'लोग मैनेजर बनने के लिए आत्मा बेच देते हैं', टॉक्सिक वर्क कल्चर पर कर्मचारी की पोस्ट वायरल
कर्मचारी ने चैट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि यह मेरी समस्या कैसे है कि आपके पास मेरे काम को रिप्लेस वाला कोई और नहीं है? क्या मैनेजर भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं, सिर्फ नतीजे देने वाली मशीनें नहीं.

टॉक्सिक वर्क कल्चर (Toxic Work Culture) एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर बात तो बहुत होती है, खूब लंबे-लंबे भाषण दिए जाते हैं. लेकिन इस पर अमल करने की बात आती है तो लगभग हर कंपनी या संस्थान को सांप सूंघ जाता है. वर्क कल्चर की हालत ऐसी है कि आप वेंटिलेटर पर हों, तो भी आपसे काम करवाया जा सकता है. बशर्ते आप बस टाइप करने की हालत में हों. ऐसे ही एक कर्मचारी की रेडिट पोस्ट वायरल है. इसमें कर्मचारी ने अपनी कंपनी के मैनेजर के साथ वॉट्सऐप चैट शेयर की है. इस चैट के सामने आने के बाद एक बार फिर ये सवाल खड़ा हुआ है कि क्या वाकई लोग ‘मैनेजर बनने के लिए अपनी आत्मा बेच दे रहे हैं’?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर IndianWorkplace नाम का एक फोरम है. यहां वर्कप्लेस और कर्मचारियों के साथ हो रहे गलत और अनैतिक बर्ताव पर लोग अपने एक्सपीरिएंस शेयर करते रहते हैं. इसी फोरम पर पर ‘क्या भारतीय मैनेजर बनने के लिए आपको अपनी आत्मा बेचनी पड़ती है?’ शीर्षक से पोस्ट करते हुए कर्मचारी ने लिखा कि वे दो साल से एक एजेंसी में काम कर रहे हैं. उनके अनुसार, लोगोंं के जॉब रोल में लगातार फेरबदल, अपने कार्यक्षेत्र से बाहर की जिम्मेदारियां संभालने और ‘पैसों की कमी’ का हवाला देकर निकाले गए सहकर्मियों का काम संभालने के बावजूद, उन्होंने कभी शिकायत नहीं की. क्योंकि उन्हें अपना काम और टीम वाकई में पसंद थी.
कर्मचारी ने रेडिट पर अपने मैनेजर से चैट का एक स्क्रीनशॉट शेयर की है. इस स्क्रीनशॉट में, उसने एक दिन सुबह-सुबह अपने मैनेजर को मैसेज भेजा,
गुडमॉर्निंग सर, मेरे नाना का कल रात निधन हो गया, लिहाजा आज ऑफिस नहीं आ पाऊंगा.
मैनेजर ने पहले तो संवेदना जताई. उसने रिप्लाई में लिखा,
यह सुनकर बहुत दुख हुआ. आज छुट्टी ले लो.
लेकिन इसके तुरंत बाद मैनेजर का एक और मैसेज आया,
लेकिन आज हम कुछ क्लाइंट्स को शामिल कर रहे हैं. क्या तुम इंडक्शन कॉल पर रुक सकते हो?
कुछ ही मिनट बाद में एक और मैसेज आया
वॉट्सऐप पर भी एक्टिव रहो और जरूरत पड़ने पर डिजाइनरों से कॉन्टैक्ट करो.
कर्मचारी ने इस चैट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि यह मेरी समस्या कैसे है कि आपके पास मेरे काम को रिप्लेस वाला कोई और नहीं है? क्या मैनेजर भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं, सिर्फ नतीजे देने वाली मशीनें नहीं. कर्मचारी ने लिखा कि मैं अब जवाब देने की भी जहमत नहीं उठाऊंगा.
सोशल मीडिया पर फूटा लोगों का गुस्सासोशल मीडिया यूजर्स ने मैनेजर के इस व्यवहार को बेरहम बताते हुए नाराजगी जताई और कहा कि भारत के वर्कप्लेस में यह एक गहरी समस्या है. एक यूजर ने लिखा,
मुझे आपके नुकसान के लिए बहुत दुख है. इस समय, बस दूसरी नौकरी ढूंढिए, और इस्तीफा देते समय, स्क्रीनशॉट लगाइए और सीईओ को मार्क कीजिए.
एक और यूजर के कॉमेंट ने तो जैसे सभी की भावनाओं को व्यक्त किया और कहा कि छुट्टी ले लो कहने के बाद कभी भी 'लेकिन' नहीं लगाना चाहिए. उन्होंने यह भी लिखा कि एजेंसियों और कॉर्पोरेट ऑफिस में ऐसे अनुभव कितने आम हैं. कर्मचारियों से पर्सनल समस्या या नुकसान के दौरान भी काम को प्राथमिकता देने की अपेक्षा की जाती है.
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इस पूरे वाकये को देखकर समझ आता है कि कंपनियों में होने वाले मेंटल हेल्थ सेशंस में ‘नकली मुस्कान’ और मेंटल हेल्थ पर एचआर की सारी पॉलिसी का जनाजा निकल चुका है. कंपनियां दिखावे के लिए या अच्छा बनने के लिए इस चीज का हल्ला तो मचाती हैं, लेकिन इसका पालन शायद ही हो पाता है. एक कहावत है न कि ‘सब चाहते हैं कि भगत सिंह पैदा हों, लेकिन उनके नहीं पड़ोसी के घर में हो.’
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