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'सांसद, विधायक आएं तो खड़े हो जाओ, अदब से पेश आओ', महाराष्ट्र सरकार का अधिकारियों को फरमान

Maharashtra Government Circular: सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कोई अधिकारी नए प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता है, या फिर काम में देरी या लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज रूल्स 2005 के कानून के तहत कार्रवाई होगी.

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Maharashtra government circular to officials Stand up when MPs and MLAs arrive read details
महाराष्ट्र सरकार ने सभी अधिकारियों के लिए सर्कुलर जारी किया है. (Photo: ITG/File)
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सचिन कुमार पांडे
21 नवंबर 2025 (Published: 12:39 PM IST)
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महाराष्ट्र में अब सभी अधिकारियों को सांसद या विधायकों के ऑफिस में आने पर खड़े होकर स्वागत करना होगा. वहीं जब मीटिंग के बाद वह जाएं तो अधिकारियों को फिर खड़े होना होगा. इसके अलावा फोन पर भी सांसदों और विधायकों के साथ बात करने पर विनम्रता रखनी होगी. यह फरमान महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया है. सरकार ने कहा है कि मंत्रालय से लेकर जिला और तालुका तक, हर लेवल के अधिकारियों को जन प्रतिनिधियों के साथ पूरी तहजीब और अदब दिखानी चाहिए.

महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने गुरुवार, 20 नवंबर को इसे लेकर एक सर्कुलर जारी किया. सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कोई अधिकारी नए प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता है, या फिर काम में देरी या लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज रूल्स 2005 के कानून के तहत कार्रवाई होगी.

लेटर का दो महीने में देना होगा जवाब

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार राज्य सरकार ने सर्कुलर में कहा है कि अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के लेटर का दो महीने के अंदर जवाब देना होगा. साथ ही उनके पत्रों का रिकॉर्ड रखने के लिए फिजिकल या फिर डिजिटल रजिस्टर बनाना होगा. सर्कुलर में कहा गया है कि अगर अधिकारी तय समय पर लेटर का जवाब नहीं देते हैं तो उन्हें विभाग के प्रमुख या फिर संबंधित MP, MLA को लिखित में इसका कारण बताना होगा. वहीं विभागों के प्रमुखों को कहा गया है कि वे हर तीन महीने में पेंडिंग लेटर्स के स्टेटस का रिव्यू करें.

'सांसद-विधायक से मिलने का समय तय हो'

साथ ही कहा गया है कि किसी भी सरकारी उद्घाटन या शिलान्यास के कार्यक्रम में सभी जनप्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए. इनमें केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर, पार्षद से लेकर नगर परिषद अध्यक्ष और सरपंच को भी बुलाना चाहिए. इसके अलावा सभी जगहों पर संबंधित जनप्रतिनिधियों के नाम सही ढंग से प्रिंट होने चाहिए. साथ ही जनप्रतिनिधियों के बैठने की व्यवस्था प्रोटोकॉल के हिसाब से होना चाहिए. 

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इसके अलावा और भी कई हिदायतें सर्कुलर में अधिकारियों को दी गई हैं. इनके मुताबिक-

  • हर महीने के पहले और तीसरे गुरुवार को क्षेत्र और जिला प्रमुखों को दो घंटे सांसद और विधायक से मिलने के लिए तय करने होंगे.
  • बैठक का शेड्यूल पहले से जारी करना होगा और सभी जनप्रतिनिधियों को बताया होगा.
  • MPs या MLAs द्वारा उठाए गए जरूरी मुद्दों पर किसी भी समय काम के घंटों में सुनवाई की जाए.
  • जब विधानसभा या संसद का सत्र चल रहा हो, तब बड़े सरकारी कार्यक्रम न रखें.
  • अगर जरूरी हो, तो ऐसे दिन रखें जब सदन की बैठक न हो.
  • सभी विभागों को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के निर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है.
  • नोटिस मिलने पर तुरंत कार्रवाई करने और समिति को जानकारी देने के लिए कहा गया है.
  • विशेषाधिकार का उल्लंघन होने पर तुरंत रिपोर्ट करने और संबंधित अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश सर्कुलर में दिए गए हैं.

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