खराब AQI से होती है फेफड़ों की बीमारी? सरकार ने कहा- 'कोई ठोस डेटा नहीं है'
ये बयान गुरुवार, 18 दिसंबर को भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी के सवाल के जवाब में दिया गया. बाजपेयी ने पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक AQI में लंबे समय तक संपर्क से फेफड़ों में फाइब्रोसिस जैसी बीमारियां हो रही हैं, जिनमें फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है.

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच केंद्र सरकार ने संसद में एक बड़ा बयान दिया है. पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा कि AQI और फेफड़ों की बीमारियों के बीच कोई ठोस या निर्णायक डेटा उपलब्ध नहीं है, जो इनके बीच सीधा संबंध स्थापित कर सके. हालांकि, कई डॉक्टरों ने सरकार के इस बयान से नाइत्तेफाकी जाहिर की है.
सरकार का ये बयान गुरुवार, 18 दिसंबर को भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी के सवाल के जवाब में दिया गया. बाजपेयी ने पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक AQI में लंबे समय तक संपर्क से फेफड़ों में फाइब्रोसिस जैसी बीमारियां हो रही हैं, जिनमें फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है. साथ ही, उन्होंने पूछा था कि क्या दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों के फेफड़ों का लचीलापन (इलास्टिसिटी) अच्छे AQI वाले शहरों के लोगों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो गया है.
सांसद ने आगे जानना चाहा कि क्या सरकार के पास दिल्ली-एनसीआर के लाखों निवासियों को पल्मोनरी फाइब्रोसिस, सीओपीडी, एम्फिसीमा, कम होती फेफड़ों की कार्यक्षमता और लगातार गिरती इलास्टिसिटी जैसी घातक बीमारियों से बचाने का कोई समाधान है.
मंत्री के जवाब में इन दावों पर कोई पुष्टि नहीं की गई, और कहा गया कि इसके संबंध के लिए कोई ठोस रिसर्च या डेटा नहीं है. हालांकि, सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदमों का जिक्र किया. मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने जवाब में बताया,
“वायु प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों और उनसे जुड़े रोगों को ट्रिगर करने वाला एक प्रमुख कारक है. हालांकि, अभी तक कोई ठोस डेटा उपलब्ध नहीं है जो AQI लेवल और फेफड़ों की बीमारियों के बीच सीधा संबंध स्थापित करता हो.”

मंत्री ने ये भी बताया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की स्थापना की है. इसका उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान करना है. आयोग को एक्ट के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विभिन्न एजेंसियों को एयर क्वालिटी में सुधार के लिए उपाय करने तथा निर्देश जारी करने की पावर दी गई है.
डॉक्टर ने सरकार के दावों पर क्या बोला?इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में मणिपाल हॉस्पिटल भुवनेश्वर के क्रिटिकल केयर डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी डॉक्टर सरत कुमार बेहरा ने सरकार के इस दावे को क्लिनिकल रियलिटी से पूरी तरह कटा हुआ बताया. साथ ही उन्होंने मेडिकल एविडेंस की खतरनाक व्याख्या करने के खिलाफ चेतावनी दी. उन्होंने बताया,
“जब AQI गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है और दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में अस्थमा अटैक, COPD के केस में बढ़ोतरी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ के मामलों में तेजी आ जाती है. यही पैटर्न खुद क्लिनिकल एविडेंस है. मेडिसिन जिंदगी की हकीकत से अलग थोड़े चलती है. अगर प्रदूषण का फेफड़ों की सेहत पर कोई असर नहीं होता, तो हर सर्दी में इमरजेंसी रूम इतने क्यों भरे होते?”
डॉक्टर बेहरा ने दशकों की इंटरनेशनल रिसर्च की ओर इशारा करते हुए कहा कि छोटे कणों, विशेष रूप से PM2.5 से होने वाले नुकसान को पहले ही विस्तार से मैप किया जा चुका है. उन्होंने कहा,
“ग्लोबल रिसर्च बहुत स्पष्ट है. PM2.5 के कण इतने छोटे होते हैं कि शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को चकमा देकर फेफड़ों में गहराई तक पहुंच जाते हैं, सूजन पैदा करते हैं, हवा से जुड़ी बीमारियों को बढ़ाते हैं और यहां तक कि ब्लड स्ट्रीम्स में भी प्रवेश कर जाते हैं.”
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के फेफड़े दुनिया के बाकी हिस्सों के लोगों से बायोलॉजिकली अलग नहीं हैं.
सरकार ने और क्या बताया?सरकार ने बताया कि CAQM प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल कर रहा है. आयोग ने अब तक इलाके में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए 95 वैधानिक निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों को लागू करने के लिए भी मॉनिटरिंग मैकेनिज्म स्थापित किया गया है.
सरकार के मुताबिक CAQM ने एनसीआर में प्रदूषण करने वाली गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय मानकों की तुलना में काफी सख्त मानक लागू किए हैं. इन निर्देशों की सख्ती से निगरानी की जाती है, और समय-समय पर इनकी प्रगति की समीक्षा की जाती है. साथ ही आगे के आदेश और निर्देश जारी किए जाते हैं.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: दिल्ली वायु प्रदूषण कम करने का बीजिंग मॉडल सरकार को क्यों नहीं दिखता?

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