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कश्मीर टाइम्स अखबार के दफ्तर से कारतूस-हैंड ग्रेनेड मिलने का दावा, संपादकों ने कहा- 'चुप नहीं रहेंगे'

मामले को लेकर पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने छापे की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे ‘बेतुका और सरकारी ज्यादती का नमूना’ बताया. इल्तिजा मुफ्ती का कहना है कि कश्मीर टाइम्स कश्मीर के उन गिने-चुने अखबारों में से एक था जो सत्ता को आईना दिखाता था और दबाव-धमकी के आगे कभी नहीं झुका.

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Kashmir Times office raided AK rifle cartridges recovered editors slam action
कश्मीर टाइम्स की स्थापना 1954 में वरिष्ठ पत्रकार वेद भसीन ने की थी. (फोटो- ANI)
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प्रशांत सिंह
20 नवंबर 2025 (Published: 09:21 PM IST)
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जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार, 20 नवंबर को 'कश्मीर टाइम्स' अखबार के जम्मू स्थित दफ्तर पर छापा मारा. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कार्रवाई में AK राइफलों के कारतूस, पिस्तौल की गोलियां और हैंड ग्रेनेड के पिन बरामद हुए हैं. ये छापेमारी देश-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोपों से जुड़ी एक जांच के तहत की गई है. वहीं, अखबार के संपादकों ने इस छापेमारी की कड़ी निंदा की और इसे ‘स्वतंत्र पत्रकारिता को चुप कराने की सुनियोजित कोशिश’ बताया है. उन्होंने ये भी कहा कि 'सरकार की आलोचना करना देशविरोधी नहीं' है. संपादकों ने अधिकारियों से मामले में दर्ज आरोप वापस लेने की अपील की.

इंडिया टुडे से जुड़े सुनील भट की रिपोर्ट के अनुसार SIA की टीमों ने अखबार के दफ्तर की तलाशी ली, जिसमें कंप्यूटरों की भी जांच शामिल थी. अब अखबार के प्रमोटर्स से आने वाले दिनों में पूछताछ हो सकती है. मामला सामने आया तो डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुरिंदर सिंह चौधरी का बयान भी आया. उन्होंने कहा,

“अगर उन्होंने कुछ गलत किया है, तो कार्रवाई होनी चाहिए. पर ये अगर सिर्फ प्रेशर बनाने के लिए कर रहे हो, तो वो गलत होगा.”

संपादकों ने की कड़ी निंदा

कश्मीर टाइम्स की स्थापना 1954 में वरिष्ठ पत्रकार वेद भसीन ने की थी. वो जम्मू प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष भी रहे. हाल ही में उनका निधन हो गया था. उनके निधन के बाद बेटी अनुराधा भसीन जामवाल और दामाद प्रबोध जामवाल ने इस अखबार के प्रबंधन और इसकी संपादकीय जिम्मेदारियां संभालीं. फिलहाल दोनों विदेश में हैं. 

एक संयुक्त बयान में अनुराधा और प्रबोध ने इस छापे की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे स्वतंत्र पत्रकारिता को चुप कराने की सुनियोजित साजिश करार दिया. उन्होंने कहा,

“सरकार की आलोचना करना देशद्रोह नहीं है. लोकतंत्र तभी स्वस्थ रहता है जब उसमें सवाल उठाने वाली मजबूत और निष्पक्ष प्रेस हो. हम पर लगाए गए आरोप सिर्फ़ डराने, बदनाम करने और अंत में चुप कराने के लिए हैं. हम चुप नहीं होंगे.”

संपादकों ने अधिकारियों से अपील की है कि केस वापस लिया जाए. उन्होंने मीडिया, सिविल सोसायटी और आम नागरिकों से एकजुटता की गुहार लगाई है. दोनों ने कहा कि पत्रकारिता कोई अपराध नहीं है. सच के प्रति हमारी प्रतिबद्धता बुलडोजर से भी नहीं डरने वाली. बयान में अनुराधा और प्रबोध ने कहा, “छापे के बावजूद हमारा काम जारी रहेगा. हम डरने वाले नहीं हैं.”

मामले को लेकर पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने छापे की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे ‘बेतुका और सरकारी ज्यादती का नमूना’ बताया. इल्तिजा मुफ्ती का कहना है कि कश्मीर टाइम्स कश्मीर के उन गिने-चुने अखबारों में से एक था जो सत्ता को आईना दिखाता था और दबाव-धमकी के आगे कभी नहीं झुका. 

इल्तिजा ने X पर पोस्ट कर लिखा,

“एंटी-नेशनल एक्टिविटी के नाम पर उनके दफ्तर पर छापा मारना सरासर ज्यादती है. कश्मीर में सच बोलने वाली हर आवाज को देशद्रोही का ठप्पा लगा कर दबाया जा रहा है. क्या हम सब देशद्रोही हैं?”

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इल्तिजा का पोस्ट.

बता दें कि कश्मीर अखबार का जम्मू से प्रिंट वर्जन 2021-22 से बंद है. लेकिन ये अभी भी ऑनलाइन पढ़ा जाता है.

वीडियो: जम्मू-कश्मीर में दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी डॉक्टर आदिल के पड़ोसी ने आत्मदाह की कोशिश की

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