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सिगरेट-गुटखा पर 40% GST के अलावा भी टैक्स लगेगा, सरकार कर रही है तैयारी!

वर्तमान में Sin Goods पर GST के अलावा सेस (उपकर) लगाया जाता है. ताकि टैक्स के मामले में राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. नए नियम के अनुसार, किसी उत्पाद पर 40 प्रतिशत GST देने के बाद सेस नहीं लगेगा.

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Sin Goods GST Structure
सिन गुड्स पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की तैयारी है. (सांकेतिक तस्वीर: PTI)
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रवि सुमन
5 सितंबर 2025 (Published: 12:30 PM IST)
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गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के स्लैब में हुए बदलाव में, सिन गुड्स (तंबाकू और पान मसाला) के लिए 40 प्रतिशत की एक नई स्लैब पेश की गई है. लेकिन बात बस इतनी भर नहीं है. सरकार सिन गुड्स पर 40 प्रतिशत GST के अलावा भी अतिरिक्त शुल्क लगाने की योजना बना रही है. ऐसा राज्यों के राजस्व घाटे की भरपाई करने के लिए किया जा सकता है. हालांकि, इसके बावजूद सिन गुड्स प्रोडक्ट्स टैक्स के 52 प्रतिशत से 88 प्रतिशत के रेंज में ही रहेंगे, जैसाकि अभी है.

वर्तमान में सिन गुड्स पर GST के अलावा सेस (उपकर) लगाया जाता है. ताकि टैक्स के मामले में राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. नए नियम के अनुसार, किसी उत्पाद पर 40 प्रतिशत GST देने के बाद सेस नहीं लगेगा. लेकिन सिन गुड्स के मामले में फिलहाल इस नियम को लागू नहीं किया जाएगा.

No Cess After 40 Percent GST
40 प्रतिशत GST के बाद, कोई अतिरिक्त सेस नहीं लगेगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये तय हुआ कि पान मसाला, सिगरेट, जर्दा, तंबाकू और बीड़ी जैसे उत्पादों पर सेस को धीरे-धीरे हटाया जाएगा. ये टैक्स तब तक जारी रहेंगे जब तक राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती. 

वर्तमान में इन उत्पादों पर 28 प्रतिशत के ऊपर से सेस लगता है, जिससे इन पर टैक्स का कुल बोझ 52 प्रतिशत से 88 प्रतिशत के बीच होता है. 40 प्रतिशत GST के बाद, सेस के हटने से राज्यों के रेवन्यू में गिरावट आएगी. इसको लेकर चिंता जताई जा रही है. इसीलिए सरकार 40 प्रतिशत GST के ऊपर से अतिरिक्त टैक्स लगा सकती है.

अभी के लिए, नवंबर-दिसंबर तक पुरानी दरें यानी 28 प्रतिशत GST और सेस लागू रहेंगे, जब तक राज्यों के बकाया कर्ज की भरपाई नहीं हो जाती. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री तय करेंगी कि सिन गुड्स पर GST की नई दरें कब से लागू होंगी.

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जीएसटी काउंसिल ने चार टैक्स स्लैब में से 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को खत्म कर दिया है. पिछले स्लैब में से अब केवल दो टैक्स स्लैब- 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रहेंगे.

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