'पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट करा के आओ', हॉस्टल की छात्राओं को छुट्टी से लौटने पर मिला फरमान
Pregnancy Test in Pune Hostel: छात्राओं का कहना है कि अगर वह यह टेस्ट नहीं कराती हैं तो उन्हें हॉस्टल में घुसने नहीं दिया जाता. उन्होंने इसे शर्मनाक बताया है. कहा है कि सभी लड़कियों को छुट्टियों से वापस आने के बाद टेस्ट कराना होता है. कुछ छात्राओं का कहना है कि इसकी वजह से वह मानसिक तनाव से गुजर रही हैं.

महाराष्ट्र के पुणे में एक सरकारी हॉस्टल में छात्राओं के घर से लौटने के बाद उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जाता है. कई छात्राओं ने हॉस्टल मैनेजमेंट पर यह आरोप लगाया है. यह हॉस्टल महाराष्ट्र के आदिवासी विकास विभाग की ओर से चलाया जाता है. हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि प्रेग्नेंसी टेस्ट का कोई नियम नहीं है और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार पुणे जिले के एक सरकारी आदिवासी हॉस्टल में कई छात्राओं ने आरोप लगाया है कि जब वह घर से वापस लौटती हैं तो उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जाता है. इसके लिए उन्हें एक किट दिया जाता है. इसे लेकर सरकारी अस्पताल जाना होता है. अस्पताल में उनका टेस्ट होता है. फिर डॉक्टर से प्रेग्नेंसी की निगेटिव रिपोर्ट मिलने के बाद कॉलेज में फॉर्म जमा करना होता है. इसके बाद ही उन्हें हॉस्टल में प्रवेश दिया जाता है.
छात्राओं ने कहा- शर्मनाक हैएक छात्रा ने बीबीसी को बताया कि अगर वह यह टेस्ट नहीं कराती हैं तो उन्हें हॉस्टल में घुसने नहीं दिया जाता. छात्राओं ने इसे शर्मनाक बताया है. कहा है कि सभी लड़कियों को छुट्टियों से वापस आने के बाद टेस्ट कराना होता है. छात्राओं ने बताया कि वह कई बार टेस्ट करा चुकी हैं. छात्राओं ने यह भी कहा कि इसकी वजह से वह मानसिक तनाव से भी गुजर रही हैं. उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है और लोग उन्हें शक की नजरों से देखते हैं कि जब वह शादीशुदा नहीं हैं तो उनका टेस्ट क्यों कराया जा रहा है.
इसके अलावा पुणे के एक आश्रम स्कूल से भी इसी प्रकार की शिकायत मिली है. रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र के दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों की शिक्षा के लिए आदिवासी विकास विभाग की ओर से आश्रम स्कूल चलाए जाते हैं. साथ ही उच्च स्तर की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल भी विभाग की ओर से खोले गए हैं. लेकिन इनमें से कई हॉस्टलों में छात्राओं के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना अनिवार्य है.
पैरेंट्स उठाते हैं खर्चकुछ अभिभावकों ने बताया कि छात्राओं को एक किट दी जाती है, जिसके जरिए पेशाब की जांच की जाती है. वह पॉजिटिव या निगेटिव जैसा भी आता है, फॉर्म में वह लिख दिया जाता है. अभिभावकों का कहना है कि टेस्ट का खर्चा भी उन्हें ही उठाना पड़ता है. और हर टेस्ट में 150-200 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. वहीं इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र की आदिवासी विकास कमिश्नर लीना बंसोड़ का कहना है कि आदिवासी विकास विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा कोई टेस्ट नहीं किया जाना चाहिए. इससे पहले सितंबर 2025 में भी पुणे के एक हॉस्टल में प्रेग्नेंसी टेस्ट कराए जाने की बात सामने आई थी. राज्य महिला आयोग ने इस पर संज्ञान लिया था और इसे रोकने का निर्देश दिया था.
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