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महाराष्ट्र में Guillain-Barré Syndrome से 4 मौतें, एक्टिव केस 140, पानी की जांच में बहुत कुछ पता चला

Guillain Barrie Syndrome (GBS) के कारण ये चौथी मौत बताई गई है. पुणे शहर के अलग-अलग इलाक़ों से कुल 160 पानी के नमूने केमिकल और बायोलॉजिकल एनालिसिस के लिए पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी भेजे गए. इनमें से आठ जल स्रोतों के नमूने दूषित पाए गए हैं. और क्या पता चला?

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GBS deaths in Maharashtra rise to 4
140 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई है. (फ़ोटो - आजतक)
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हरीश
1 फ़रवरी 2025 (Published: 09:33 AM IST)
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महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain Barrie Syndrome) यानी GBS के कारण संदिग्ध मौतों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है. जबकि अब तक संदिग्ध के रूप से दर्ज मामलों की संख्या 140 हो गई है (महाराष्ट्र में ही). इनमें से 98 में GBS की पुष्टि भी हो चुकी है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है.

चौथा संदिग्ध व्यक्ति महाराष्ट्र के सिंहगढ़ रोड के धायरी इलाक़े का बताया गया, उसकी उम्र 60 साल थी. 31 जनवरी को उसकी मौत हो गई. पुणे नगर निगम (PMC) के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि व्यक्ति को दस्त और निचले अंगों में कमजोरी हुई थी. 27 जनवरी को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट के चलते उसकी मौत हुई है.

वहीं, 30 जनवरी को एक 36 साल के व्यक्ति की मौत हो गई थी. पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम क्षेत्र के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में ये मौत हुई थी. बताया गया कि निमोनिया के कारण विक्टिम का श्वसन तंत्र सही से काम नहीं कर रहा था. महाराष्ट्र के के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 140 संदिग्ध मरीजों में से 98 में GBS की पुष्टि हो गई है. स्वास्थ्य विभाग के तरफ़ से जारी आधिकारिक रिलीज़ में बताया गया है,

कुल 26 मरीज पुणे शहर से हैं. 78 PMC क्षेत्र में नए जोड़े गए गांवों से, 15 पिंपरी चिंचवाड़ से, 10 पुणे ग्रामीण से और 11 अन्य जिलों से हैं.

इससे एक बात साफ़ है कि राज्य में दर्ज अधिकांश मामले पुणे और आसपास के इलाक़ों से हैं. 31 जनवरी को कोई नया मामला सामने नहीं आया. अधिकारियों का कहना है कि पुणे शहर के अलग-अलग इलाक़ों से कुल 160 पानी के नमूने केमिकल और बायोलॉजिकल एनालिसिस के लिए पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी भेजे गए. इनमें से आठ जल स्रोतों के नमूने दूषित पाए गए हैं.

बताया गया कि सिंहगढ़ रोड क्षेत्र में स्थित कुछ प्राइवेट बोरवेल्स से प्राप्त नमूनों में से एक में एस्चेरिचिया कोली या ई-कोली बैक्टीरिया (E-Coli bacteria) पाया गया है. PMC जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख नंदकिशोर जगताप ने इसकी पुष्टि की है. बता दें, पानी में ई-कोली का मिलना, मल या पशु अपशिष्ट संदूषण (Contamination) का संकेत है और बैक्टीरिया का ज़्यादा होना जीबीएस संक्रमण (GBS infection) का कारण बन सकती है.

ये भी पढ़ें - डॉक्टर से जानिए क्या है 'गुलियन बैरे सिंड्रोम'?

नांदेड़, किरकटवाड़ी, धायरी और सिंहगढ़ रोड पर स्थित अन्य इलाक़ों में GBS के मामलों में बढ़ोतरी के बाद, पुणे नगर निगम (PMC) जांच के लिए बोरवेल और कुओं से पानी के नमूने इकट्ठा कर रहा है. PMC जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख नंदकिशोर जगताप ने बताया कि दो दिन पहले निजी ट्यूबवेल और बोरवेल के संचालकों की एक बैठक हुई थी. उन्हें निर्देश दिया गया था कि वो बैक्टीरिया को नियंत्रित करने के लिए PMC द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग करें.

Guillain Barrie Syndrome के बारे में बेसिक

गुलियन बैरे सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. आमतौर पर इसके मामले नहीं देखे जाते. डॉक्टर्स के मुताबिक़ इसमें पेरीफेरल नर्व्स ( Peripheral Nervous System) डैमेज हो जाती हैं. इस वजह से हाथ-पैरों में कमजोरी आने लगती है. चूंकि ये एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. ऐसे में अगर समय रहते GBS की जांच कर इलाज किया जाए, तो मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है.

(न्यूज़ एजेंसी PTI के इनपुट के साथ)

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