजेंसी के साथ ही पेगासस सॉफ्टवेयर की डील करता है. हालांकि, व्हाट्सऐप बनाम NSO ग्रुप के केस में ये खुलासा हुआ है कि पेगासस सॉफ्टवेयर के इंस्टालेशन में NSO कंपनी की भूमिका काफ़ी बड़ी है. NSO ग्रुप कई सालों से इस बात को झुठलाता रहा है. उसका कहना है कि इंस्टालेशन में उसकी भूमिका बहुत मामूली है. व्हाट्सऐप ने इस NSO ग्रुप के इन दावों को ग़लत साबित किया है. कोर्ट में व्हाट्सऐप ने सबूत पेश कर NSO ग्रुप के दावों को झूठा साबित किया.

भारत में 2021 में आई मीडिया रिपोर्ट के आने के बाद केंद्र सरकार ने सभी आरोपों का खंडन किया था. और उन्होंने पेगासस के मदद जासूसी करने के आरोपों को बेबुनियाद बताया. आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा कि इन मीडिया रिपोर्ट्स में कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि भारत का निगरानी क़ानून ये सुनिश्चित करता है कि किसी भी तरह का ग़ैरक़ानूनी सर्विलांस कभी नहीं किया जाए. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में ये आरोप लगा कि अश्विनी वैष्णव ख़ुद उनलोगों में हैं जिनके मोबाइल में पेगासस डाला गया है. उस वक़्त NSO ग्रुप ने सभी आरोपों को ख़ारिज किया था.

इन्हीं आरोपों के बीच पेगासस विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट टेक्नीशियन की कमिटी को इस मामले की जांच सौंपी. अगस्त 2022 में कमिटी की रिपोर्ट आई कि उन्हें ऐसा कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिला है जिससे ये साबित हो सके कि पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल जासूसी करने के लिए किया गया हो. लेकिन, साथ में कमिटी ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हें जांच में कोई सहयोग नहीं किया. इस कमिटी की रिपोर्ट अभी तक सार्वजानिक नहीं की गई है. इसे गुप्त रखा गया है.

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आर वी रवीन्द्रन जो इस कमिटी को सुपरवाइज़ कर रहे थे. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दी गई है. ऐसे में इसपर कोई कॉमेंट करना सही नहीं होगा.

केंद्र की राजनीति के अलावा पेगासस का मुद्दा दो राज्यों में भी खूब गरमाया. ये थे पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश. 2021 में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए आयोग गठित किया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस आयोग की जांच पर रोक लगा दी. ममता बनर्जी  ने बाद में ये भी दावा किया कि पश्चिम बंगाल की सरकार को NSO ग्रुप ने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदने का ऑफर दिया था. NSO ग्रुप ने उन्हें ये सॉफ्टवेयर पश्चिम बंगाल की पुलिस के इस्तेमाल के लिए देने का प्रस्ताव दिया था. और इसके लिए उस वक़्त 25 करोड़ रूपये मांगे थे.

वहीं आंध्र प्रदेश में भी पेगासस YSRCP और TDP के बीच राजननीतिक कलह का मुद्दा बना. 2022 में आंध्र प्रदेश की YSRCP सरकार ने भी ममता बनर्जी के बयान के बाद पेगासस की जांच करने के लिए आयोग गठित किया था. इस कमिटी का काम ये जांच करना था कि क्या पिछली TDP पार्टी की सरकार ने भी पेगासस का इस्तेमाल किया है?

YSRCP ने उस वक़्त ये आरोप लगाया था कि TDP सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने पेगासस सॉफ्टवेयर ख़रीदा. और उसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों के जासूसी करने के लिए किया जिसमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की जासूसी भी शामिल थी. जब 2024 में आंध्र प्रदेश में दोबारा TDP की सत्ता आई, तो फिर यही आरोप दूसरी तरफ से लगाया गया.

इस बार एन चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस को इस बात की जांच करने लिए कहा कि क्या वाई एस जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल करके उनका और उनके बेटे (एन लोकेश नायडू) के फ़ोन टैप किए थे? लोकेश नायडू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया वो और उनके पिता एन चंद्रबाबू नायडू को दो  अलग अलग मौकों पर पेगासस सॉफ्टवेयर ने टारगेट किया था. उन्हें इसकी चेतावनी एप्पल कंपनी की तरफ से दी गई थी. उन्होंने कहा “पहली बार मुझे तब टारगेट किया गया जब मैं मार्च, 2023 में युवा गलम यात्रा (Yuva Galam Yatra) कर रहा था. और दूसरी बार, जब मैं अप्रैल 2024 में चुनावी प्रचार कर रहा था.”

वीडियो: पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ का 2018 में जस्टिस एसके यादव के खिलाफ लिखा खत वायरल हो गया!

Advertisement