पंजाब में 136 कॉलेजों के स्टाफ को 6 महीने से नहीं मिली सैलरी, टीचर बोले- सड़क पर होगा आंदोलन
PCCTU के अधिकारियों का कहना है कि सैलरी बिल 19 अगस्त को सरकार के ट्रेजरी ऑफिस में जमा किया गया था. लेकिन तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद अब तक उसे मंजूरी नहीं मिली.

पंजाब में शिक्षकों के एक संगठन ने दावा किया है कि पंजाब के सरकारी कॉलजों में टीचर्स और स्टाफ को सैलरी नहीं दी जा रही है. पंजाब सरकार की ओर से फंड किए जाने वाले करीब 136 ऐसे कॉलेज हैं, जहां के स्टाफ को सैलरी नहीं मिली है. सैलरी मिले हुए करीब 6 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. शिक्षकों के संगठन का कहना है कि पंजाब सरकार ने अनौपचारिक रूप से ‘फाइनेंशियल इमरजेंसी’ घोषित कर दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और चंडीगढ़ कॉलेज शिक्षक संघ (PCCTU) ने यह मुद्दा उठाया है. PCCTU के लुधियाना जिला अध्यक्ष डॉ. चमकौर सिंह का कहना है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली सरकार ने अनौपचारिक वित्तीय इमरजेंसी लागू कर दी है. पंजाब के 136 सहायता प्राप्त कॉलेजों के कर्मचारियों को पिछले 6 महीनों से सैलरी नहीं मिली है. बिना सैलरी के काम करने वाले कर्मचारियों में माली, सफाई कर्मचारी, नॉन-टीचिंग और टीचिंग स्टाफ शामिल हैं.
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चमकौर सिंह ने बताया कि सैलरी बिल 19 अगस्त को ट्रेजरी ऑफिस में जमा किया गया था. लेकिन तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद अब तक उसे मंजूरी नहीं मिली. यूनियन के प्रतिनिधि वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, फाइनेंस सेक्रेटरी, एजुकेशन सेक्रेटरी और ट्रेजरी सेक्रेटरी जैसे कई अधिकारियों से मिल चुके हैं. हर बार उन्हें भरोसा दिया जाता है, लेकिन अब तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.
PCCTU के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी डॉ. सुंदर ने बताया कि आप सरकार शिक्षा में क्रांति लाने के बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन हकीकत दावों से बिल्कुल इतर है. जो सरकार सिर्फ 76 करोड़ रुपये (छह महीने से पेंडिंग) के सैलरी बिल मंजूर नहीं कर पा रही है, वह शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे कैसे कर सकती है. पंजाब का खजाना पूरी तरह से खाली है और वित्तीय इमरजेंसी शुरू हो गई है. PCCTU ने एलान किया कि अब वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे.
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