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IRCTC को नवरत्न का टैग मिला लेकिन क्यों? इससे कंपनी को क्या फायदा होगा?

सरकार ने IRCTC और IRFC को 'नवरत्न' स्टेटस दिया है. पब्लिक सेक्टर की ये दोनों कंपनियां रेलवे के लिए काम करती है. इन्हें ये टैग क्यों मिला? दूसरी कंपनियां यहां तक कैसे पहुंच सकती हैं? कंपनियों को इससे क्या-क्या फायदा मिलता है?

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IRCTC Navratna Status
IRCTC का नवरत्न का स्टेटस मिला है. (तस्वीर: IRCTC)
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रवि सुमन
4 मार्च 2025 (Updated: 4 मार्च 2025, 04:36 PM IST) कॉमेंट्स
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रेलवे की दो पब्लिक सेक्टर कंपनियों को ‘नवरत्न’ स्टेटस (Navratna Status) दिया गया है. ये कंपनियां हैं, ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन’ (IRCTC) और 'इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन' (IRFC). इस तरह irctc सभी CPSEs में 25वीं ऐसी कंपनी बन गई है जिसे ये स्टेटस मिला है. CPSEs यानी सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज. यानी कि वैसे उद्दम जिसमें प्रत्यक्ष तौर पर केंद्र सरकार की 51 प्रतिशत या उससे अधिक की हिस्सेदारी होती है. IRFC ऐसी 26वीं कंपनी है जिसको नवरत्न का टैग मिला है.

इसी के साथ इन कंपनियों को आर्थिक तौर पर कुछ विशेष अधिकार मिल गए हैं. उस पर चर्चा करने से पहले ये जानेंगे कि आखिर ये नवरत्न होता क्या है? किसी कंपनी को ये टैग किस आधार पर मिलता है?

Navratna का मतलब क्या है?

भारत सरकार ने सभी CPSEs को तीन ग्रुप में बांटा है. कंपनियों को उनकी आर्थिक हैसियत और उनकी ‘ऑपरेशनल एफिशिएंसी’ के आधार पर ये टैग दिए जाते हैं. ‘ऑपरेशनल एफिशिएंसी’ बेहतर होने का मतलब है, कंपनी का कम लागत में बेहतर सुविधा या प्रोडक्ट मुहैया कराना. इस आधार पर कंपनियों को ये तीन टैग दिए जाते हैं-

  • मिनीरत्न
  • नवरत्न
  • महारत्न

ये वाला सफर शुरू होता है, मिनीरत्न से और खत्म होता है महारत्न के टैग पर. बीच में आता है नवरत्न. नवरत्न का टैग पाने के लिए सबसे पहली जरूरत है कि कंपनी को पहले से मिनीरत्न का टैग मिला हो. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये मिनीरत्न किसको मिलता है. 

साल 2019 में संसद में भी यही सवाल पूछा गया था. सवाल पूछने वाले थे तमिलनाडु के ढेणी लोकसभा क्षेत्र से तब के AIADMK सांसद पी रवींद्रनाथ. जवाब दिया था प्रकाश जावड़ेकर ने. जावड़ेकर के पास तब ‘मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक एंटरप्राइजेज’ था. उनके मुताबिक, मिनीरत्न की उपाधि के लिए कंपनियों का इन मानकों पर खरा उतरना जरूरी है-

  • मिनीरत्न कैटेगरी 2- ऐसा CPSE जिसने पिछले तीन सालों में लगातार मुनाफा कमाया है. जिसका नेट वर्थ पॉजिटिव हो. यानी कि उसकी संपत्ति उसकी देनदारियों से ज्यादा हो. ऐसी कंपनियों के लिए 'मिनीरत्न कैटेगरी 2' पर विचार किया जा सकता है.
  • मिनीरत्न कैटेगरी 1- ऐसा CPSE जो पिछले तीन साल से लगातार प्रॉफिट में हो. उन तीन सालों में से कम से कम एक साल में, ‘प्री टैक्स प्रॉफिट’ यानी टैक्स देने से पहले कंपनी का मुनाफा 30 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा हो. जिसका नेट वर्थ पॉजिटिव हो. इन मानकों को पूरा करने वाली कंपनियों के लिए 'मिनीरत्न कैटेगरी 1' पर विचार किया जा सकता है.

दोनों वर्गों में मिनीरत्न पाने के लिए एक और जरूरी बात है. CPSE किसी भी सरकारी कर्जे के लिए डिफॉल्टर साबित ना हुआ हो. यानी कि सभी सरकारी लोन को समय पर जमा किया गया हो. इसके अलावा ऐसे CPSE को किसी बजट पर या किसी सरकारी गांरटी पर निर्भर नहीं होना चाहिए.

ये भी पढ़ें: इंडियन रेलवे ने पेश किया सुपरऐप SwaRail, क्या IRCTC की छुट्टी हो जाएगी?

Criteria for Miniratna Criteria
किसी कंपनी के मिनीरत्न बनने के मानक. (फोटो: लोकसभा)

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 2024 तक भारत में 11 CPSEs को 'मिनीरत्न कैटेगरी 2' और 51 CPSEs को 'मिनीरत्न कैटेगरी 1' का टैग मिला था. कैटेगरी 1 में जो 51 कंपनियां थीं उसमें IRCTC और IRFC भी शामिल था. अब ये दोनों कंपनियां नवरत्न की कैटगरी में आ गई हैं. इन सभी कंपनियों की लिस्ट DPE की सरकारी वेबसाइट पर देख सकते हैं. लेकिन इस टैग के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं है कि उसको मिनीरत्न का टैग पहले से मिला हो. कुछ और मानक भी हैं.

नवरत्न के मानक
  • ऐसा CPSE जिसे पहले से मिनीरत्न कैटेगरी 1 का टैग मिला हो.
  • कंपनी अधिनियम 2013 के तहत आने वाली Schedule ‘A’ कंपनी होनी चाहिए. 
  • नवरत्न टैग के लिए 6 अन्य मानक भी तय किए गए हैं. उसके आधार पर अंक दिए जाते हैं. इस मूल्यांकन के आधार पर पिछले 5 में से किसी 3 साल में कंपनी को बेहतरीन अंक यानी 60 से अधिक अंक मिले हों. ये 6 मानक कुछ इस प्रकार हैं-
  1. Net Profit to Net worth: कंपनी के कुल निवेश (Net Worth) के मुकाबले उसका मुनाफा (Net Profit). इसके लिए अधिकतम 25 अंक मिल सकते हैं.
  2. Manpower Cost to Total Cost of Production/Services: कंपनी अपने कुल खर्च का कितना हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों पर खर्च कर रही है. अगर ये खर्च ज्यादा होगा, तो कंपनी की कुशलता (efficiency) कम मानी जाएगी. इसके लिए अधिकतम 15 अंक निर्धारित हैं.
  3. PBDIT to Capital Employed, यानी कि टैक्स और दूसरे खर्चों से पहले की कमाई. कंपनी के कुल निवेश से इसकी तुलना की जाती है. इसके लिए भी अधिकतम 15 अंक हैं.
  4. PBIT to Turnover (15 अंक), यानी कि ब्याज और टैक्स से पहले का मुनाफा. कंपनी के कुल टर्नओवर से इसकी तुलना की जाती है. 
  5. Earnings Per Share (10 अंक), अगर कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड है, तो प्रति शेयर कमाई (EPS) को देखा जाता है.
  6. Inter-Sectoral Performance (20 अंक). कंपनी की तुलना इसी सेक्टर की दूसरी कंपनियों से की जाती है.

इन छह मानकों पर ‘मिनीरत्न 1’ कंपनियों को जितना अधिक अंक मिलता है, उसके नवरत्न बनने की संभावना उतनी ही अधिक होती है. 

Criteria Grant for Navratna Companies
नवरत्न कंपनी बनने के तय मानक. (तस्वीर: लोकसभा)
नवरत्न कंपनियों को मिलता क्या है?

अब सवाल है कि नवरत्न बनने वाली कंपनियों को आखिर कौन-से विशेष अधिकार मिलते हैं. 

  • ये कंपनियां 1,000 करोड़ रुपये तक या अपने नेट वर्थ के 15 प्रतिशत तक किसी सिंगल प्रोजेक्ट में इनवेस्ट कर सकते हैं. इसके लिए उनको सरकार से अप्रूव्ल लेने की जरूरत नहीं पड़ती. 
  • नवरत्न कंपनियां नए बिजनेस शुरू कर सकती हैं, नई फैक्ट्रियां खोल सकती हैं और दूसरे सेक्टर में भी हाथ आजमा सकती हैं. पहले इन मामलों में सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती थी. अब उन्हें खुद फैसले लेने की आजादी मिलती है.
  • ये कंपनियां Joint Venture (साझेदारी) कर सकती हैं यानी किसी भारतीय या विदेशी कंपनी के साथ मिलकर नया प्रोजेक्ट शुरू कर सकती हैं. नई टेक्नोलॉजी खरीदने या मार्केटिंग समझौते करने के लिए सरकार से बार-बार इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती. 

ये अधिकार या छूट अब IRCTC और IRFC को भी मिल गए हैं. रेलवे मंत्रालय के अधीन काम करने वाली इस कंपनी IRCTC की स्थापना 1999 में हुई थी. ये कंपनी भारतीय रेलवे के लिए टिकट बुकिंग, कैटरिंग और पर्यटन के क्षेत्र में काम करती है. फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में इस कंपनी का सलाना टर्नओवर 4,270.18 करोड़ और नेट वर्थ 3,229.97 करोड़ था. 

IRFC की स्थापना 1986 में हुई. ये कंपनी भारतीय रेलवे के लिए फंड्स का इंतजाम करती है. ये फंड्स रेलवे के विस्तार और आधुनिकीकरण परियोजनाओं से जुड़े होते हैं. इसके लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से उधार लिए जाते हैं. कुछ प्रसिद्ध कंपनियों को पहले से ही नवरत्न का दर्जा प्राप्त है. इनमें महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) और रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) शामिल है.

ये भी पढ़ें: तेजस एक्सप्रेस लेट होगी तो अब नहीं मिलेगा रिफंड, पता है रेलवे को क्यों बदलना पड़ा ये नियम?

महारत्न कैसे बनेगी कंपनियां?

नवरत्न कंपनियों के लिए आगे का दर्जा होता है, महारत्न. मानता हूं कॉपी लंबी हो गई है, काफी टेकनिकल बातें पढ़ ली आपने. लेकिन जाते-जाते इस एक बात को शेष क्यों छोड़ना? IRCTC और IRFC जैसी कंपनियों को अगर महारत्न का टैग पाना है तो उनके लिए मानक कुछ इस प्रकार हैं-

  1. पहले से नवरत्न का टैग होना चाहिए.
  2. कंपनी का स्टॉक एक्सचेंज में नाम होना जरूरी है, और इसके कुछ शेयर सरकार या संस्थाओं के बजाय आम जनता और निवेशकों के पास होने चाहिए, ताकि कंपनी पारदर्शी तरीके से काम करे.
  3. पिछले तीन सालों में कंपनी का एवरेज टर्नओवर 25,000 करोड़ से ज्यादा हो. 
  4. पिछले तीन सालों में कंपनी का औसत नेट वर्थ 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो.
  5. पिछले तीन सालों का सलाना एवरेज नेट प्रॉफिट (टैक्स चुकाने के बाद) 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो.
  6. भारत में ही नहीं, बल्कि कंपनी विदेशों में भी अपना बिजनेस कर रही हो और उसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान हो.
Criteria For Maharatna Companies
महारत्न बनने के मानक. (तस्वीर: लोकसभा)

अब लाख टके की बात. इन सभी मानकों पर खड़ा उतरने का मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि इनको मिनीरत्न, नवरत्न या महारत्न का टैग मिल ही जाए. इसका मलतब है कि सरकार अब ऐसी कंपनियों को ये स्टेटस देने पर विचार कर सकती है. 

वीडियो: दूसरे का ट्रेन टिकट बुक किया तो जेल? IRCTC ने खुद सच बता दिया

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