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जैसलमेर के रेगिस्तान में प्यास से मारे गए पाकिस्तानी हिंदू कपल के घर छोड़ने की वजह पता चली

Rajasthan के Jaisalmer में चरवाहों को रेत के टीले पर दो शव दिखे थे. सूचना मिलने पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी. दोनों शवों के पास पाकिस्तान के ID कार्ड मिले हैं.

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शांति बाई (बाएं) और रवि कुमार (दाएं), दोनों के शव जैसलमेर में पाकिस्तान सीमा के पास मिले. (India Today)
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मौ. जिशान
2 जुलाई 2025 (Published: 05:53 PM IST) कॉमेंट्स
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हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर जिले के रेगिस्तान में दो पाकिस्तानी हिंदू कपल के शव मिले थे. मृतकों की पहचान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के एक गांव में रहने वाले 17 साल के रवि कुमार और 15 साल की शांति बाई के रूप में हुई है. दोनों पति-पत्नी थे और कथित तौर पर भारत में शरण लेने की कोशिश में अवैध तरीके से बॉर्डर पार करके आए थे.

जैसलमेर पुलिस को 28 जून को जानकारी मिली थी कि गज सिंह कुएं के पास दो शव हैं, जिन्हें चरवाहों ने देखा था. पुलिस को मृतकों के पास से पाकिस्तान के राष्ट्रीय पहचान पत्र (शनाख्ती कार्ड) मिले, जिससे उनकी पहचान हुई.

जैसलमेर के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) सुधीर चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शवों का पोस्टमार्टम करने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया. उन्होंने बताया कि शव इतने सड़ चुके थे कि लोगों की सेहत के लिए खतरा पैदा हो सकता था.

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मृतक कपल के पाकिस्तानी ID कार्ड. (India Today)

इस मामले में पुलिस ने जैसलमेर में सब्जी बेचने वाले मेवा राम को पूछताछ के लिए बुलाया. मेवा राम खुद पाकिस्तानी हिंदू हैं. वो 2015 में शरण लेने के लिए पाकिस्तान के सिंध से भारत आए थे. मेवा राम ने बताया कि वो मृतका शांति बाई के गांव के 'जमाई' (दामाद) हैं. उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस के कहने पर उन्होंने पाकिस्तान में रवि कुमार के परिवार से संपर्क किया और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी.

मेवा राम के मुताबिक, रवि कुमार सिंध के घोटकी जिले के मीरपुर माथेलो गांव का रहने वाला था. करीब डेढ़ साल पहले रवि और शांति की शादी हुई थी. रवि का अपने पिता से झगड़ा हो गया था, जिसके बाद वो घर छोड़कर चला गया.

रवि ने अपने परिवार को बताया था कि वो पत्नी के मायके के गांव गुलाम हुसैन जा रहे हैं और कुछ दिनों में लौटेंगे. 21 जून को कपल घर से निकल गया और फोन स्विच ऑफ कर दिया. उनके गांव से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर लगभग 50 किलोमीटर दूर है. इसके बाद परिवार ने 22 जून को पाकिस्तान में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

मेवा राम ने यह भी बताया कि दोनों ने भारत के वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन एक साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद मंजूरी नहीं मिली. बताया जा रहा है कि वे पैदल सीमा पार कर भारत में प्रवेश कर गए, लेकिन भीषण गर्मी और पानी की कमी के कारण रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

हिंदू पाकिस्तानी विस्थापित संघ और बॉर्डर पीपल्स ऑर्गनाइजेशन के जिला संयोजक दिलीप सिंह सोढ़ा ने कहा कि यह घटना सरकार की वीजा प्रक्रिया में देरी और शरणार्थियों की अनदेखी का नतीजा है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद वीजा मंजूरी को लेकर असमंजस की स्थिति और बढ़ गई है.

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