INS हिमगिरी और INS उदयगिरी की नेवी में एंट्री, ब्रह्मोस और बराक से लैस हैं दोनों स्टेल्थ फ्रिगेट
Indian Navy के Project 17-A के तहत Guided Missile Frigates का निर्माण किया जा रहा है. इसी कड़ी में INS Himgiri और INS Udaygiri को नौसेना में शामिल किया गया है. ये फ्रिगेट्स Brahmos जैसी खतरनाक मिसाइलों से लैस हैं.

गार्डियंस ऑफ इंडियन ओशियन (Guardians of Indian Ocean) नाम से मशहूर इंडियन नेवी (Indian Navy)) की ताकत में बड़ा इजाफा होने जा रहा है. समुद्र में चौकसी के लिए नेवी में नीलगिरी क्लास के दो स्टेल्थ फ्रिगेट्स (Stealth Frigates) आईएनएस हिमगिरी (INS Himgiri) और आईएनएस उदयगिरी (INS Udaygiri) 26 अगस्त 2025 को विशाखापत्तनम में कमीशन कर दिए जाएंगे. ये दोनों फ्रिगेट्स इंडियन नेवी के प्रोजेक्ट 17-A (Project 17-A) का हिस्सा हैं. प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल 7 गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट बनाई जा रही हैं. ये जहाज खतरनाक ब्रह्मोस और बराक जैसी खतरनाक मिसाइल्स से लैस हैं. तो जानते हैं क्या खासियत है इन जहाजों की, और ये फ्रिगेट क्या होते हैं?
इंडियन नेवी का प्रोजेक्ट 17 Aसाल 2015 में भारत सरकार ने इंडियन नेवी के प्रोजेक्ट 17A को मंजूरी दी. इस प्रोजेक्ट के तहत सात ऐसे फ्रिगेट्स का निर्माण होना है जो गाइडेड मिसाइल्स से लैस होंगे. इनमें से 4 जहाज मुंबई स्थित Mazagon Dock Shipbuilders Limited (MDL) को बनाने हैं. जबकि बाकी के तीन जहाज कोलकाता स्थित Garden Reach Shipbuilders & Engineers Limited (GRSE) में बनेंगे. इनमें से 2 जहाज आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस उदयगिरी के बाद अब आईएनएस हिमगिरी को नेवी में शामिल कर लिया गया है.
इनमें से आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस उदयगिरी को MDL ने बनाया है. जबकि आईएनएस हिमगिरी GRSE द्वारा डिलीवर किया गया पहला जहाज है. अभी विंध्यगिरी और दूनागिरी नाम के जहाजों को GRSE द्वारा लॉन्च किया जा चुका है. अब किसी जहाज की लॉन्चिंग और कमिशनिंग में क्या अंतर है, इसे भी समझ लेते हैं.
तो एक जहाज के बनने के कई स्टेज होते हैं. सबसे पहले होती है स्टील कटिंग सेरेमनी. इसके बाद अगला चरण होता है कील लेड सेरेमनी (Keel Laid Ceremony). ये एक सेरेमनी होती है जिसमें किसी जहाज के कंस्ट्रक्शन को आधिकारिक तौर पर शुरू किया जाता है. इसके बाद आता है जहाज का लॉन्च. जहाज के लॉन्च का मतलब है उसे बिल्डिंग साइट से पहली बार पानी में उतारना. इसके बाद होती है कमीशनिंग जिसमें जहाज को आधिकारिक तौर पर नेवी में शामिल कर लिया जाता है. और आखिरी चीज होती है डी-कमीशनिंग. ये एक अहम सेरेमनी होती है जिसमें जहाज को रिटायर किया जाता है.
INS हिमगिरी - ब्रह्मोस और बराक मिसाइल्स से लैसINS हिमगिरी एक गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है. इसे दिसंबर 2020 में लॉन्च किया गया था. इस जहाज को कोलकाता स्थित Garden Reach Shipbuilders & Engineers Limited (GRSE) ने बनाया है. इंडियन नेवी की ओर से ईस्टर्न नेवल कमान के चीफ स्टाफ ऑफिर (टेक्निकल) रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने आधिकारिक तौर पर नेवी की ओर से इसे रिसीव किया है. इस जहाज में हमला करने के लिए ब्रह्मोस जैसी शक्तिशाली क्रूज़ मिसाइल लगी है. साथ ही किसी भी हवाई हमले से बचने के लिए इसमें इजरायल का बराक-8 सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम लगा है. इस जहाज के कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो-
- जहाज का प्रकार: स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट
- डिस्प्लेसमेंट: 6,670 टन
- हथियार: ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल
- डिफेंस सिस्टम: बराक-8 सर्फेस टू एयर डिफेंस सिस्टम
- मुख्य बंदूक: 76mm रैपिड गन माउंट (SRGM)
- एंटी सबमरीन व तॉरपीडो: लाइटवेट तॉरपीडो, RBU-6000 ASW रॉकेट लॉन्चर
- टॉप स्पीड: 28+ नॉट्स (लगभग 52 किलोमीटर प्रति घंटा)
- रेंज: 5,500 नॉटिकल मील/लगभग 10 हजार किलोमीटर (नॉर्मल रफ्तार पर)

INS उदयगिरी भी एक स्टेल्थ गाइडेड फ्रिगेट है जिसे मुंबई स्थित Mazagon Dock Shipbuilders Limited (MDL) ने बनाया है. 1 जुलाई , 2025 को इसे इंडियन नेवी को सौंप दिया गया था. ये एक मल्टीमिशन यानी कई तरह के मिशंस को एक साथ अंजाम दे सकता है. इसकी स्टेल्थ तकनीक की वजह से रडार पर ये बहुत ही छोटा दिखता है. ऐसे में रडार देख कर ये पता कर पाना मुश्किल होता है कि ये एक हथियारबंद फ्रिगेट है. रडार पर ये किसी छोटी नाव की तरह दिखता है. इस जहाज को बनाने में हथियार और सेंसर्स के लिए स्वदेशी कंपनियों से करार किया गया है जिसमें 200 से अधिक MSME भी शामिल हें. आईएनएस उदयगिरी के हथियारों पर नजर डालें तो-
- सुपरसॉनिक मिसाइल-सतह से सतह पर मार करने के लिए
- एयर डिफेंस के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
- 76mm की नेवल गन
- क्लोज रेंज के लिए 30mm और 12.7mm CIWS (Close in Weapon System)
मॉडर्न वॉरफेयर को देखें तो नेवी का महत्व बढ़ता जा रहा है. वजह है समुद्र और उसमें होने वाला व्यापार. कुलजमा बात ये है कि व्यापार सुरक्षित तो इकोनॉमी सुरक्षित, और इकोनॉमी सुरक्षित तो देश सुरक्षित. और इस कड़ी में फ्रिगेट्स काफी मायने रखते हैं. आजकल के मॉडर्न फ्रिगेट्स को देखें तो इनमें हेलीपैड भी दिखते हैं जिससे ये सबमरीन पर हमला करते हैं. क्योंकि फ्रिगेट के पानी में रहने के दौरान उनपर सबमरीन से हमला होने के खतरा बना रहता है. वहीं, हेलीकॉप्टर्स आसमान से पानी में माइंस आदि का इस्तेमाल कर आसानी सबमरीन को निशाना बना सकते हैं. वर्तमान में कई देशों की नेवी इनका इस्तेमाल बड़े जहाजों को सुरक्षा देने, निगरानी करने या पानी से जमीन ओर हमले करने के लिए भी करती हैं. 1971 के भारत-पाक युद्ध में ऑपरेशन ट्राइडेंट के समय भारत ने फ्रिगेट्स का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को तहस-नहस कर दिया था.
वीडियो: इंडियन नेवी का इन्साइन यानी निशान से मिटा गुलामी का निशान, बदलाव का शिवाजी से क्या लिंक है?