कर्ज में फंसे किसान की किडनी किसने निकाली? इन डॉक्टरों के नाम सामने आए
Kidney Transplant: जांच में पता चला कि किडनी खरीदने वालों से करीब 50 से 80 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूली जाती थी. इस रैकेट में तमिलनाडु और दिल्ली के डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं.

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में एक किसान ने कर्ज चुकाने के लिए अपनी किडनी बेच दी थी. जांच में पता चला कि यह इकलौता मामला नहीं, बल्कि इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट का बड़ा गिरोह है. पुलिस ने इस रैकेट का भंडा फोड़ दिया है, जिसके तार भारत से लेकर कंबोडिया तक जुड़े हैं.
इंडिया टुडे से जुड़े विकास राजूरकर कि रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की जानकारी चंद्रपुर जिले के SP सुदर्शन मुमक्का ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी. उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच के दौरान भारत में केवल 20 से 30 किडनी बेचे जाने की सूचना मिली थी. लेकिन आगे की जांच में चंद्रपुर पुलिस ने एक बड़े इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश करते हुए भारत में फैले इसके नेटवर्क का खुलासा किया.
यह मामला इस महीने दिसंबर में सामने आया था, जब महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के नागभीड तहसील के एक 36 वर्षीय किसान रोशन सदाशिव कुडे ने इसकी शिकायत की थी. रोशन ने गांव के साहूकारों से ब्याज पर कर्ज लिया था, जिसे चुकाने के लिए उन्होंने अलग-अलग साहूकारों से और कर्ज ले लिया था. आरोप है कि साहूकार ब्याज की रकम बढ़ाते चले गए, जिससे उन्हें अपनी किडनी तक बेचनी पड़ गई थी. इस मामले में ब्रह्मपुरी थाना में महाराष्ट्र सावकारी (नियमन) अधिनियम 2014 समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया.
वहीं, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक SIT का गठन किया गया था. जांच में सामने आया कि शिकायतकर्ता का मामला गैरकानूनी किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़ा हुआ है. इसलिए मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 की धाराएं 18 और 19 भी जोड़ दी गईं. इस मामले में अब तक कुल 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कंबोडिया गया था. जांच में पता चला कि कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू और हिमांशु भारद्वाज नाम के दो अन्य लोग भी इस अपराध में शामिल हैं. इन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है. आरोपी हिमांशु भारद्वाज ने अपना अपराध कबूल कर लिया है. आरोप है कि अवैध किडनी ट्रांसप्लांट तमिलनाडु के त्रिची स्थित स्टॉर किम्स हॉस्पिटल में किया गया. इसमें कथित तौर पर अस्पताल के संचालक डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी और दिल्ली के डॉ. रविंद्र पाल सिंह भी शामिल थे.
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शुरुआती जांच में पता चला कि किडनी खरीदने वालों से करीब 50 से 80 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूली जाती थी. रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. रविंद्र पाल सिंह को 10 लाख रुपये, डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी को सर्जरी और अस्पताल सुविधाओं के लिए 20 लाख रुपये दिए जाते थे. वहीं, कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू व अन्य एजेंटों को लगभग 20 लाख रुपये तक दिए जाते थे. जबकि, किडनी डोनेट करने वाले व्यक्ति को केवल 5 से 8 लाख रुपये मिलते थे.
लोकल क्राइम ब्रांच (LCB) चंद्रपुर की एक टीम त्रिची (तमिलनाडु) स्थित स्टॉर किम्स हॉस्पिटल पहुंचकर डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी की तलाश कर रही है. वहीं, दूसरी टीम ने दिल्ली में डॉ. रविंद्र पाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी डॉ. रविंद्र पाल को ट्रांजिट रिमांड के लिए दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें 2 जनवरी 2026 को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट चंद्रपुर के सामने हाजिर होने का आदेश दिया है.
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