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मां नहीं रखना चाहती थी तो दूसरी महिला साथ ले गई, HIV पॉजिटिव होने पर अकेली रह गई बच्ची

बच्ची को जन्म देने वाली मां उसको साथ नहीं रखना चाहती थी. कारण, उसका पति नशे का आदी है. वहीं, दूसरी महिला किसी पचड़े में पड़े बिना बच्चे को गोद लेना चाहती थी. इसलिए उन्होंने एक डील की थी. लेकिन अब दोनों ग़ायब हैं.

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Mumbai 4 month-old baby lost both 'mothers' after being diagnosed HIV
हिंदू महिला ने मुस्लिम महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल करके बच्चे को जन्म दिया. (प्रतीकात्मक तस्वीर - इंडिया टुडे)
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हरीश
2 मार्च 2025 (Updated: 2 मार्च 2025, 04:07 PM IST) कॉमेंट्स
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एक चार महीने की बच्ची किसी की संतान नहीं रही. क्योंकि HIV पॉजिटिव आने के बाद, उसे हिंदू और मुस्लिम, दोनों महिलाओं ने छोड़ दिया है. मामला मुंबई का है. दरअसल, एक हिंदू महिला छह महीने से गर्भवती थी. लेकिन वो बच्चा लेना नहीं चाहती थी. कारण, उसका पति नशे का आदी है. ऐसे में मुस्लिम महिला ने बच्चे को गोद लेने की पेशकश की. 

मुस्लिम महिला बच्ची को गोद लेने की लंबी क़ानूनी प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहती थी. दरअसल, जब वो मुस्लिम महिला दूसरी बार गर्भवती हुई थी, तो उसका गर्भपात हो गया था. इसके बाद वो ख़ुद के लिए एक और बच्चा चाहती थी. इसलिए उसने उस हिंदू महिला से बात की. हिंदू महिला ने मुस्लिम महिला से ये पक्का आश्वासन लिया कि वो बच्चे को गोद लेगी.

पूरा मामला

पुलिस ने बताया है कि दोनों महिलाएं एक ही मोहल्ले की रहने वाली हैं. अक्टूबर, 2024 में हिंदू महिला ने बच्ची को जन्म दिया. इस दौरान, उसने मुस्लिम महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था. ऐसे में जब उस बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र बना, तो मुस्लिम महिला को उसकी मां बताया गया. अस्पताल से छुट्टी मिलने के पांच दिन बाद, मुस्लिम महिला बच्चे को घर ले गई.

लेकिन जनवरी, 2025 में वाडिया अस्पताल में बच्ची की अपेंडिसाइटिस सर्जरी हुई. इस दौरान जांच हुई, तो बच्ची को HIV पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद, मुस्लिम महिला को HIV टेस्ट के लिए ले जाया गया. हालांकि, उसका HIV टेस्ट पॉजिटिव नहीं था. लेकिन आरोप है कि बच्ची के HIV संक्रमित होने की जानकारी मिलने पर, मुस्लिम महिला ने बच्ची को स्वीकार करने से मना कर दिया.

इसके बाद उसने अस्पताल के कर्मचारियों को बताया कि वो बच्ची को कैसे लेकर आई है और वहां से चली गई. फिर अस्पताल के कर्मचारियों ने मुंबई में महिला और बाल कल्याण विभाग के स्थानीय सखी केंद्र को मामले की ख़बर दी. 21 फ़रवरी को स्थानीय सखी केंद्र की तरफ़ से ठाणे जिला बाल संरक्षण हेल्पलाइन को मामले की विस्तृत जानकारी दी गई. इसे लेकर एक ईमेल भेजा गया.

फिलहाल बाल संरक्षण समिति के कर्मचारी मुस्लिम महिला का पता नहीं लगा पाए हैं. लेकिन उसे जन्म देने वाली महिला का मोबाइल नंबर हासिल करने में सफल रहे हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर बताती है कि 28 फ़रवरी को ठाणे के मानपाड़ा पुलिस स्टेशन में जीरो FIR दर्ज की गई है. मामले को आगे की जांच के लिए मुंबई के भोईवाड़ा थाने में ट्रांसफ़र कर दिया गया है.

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ठाणे जिला बाल संरक्षण समिति के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया,

लोगों को गोद लेने के नियमों का पालन करना चाहिए. महिला एवं बाल कल्याण विभाग के हस्तक्षेप से गोद लेने की जटिलताओं को भी कम करने की ज़रूरत है. ये मामला गर्भवती महिलाओं की आइडेंटिटी चेकिंग के बारे में सवाल उठाता है, जो डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पतालों में भर्ती होती हैं.

बच्ची को फिलहाल कलवा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दोनों महिलाओं के ख़िलाफ़ ज़ीरो FIR दर्ज की गई है. अवैध रूप से बच्चे को छोड़ने या स्वीकार करने, बेचने या खरीदने के लिए और भारतीय न्याय संहिता के तहत सामान्य इरादे से धोखाधड़ी करने के लिए. राज्य के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने जुविनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) एक्ट, 2015 के तहत.

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