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नेपाल की हालत देख CJI गवई ने भारत के संविधान पर क्या कह दिया?

चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है. ये टिप्पणी राष्ट्रपति की एक संदर्भ याचिका की सुनवाई के दौरान आई. जिसमें राज्यपालों द्वारा बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा पर सवाल उठाए गए थे.

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Look at neighbours, proud of our Constitution Chief Justice Gavai cites Nepal turmoil
CJI ने ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के संदर्भ पर चल रही सुनवाई के दौरान की. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
10 सितंबर 2025 (Published: 08:34 PM IST)
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भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर को नेपाल के हालात का जिक्र करते हुए भारतीय संविधान की ताकत और स्थिरता की तारीफ की. चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है. ये टिप्पणी राष्ट्रपति की एक संदर्भ याचिका की सुनवाई के दौरान आई. जिसमें राज्यपालों द्वारा बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा पर सवाल उठाए गए थे.

मामले की सुनवाई करते हुए CJI बीआर गवई ने कहा,

"हमें अपने संविधान पर गर्व है. देखिए हमारे पड़ोसी राज्यों में क्या हो रहा है... नेपाल में भी हमने देखा."

इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा,

"हां, बांग्लादेश भी."

CJI गवई भारतीय संविधान का हवाला दे रहे थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को किसी भी ऐसे कानूनी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने का अधिकार है, जो सार्वजनिक महत्व का हो या किसी भी तरह से जनता को प्रभावित करता हो. 

CJI ने ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के संदर्भ पर चल रही सुनवाई के दौरान की. जिसमें ये पूछा गया था कि क्या कोर्ट राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित बिलों पर विचार करते समय राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपालों के लिए समयसीमा और उनकी प्रक्रिया निर्धारित कर सकता है.

नेपाल में अभी क्या चल रहा है?

नेपाल में सत्ता विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत सोशल मीडिया पर बैन लगाने के फैसले के बाद हुई. जब लोगों का आक्रोश दिखा तो ये बैन वापस ले लिया गया. लेकिन तब तक देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी इस विरोध प्रदर्शन में जुड़ गया और इसने हिंसक रूप धारण कर लिया.

कम से कम 30 प्रदर्शनकारियों की मौत और केपी शर्मा ओली के पीएम पद से इस्तीफे के बाद, सेना की मध्यस्थता में Gen Z प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की कोशिश की जा रही है. रिपोर्ट है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और सेना के समक्ष अपनी कुछ मांगें रखी हैं. उनकी मांग है कि इस आंदोलन के दौरान शहादत पाने वाले सभी युवाओं को आधिकारिक रूप से शहीद घोषित किया जाए. उनको सम्मान और राहत उपलब्ध कराई जाए. बेरोजगारी, पलायन और सामाजिक अन्याय को समाप्त करने के लिए विशेष कार्यक्रम लाए जाएं. उन्होंने संविधान संशोधन या पुनर्लेखन के साथ-साथ देश में फैले भ्रष्टाचार की जांच की भी मांग की है.

बढ़ती हिंसा को ध्यान में रखते हुए नेपाल आर्मी ने 10 सितंबर की शाम 5 बजे से 11 सितंबर की सुबह 6 बजे तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया है. काठमांडू हवाई अड्डे को शाम 6 बजे तक बंद रखने का एलान किया गया है. घरेलू, अंतरराष्ट्रीय और निजी हेलीकॉप्टर सेवाओं सहित सभी उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं.

वीडियो: नेपाल को सेना ने कब्जे में लिया, आगे का रास्ता क्या है?

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