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मुंबई धमाके का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलटा, 12 आरोपियों को बरी करने के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील पर नोटिस जारी किया है. इस केस में हाई कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था.

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Bombay HC
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
24 जुलाई 2025 (Updated: 24 जुलाई 2025, 12:27 PM IST) कॉमेंट्स
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मुंबई ब्लास्ट केस (Mumbai Blast Case) के आरोपियों को बरी करने वाले बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंतरिम रोक लगा दी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि बरी किए गए लोगों को वापस जेल नहीं भेजा जाएगा. बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट ने ब्लास्ट के 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पेश हुए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की बेंच से कहा कि वे आरोपियों को फिर से जेल भेजने का आदेश नहीं मांग रहे हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए. उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट के फैसले में कुछ टिप्पणियां ऐसी हैं जो MCOCA (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून) के तहत चल रहे दूसरे मामलों को भी प्रभावित कर सकती हैं. 

सुप्रीम कोर्ट से उन्होंने आग्रह किया,

आप बस इतना कहने पर विचार कर सकते हैं कि यह फैसला रोका जाता है. हालांकि, दोषियों को वापस जेल भेजने की जरूरत नहीं है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

हमें बताया गया है कि सभी दोषी जेल से रिहा हो चुके हैं, इसलिए उन्हें दोबारा जेल भेजने का कोई सवाल नहीं है. लेकिन सॉलिसिटर जनरल की दलीलों को ध्यान में रखते हुए हम ये कह रहे हैं कि हाई कोर्ट का जो फैसला है, उसे कानूनी मिसाल (precedent) की तरह नहीं माना जाएगा. इस हद तक उस फैसले पर रोक लगाई जाती है.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया था बरी

बता दें कि 21 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने MCOCA की विशेष अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें 5 आरोपियों को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा दी गई थी. इन सभी को 11 जुलाई 2006 को मुंबई की वेस्टर्न रेलवे लोकल लाइन में बम धमाके करने का दोषी ठहराया गया था.

मुंबई ब्लास्ट केस क्या है?

साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 बम धमाके हुए थे. इन धमाकों में कुल 189 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए थे. मामले पर फैसला देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की पीठ ने कहा था कि पुलिस (प्रॉसीक्यूशन) आरोपियों पर दोष साबित नहीं कर पाई. 

मामले की जांच महाराष्ट्र की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने की थी.

केस में जिन 5 लोगों को बम लगाने का दोषी बताया गया था, उनके नाम कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अता-उर-रहमान शेख, एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवेद हुसैन खान और आसिफ खान हैं. निचली अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. 

बाकी जिन 7 लोगों को दोषी ठहराया गया था, उनमें तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मर्गूब अंसारी, मुज़म्मिल अता-उर-रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और जमीर अहमद लती-उर-रहमान शेख शामिल हैं.  कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

वीडियो: कोर्ट की सुनवाई के दौरान बीयर पीने वाले वकील के केस में क्या हुआ?

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