'क्या किसी दरबार से शरीयत...', जावेद अख्तर से बहस करने वाले मुफ्ती शमाइल नदवी के बयान पर क्यों हुआ बवाल?
Mufti Shamail Nadwi मुख्य रूप से सेक्युलर व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे और लोगों से यह भी पूछ रहे थे कि क्या शरीयत के खिलाफ किसी आदेश को माना जा सकता है. जवाब में लोग कहते हैं, “नहीं”. उनके इस बयान की आलोचना हो रही है. कुछ लोगों ने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है.

मुफ्ती शमाइल नदवी, जो हाल ही में जावेद अख्तर के साथ Does God Exist की बहस से चर्चा में आए थे, अब उनके एक बयान को लेकर विवाद हो रहा है. उनका कहना था कि अगर फलां दरबार से शरीयत के खिलाफ कोई आदेश आएगा तो क्या तुम उसे मान लोगे. यहां पर फलां दरबार का मतलब सरकारी आदेश से निकाला जा रहा है. मुफ्ती शमाइल नदवी के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसके बाद कुछ लोग उनके इस बयान की आलोचना कर रहे हैं. लोगों ने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है.
जानकारी के मुताबिक मुफ़्ती शमाइल ने इस्लामिक यूथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के कार्यक्रम में यह बात कही थी. यह कार्यक्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में हुआ था. उन्होंने कहा था,
'याद रखें, अगर हम चाहते हैं कि हमारे मौजूदा हालात सही हो जाएं तो हालात का हल किसी सियासी पार्टी के पास नहीं है. हालात का हल इताअत-ए-दीन में है. हालात का हल, इक़ामत-ए -दीन में है. हालात का हल, इत्तेबा-ए-सुन्नत-नबवी में है. याद रखें, इस मुल्क में हमारा अप्रोच गलत रहा. हमने गलत अप्रोच इख़्तियार किया. हम यह कहते-फिरते रहे हमारा वतन, हमारे दीन से ज्यादा मुकद्दस है, हमने यह एतिराफ़ किया कि सेक्युलर निज़ाम हमारे निज़ाम से ज्यादा मुकद्दस है. हम कुफ्रिया अल्फाज कहते रहे. हम ऐसे अलफ़ाज़ और जुमले अपनी जुबां से निकालते रहे कि, फ़लां दरबार से जो फैसला हो जायेगा हम उसे ख़ामोशी से तस्लीम कर लेंगे. क्या फ़लां दरबार से शरीयत के खिलाफ हुक्म दे तो क्या तुम तस्लीम करोगे?'
यहां नदवी मुख्य रूप से सेक्युलर व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे और लोगों से यह भी पूछ रहे थे कि क्या शरीयत के खिलाफ किसी आदेश को माना जा सकता है. जवाब में लोग कहते हैं, “नहीं”. हालांकि नदवी के इस बयान की आलोचना भी हो रही है. मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया नाम के संगठन के चेयरमैन शुजात अली कादरी ने कहा कि मौलाना नदवी का यह बयान भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा,
भारत का मुसलमान न तो हिन्दू राष्ट्र का समर्थक है और न ही वहाबी शरीयत के नाम पर किसी धार्मिक शासन का. हमारा रास्ता संविधान, लोकतंत्र और समान नागरिक अधिकार हैं. ऐसे बयान अनुच्छेद 14, 15, 19 व 25 की भावना के खिलाफ हैं और BNS धारा 196 एवं 197 के तहत दंडनीय हैं.
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला ने भी शमाइल नदवी के बयान पर सवाल उठाया और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. उन्होंने शुजात अली कादरी की पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा,
बिल्कुल सही बात. इस मौलाना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. संविधान के ऊपर कुछ नहीं है.

बताते चलें कि नदवी के भाषण का यह वीडिओ IYF के यूट्यूब चैनल पर 'Challenges Facing Indian Muslims & Their Solutions' नाम के टाइटल के साथ पोस्ट किया गया है. पूरा वीडियो 45 मिनट के करीब का है. इस वीडियो को 20 दिसंबर को पोस्ट किया गया था. और अब इस हिस्से का क्लिप लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.
कौन हैं शमाइल नदवी?कोलकाता में जन्मे मुफ्ती शमाइल नदवी का पूरा नाम मुफ्ती शमाइल अहमद अब्दुल्लाह नदवी है. वे एक भारतीय इस्लामिक स्कॉलर हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नदवी एक धार्मिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जहां बचपन से ही कुरान और हदीस की शिक्षा का माहौल रहा. उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय मदरसों में हुई, जिसके बाद उन्होंने लखनऊ के प्रसिद्ध इस्लामी संस्थान दारुल उलूम नदवतुल उलमा से ग्रेजुएशन किया. उनकी लिंक्डइन बायो के मुताबिक यहां उन्होंने इस्लामिक स्टडीज की पढ़ाई की. इसके बाद तफ्सीर, उलूमुल कुरान और इफ्ता (फतवा देने की ट्रेनिंग) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया.
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मुफ्ती शमाइल नदवी मलेशिया की इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी (IIUM) से ‘Islamic Revealed Knowledge and Human Sciences’ में Phd भी कर रहे हैं. उनकी Phd सितंबर 2028 में पूरी होगी. दारुल उलूम नदवतुल उलमा से नदवी ने Islamic Jurisprudence में MPhil भी किया हुआ है. लिंक्डइन बायो के अनुसार नदवी मरकज अल-वह्यैन के फाइंडर हैं. ये एक ऑनलाइन इस्लामिक संस्थान है, जिसकी स्थापना 2021 में हुई थी. मरकज की खासियत ये है कि यहां शिक्षा मुफ्त या बहुत कम फीस पर उपलब्ध है, और लाखों छात्र इससे जुड़े हुए हैं. मुफ्ती शमाइल खुद यहां मुख्य शिक्षक हैं.
वीडियो: मुफ्ती शमायल नदवी का नया वीडियो आया सामने, अपने बयानों को लेकर एक बार फिर चर्चा में

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