"कर्मचारियों के साथ इंसानों की तरह..." 70 घंटे काम की वकालत वाले नारायण मूर्ति का नया बयान
Narayan Murthy ने कहा है कि कर्मचारियों की प्रशंसा सार्वजनिक रूप से और उनकी आलोचना निजी तौर पर की जानी चाहिए. उन्होंने 'कंपैशनेट कैपिटलिज्म' की भी बात की है.

इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) का एक और बयान चर्चा में है. उन्होंने कहा है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों के साथ इंसानों की तरह व्यवहार करना चाहिए. मूर्ति ने कहा कि कंपनियों में सबसे कम वेतन और सबसे अधिक वेतन के गैप को कम करना चाहिए.
मूर्ति TiEcon Mumbai 2025 समिट में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हरेक कॉर्पोरेट कर्मचारी के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा,
कर्मचारियों की प्रशंसा सार्वजनिक रूप से और उनकी आलोचना निजी तौर पर की जानी चाहिए. जहां तक संभव हो कंपनियों के फल (आउटकम/लाभ) को सभी कर्मचारियों के बीच निष्पक्ष रूप से शेयर करना चाहिए. भविष्य में भारत का विकास हो और गरीबी से छुटकारा मिले, इसके लिए कंपैशनेट कैपिटलिज्म को अपनाने की जरूरत है.
कंपैशनेट कैपिटलिज्म का मतलब है, पूंजीवाद का एक ऐसा मॉडल जिसमें सिर्फ मुनाफा कमाने पर ही ध्यान नहीं दिया जाए. बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी ख्याल रखा जाए. नारायण मूर्ति ने कहा,
पूंजीवाद का मतलब है लोगों को नए विचारों के साथ आगे आने का मौका देना, ताकि वो खुद के लिए और अपने निवेशकों के लिए पैसा कमा सकें. लोगों के लिए रोजगार पैदा कर सकें और गरीबी कम कर सकें. देश में टैक्स में योगदान कर सकें. हमारा दायित्व है कि हम ऐसे काम करें कि हर कोई कहे कि पूंजीवाद में कुछ अच्छाई है. एंटरप्रेन्योरशिप में कुछ अच्छाई है. ऐसा करने के लिए, हम सभी को मजबूत संदेश देने होंगे. हमें अपनी बातों पर अमल करना होगा. सिर्फ महान बातें कह देने से कुछ नहीं होगा.
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फ्रीबीज पर भी बड़ा बयानमूर्ति ने इस दौरान फ्रीबीज यानी सरकार की ओर से मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा,
मुफ्त सुविधाएं देने से गरीबी दूर नहीं हो सकती. इसमें किसी भी देश को सफलता नहीं मिली है. मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि आप में से हर कोई सैकड़ों-हजारों नौकरियां पैदा करेगा. ऐसे ही गरीबी से छुटकारा मिल सकती है. फ्रीबीज के बाद इस बात का आकलन भी करना चाहिए कि लोगों की स्थिति में कितना सुधार आया है. हर महीने 200 यूनिट तक मुफ्ट बिजली देने के बाद, सर्वेक्षण कराया जाए कि ऐसे घरों में छह महीने के अंत में कितना बदलाव आया. बच्चे अधिक पढ़ रहे हैं या नहीं.
उन्होंने आगे कहा कि इन दिनों AI के नाम पर जितनी भी चीजें बेची जा रही हैं, उनमें अधिकतर बेकार और पुराने हैं. AI में मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग की क्षमता है. इससे पहले मूर्ति के एक और बयान पर खूब बहस हुई थी. साल 2023 में उन्होंने कहा था भारत के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए.
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