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शमी से और गुजारा भत्ता लेने हसीन जहां सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, बेंच ने पूछा- '4 लाख महीना काफी नहीं?'

याचिका में शमी की पत्नी ने बताया कि हाई कोर्ट ने नियमोें के तय मानकों को इग्नोर किया है. कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल उन्हें 4 लाख रुपये हर महीने मिल रहे हैं. हसीन जहां ने इसे 'नाकाफी' बताया है.

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Mohammed Shami wife moves Supreme Court for ₹10 lakh monthly maintenance
शमी की पत्नी की तरफ से पैरवी सीनियर एडवोकेट शोभा गुप्ता, एडवोकेट दीपक प्रकाश, श्रीराम पराक्कट और दिव्यांगना मलिक ने की. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
7 नवंबर 2025 (Published: 05:50 PM IST)
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भारतीय क्रिकेट टीम के पेसर मोहम्मद शमी और उनकी पत्नी हसीन जहां के बीच चल रहा कानूनी विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है. हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शमी से मिलने वाले मेंटेनेंस को बढ़ाने की मांग की है. कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल उन्हें 4 लाख रुपये मिल रहे हैं. हसीन जहां ने इसे 'नाकाफी' बताया है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक हसीन जहां की अपील पर सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने की. बेंच ने शमी और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. हालांकि याचिकाकर्ता से ये भी पूछा,

“क्या हाई कोर्ट द्वारा तय 4 लाख रुपये का मासिक गुजारा भत्ता पर्याप्त नहीं है?”

मामले में शमी की पत्नी की तरफ से पैरवी सीनियर एडवोकेट शोभा गुप्ता, एडवोकेट दीपक प्रकाश, श्रीराम पराक्कट और दिव्यांगना मलिक ने की.

शमी ने अप्रैल 2014 में हसीन जहां से शादी की थी. जुलाई 2015 में उनकी एक बेटी हुई. ये हसीन की दूसरी शादी थी, पहली शादी से उनके दो बेटियां हैं. 2018 में हसीन जहां ने क्रिकेटर पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया. इसके बाद उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई. फिर उन्होंने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (PWDV) एक्ट के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अर्जी दी. इसमें अंतरिम गुजारा भत्ता मांगा गया. हसीन जहां ने खुद के लिए 7 लाख रुपये महीना और बेटी के लिए 3 लाख रुपये महीना गुजारा भत्ता मांगा था.

हाई कोर्ट ने 4 लाख रुपये तय किए

इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने शमी को 1 लाख 30 हजार रुपये महीना मेंटेनेंस देने का ऑर्डर दिया था. इसे हाई कोर्ट ने जुलाई 2025 में बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया था.

अब हसीन जहां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं. और 10 लाख रुपये प्रति माह की डिमांड रखी है. याचिका में शमी की पत्नी ने बताया कि हाई कोर्ट ने नियमोें के तय मानकों को इग्नोर किया है. इसके तहत मेंटेनेंस पति की इनकम और शादी के दौरान पत्नी के लाइफस्टाइल के हिसाब से होना चाहिए. याचिका में बताया गया,

"याचिकाकर्ता यहां मानसिक और शारीरिक क्रूरता की पीड़ित है. रेस्पॉन्डेंट नंबर 2 (शमी) शीर्ष दर्जे के नेशनल क्रिकेटर हैं और उनकी आया काफी ज्यादा है. उनकी नेटवर्थ 500 करोड़ से ज्यादा है. दोनों के बीच वित्तीय असमानता है. शमी के पास पत्नी और बेटी को उचित जीवन शैली प्रदान करने के सभी साधन हैं. इसके बावजूद वो जानबूझकर और चतुराई से ऐसा करने में ‘विफल’ रहे हैं. ताकि याचिकाकर्ता और नाबालिग बेटी को भरण-पोषण करने के अपने वैध दायित्व से बच सकें."

जहां ने ये भी कहा है कि उनकी बेटी भी बाकी टॉप क्रिकेटर्स के बच्चों की तरह ही पढ़ाई और लाइफस्टाइल की हकदार है. अर्जी में लिखा है कि शमी तो अमीर और पैसों वाले इंसान हैं, जो हाई-क्लास जिंदगी जी रहे हैं. उन्होंने ये भी बताया कि वो पढ़ी-लिखी हैं, मगर अभी कमा नहीं रही हैं. नाबालिग बेटी की परवरिश की सारी जिम्मेदारी अकेले उनके कंधों पर है.

वीडियो: मोहम्मद शमी की पत्नी ने कोर्ट के सामने मुस्लिम समुदाय में तलाक पर क्या कहा

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