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'BJP MLA ने मुझे कॉल किया', ये बोलकर HC जज 520 करोड़ के अवैध खनन केस से अलग हुए

अवैध खनन जिस मामले से Justice Vishal Mishra ने खुद को अलग किया, उनमें तीन कंपनियों पर शक है. दावा किया गया है कि इन कंपनियों का संबंध विजयराघवगढ़ से BJP विधायक Sanjay Pathak से है.

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जस्टिस विशाल मिश्रा ने BJP विधायक संजय पाठक पर गंभीर आरोप लगाए. (MP High Court)
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मौ. जिशान
2 सितंबर 2025 (Updated: 2 सितंबर 2025, 12:11 AM IST)
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मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस विशाल मिश्रा ने सोमवार, 1 सितंबर को एक अहम अवैध खनन केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. ये पूरा मामला करीब 520 करोड़ रुपये से जुड़ा है. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक संजय पाठक ने इस केस को लेकर उनसे बात करने की कोशिश की थी, इसलिए अब वे इस मामले की सुनवाई नहीं करेंगे.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला कटनी जिले में हुए करोड़ों रुपये के अवैध खनन से जुड़ा है. आरोप है कि नियमों से बाहर जाकर करीब 440 करोड़ के लौह अयस्क की खुदाई की गई और 80 करोड़ रुपये की GST चोरी भी की गई.

BJP विधायक के कॉल करने का दावा करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा,

“श्री संजय पाठक ने इस खास मामले पर बात करने के लिए मुझे बुलाने की कोशिश की, इसलिए मैं इस रिट याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं. इस मामले को माननीय चीफ जस्टिस के सामने रखा जाए ताकि इस पर विचार करने के लिए सही बेंच के सामने लिस्ट किया जा सके.”

इस अवैध खनन मामले में जिन कंपनियों पर शक है, उनके नाम हैं- निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग और पैसिफिक एक्सपोर्ट. दावा किया गया है कि इन कंपनियों का संबंध विजयराघवगढ़ से BJP विधायक संजय पाठक से है.

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब आशुतोष दीक्षित नाम के एक व्हिसल ब्लोअर ने जनवरी 2025 में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई. उनका आरोप था कि EOW समय पर जांच पूरी नहीं कर रही है.

लॉ ट्रेंड की रिपोर्ट के अनुसार, जब EOW की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो दीक्षित ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. इसी केस की सुनवाई के दौरान संजय पाठक ने कोर्ट में एक आवेदन देकर कहा कि उन्हें भी इस मामले में सुना जाए, हालांकि वे याचिका में पक्षकार नहीं थे.

इसके बाद 1 सितंबर को सुनवाई के समय जज विशाल मिश्रा ने बताया कि संजय पाठक ने उनसे इस केस को लेकर बात करने की कोशिश की, जो कोर्ट में चल रहे किसी मामले में ऐसा करना गलत माना जाता है. इसलिए उन्होंने खुद को इस केस से अलग कर लिया.

अब यह मामला हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया गया है, जो इसे किसी और बेंच को सौंपेंगे.

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