RJD के लिए लालू यादव जरूरी या मजबूरी, पूरी कहानी समझ लीजिए
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव के लिए RJD ने Tejashwi Yadav को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया है. पार्टी के बड़े फैसलों पर भी उनकी छाप दिखती है. और Lalu Prasad Yadav की सेहत भी उनका साथ नहीं दे रही है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर लालू यादव पार्टी की बागडोर अपने हाथ में क्यों रखना चाहते हैं.

लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की कमान संभालने जा रहे हैं. उनके 13वीं बार राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की केवल औपचारिकता शेष है. 23 जून को लालू यादव ने प्रदेश कार्यालय पहुंचकर अपना नॉमिनेशन दाखिल कर दिया है.
लालू यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी रामचंद्र पूर्व के सामने अपना नॉमिनेशन दाखिल किया. उनके खिलाफ किसी और ने पर्चा नहीं भरा है, जिससे साफ हो गया कि अगले तीन सालों के लिए पार्टी की बागडोर उनके हाथों में ही रहेगी. और बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी उनके नेतृत्व में ही चुनाव में जाएगी.
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है. विधानसभा चुनाव के लिए राजद ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया है. पार्टी के बड़े फैसलों पर भी उनकी छाप दिखती है. और लालू यादव की सेहत भी उनका साथ नहीं दे रही है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर लालू यादव पार्टी की बागडोर अपने हाथ में क्यों रखना चाहते हैं?
यही नहीं साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने ही राजद को लीड किया था. तब भी लालू प्रसाद यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी के बैनर पोस्टर से वो लगभग नदारद ही थे. तर्क दिया गया कि लालू यादव के साथ चस्पा जंगलराज का नैरेटिव तेजस्वी के चुनावी कैंपेन को नुकसान पहुंचा रहा था. तेजस्वी यादव को इसका फायदा भी मिला. लेकिन पार्टी सत्ता में नहीं आ पाई.
तेजस्वी यादव की ‘बात’ नहीं बनीपांच साल बाद अब हालात बदल गए हैं. पार्टी के मोर्च पर तेजस्वी यादव ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं. लालू यादव ने पार्टी के भीतर कोई भी बड़ा निर्णय लेने के लिए उनको अधिकृत किया हुआ है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तेजस्वी यादव अपने ए टू जेड के फॉर्मूले के तहत पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहते थे. क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अतिपिछड़े समाज से आने वाले मंगनीलाल मंडल को सौंपा गया था. लेकिन पार्टी के भीतर जगदानंद सिंह को लेकर एक राय नहीं बन पाई.
कोर वोटर्स में नाराजगी का खतराविधानसभा चुनाव से पहले टॉप लीडरशिप में बदलाव से काडर में कोई गलत मैसेज नहीं जाए, इसको ध्यान में रखते हुए ही लालू यादव ने कमान अपने पास रखा है. तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं. और राजद के कोर वोटर्स में काफी लोकप्रिय भी हैं.
लेकिन राजद के थिंक टैंक को शायद इस बात का इल्म है कि लालू यादव को साइड करने से वोटर्स में गलत मैसेज जाएगा. खासकर राजद के आधार वोटर मुस्लिम और यादव में. जिनके लिए आज भी लालू यादव सबसे बड़े और भरोसेमंद चेहरे हैं.
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तेज प्रताप यादव ने भी बढ़ाई परेशानीलालू प्रसाद यादव के परिवार में इस वक्त तूफान मचा हुआ है. तेज प्रताप-अनुष्का यादव प्रकरण सामने आने के बाद लालू यादव ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार दोनों से बेदखल कर दिया है. ऐसे में तेजस्वी यादव या फिर उनके किसी पसंदीदा नेता को पार्टी की कमान देने से परिवार में एक नया फ्रंट खुलने का डर था.
शायद इसी डर के चलते लालू यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में रखने का फैसला किया. ताकि पार्टी और परिवार में किसी तरह की टूट ना हो. और राजद पूरी मजबूती से विधानसभा चुनाव में उतर सके.
वीडियो: लालू यादव ने तेजप्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर किया, इस विवाद की शुरुआत कैसे हुई?