The Lallantop
Advertisement

हिंदी को लेकर महाराष्ट्र में भी विवाद, स्टेट पैनल ने फडणवीस को चिट्टी लिखकर नाराज़गी जताई

Maharashtra Language Raw: भाषा विवाद को लेकर विपक्षी दलों ने आरोप लगाए हैं कि राज्य पर हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश की जा रही है. Supriya Sule ने कहा कि ये स्टेट बोर्ड को खत्म करने की साजिश है.

Advertisement
Devendra Fadnavis
फडणवीस सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है. (फाइल फोटो: PTI)
pic
रवि सुमन
20 अप्रैल 2025 (Published: 06:10 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत एक बड़ा फैसला लिया. राज्य में स्टेट बोर्ड के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से मराठी और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया. ये NEP की थ्री लैंग्वेज पॉलिसी (Maharashtra Three Language Debate) के तहत हुआ. 20 अप्रैल को राज्य की भाषा परामर्श समिति ने सर्वसम्मति से इस फैसले का विरोध किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पैनल के प्रमुख लक्ष्मीकांत देशमुख ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है. सीएम से इस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है. स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT), महाराष्ट्र के निदेशक राहुल अशोक रेखावर ने कहा है कि स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने 16 अप्रैल को ये फैसला लिया था. 17 अप्रैल को इसकी घोषणा की गई.

रेखावार ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया,

महाराष्ट्र सरकार की ओर से स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक फैसला लिया है. स्टेट बोर्ड के सभी स्कूलों में कक्षा 1 से हिंदी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया है. निश्चित रूप से इससे छात्रों को लाभ मिलेगा.

विपक्षी दलों ने भी विरोध किया

पिछले दिनों विपक्षी दलों ने भी इस फैसले का विरोध किया था. इसके बाद सीएम फडणवीस ने ANI से कहा, 

महाराष्ट्र में मराठी भाषा अनिवार्य है. सभी को इसे सीखना चाहिए. इसके अलावा, यदि आप दूसरी भाषाएं सीखना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं. हिंदी का विरोध और अंग्रेजी को बढ़ावा देना आश्चर्यजनक है. अगर कोई मराठी का विरोध करता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

भाषा विवाद को लेकर विपक्षी दलों ने आरोप लगाए हैं कि राज्य पर हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश की जा रही है. NCP (SP) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, 

भाषा के मुद्दे पर चर्चा करने से पहले, हमें राज्य में बेसिक एजुकेशन के बुनियादी ढांचे के बारे में बात करनी चाहिए. स्टेट बोर्ड को सीबीएसई से बदलने की कोई जरूरत नहीं है.

उन्होंने एक अन्य बयान में कहा,

मराठी महाराष्ट्र की आत्मा है और मराठी ही नंबर एक पर रहेगी. फडणवीस सरकार ने हड़बड़ी में फैसला लिया. ये हड़बड़ी क्यों कर रहे हैं? मुझे लगता है कि ये स्टेट बोर्ड को खत्म करने की साजिश है.

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र में भी 'भाषा युद्ध' का मैदान तैयार, स्कूलों में हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा बनी

"हिंदी का दबाव क्यों?"

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, 

अगर आप हमें प्यार से कहेंगे तो हम सब कुछ करेंगे, लेकिन अगर आप कुछ भी थोपेंगे तो हम उसका विरोध करेंगे. हिंदी सीखने के लिए ये दबाव क्यों?

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने भी इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार लोगों पर भाषा न थोपे. उन्होंने कहा है कि हिंदी को वैकल्पिक भाषा के तौर पर रखा जा सकता है लेकिन इसे थोपा नहीं जा सकता.

वीडियो: महाराष्ट्र: औरंगजेब विवाद को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस का बयान, कब्र हटाने को तैयार लेकिन...

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement