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Paytm को 611 करोड़ का ED नोटिस, क्या है मामला और यूजर्स पर क्या असर पड़ेगा?

Paytm FEMA Breach: कंपनी ने बताया है कि वो कानून और रेगुलेटरी प्रोसेस के तहत मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. कंपनी कानूनी सलाह ले रही है और उचित विकल्पों के बारे में सोच रही है.

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Paytm ED Notice
ED ने वन97 को नोटिस भेजा है. (सांकेतिक तस्वीर)
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रवि सुमन
2 मार्च 2025 (Updated: 2 मार्च 2025, 11:45 AM IST)
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Paytm की पैरेंट कंपनी ‘वन97 कम्यूनिकेशन लिमिटेड’ (OCL) को ED का नोटिस मिला है. मामला 611 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन से जुड़ा है. कंपनी पर ‘विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम’ (FEMA) के उल्लंघन का आरोप है. ये पैसे वन97 की दो सब्सिडियरी कंपनियों के अधिग्रहण से संबंधित हैं. ये कंपनियां हैं- लिटिल इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड (LIPL) और नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (NIPL).

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ (BSE) को इस नोटिस की जानकारी दी है. OCL ने कहा है कि उसे 28 फरवरी को अपनी दो सहायक कंपनियों LIPL और NIPL के लिए FEMA उल्लंघन से जुड़ा नोटिस मिला. आगे बताया कि नोटिस में OCL, LIPL, NIPL, कुछ वर्तमान और पूर्व डायरेक्टर्स के साथ-साथ कुछ अधिकारियों को भी निशाना बनाया गया है. ED का नोटिस 2015 से 2019 के बीच हुए लेन-देन से जुड़ा है. 

एक्सचेंज फाइलिंग के मुताबिक, 611.17 करोड़ से अधिक के लेन-देन में से लगभग 344.99 करोड़ रुपये LIPL से जुड़े इन्वेस्टमेंट ट्रांजैक्शंस हैं. वहीं 245.20 करोड़ रुपये OCL से और बाकी के 20.97 करोड़ रुपये NIPL से जुड़े हैं. एक्सचेंज फाइलिंग का मतलब है, कंपनियों की ओर से शेयर बाजार को अपने बिजनेस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां देना.

ये भी पढ़ें: "क्या पेटीएम पर लिए एक्शन पर दोबारा सोचेंगे?" RBI गवर्नर ने ये जवाब दिया

ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?

OCL ने अपने बचाव में कहा है कि जिन ट्रांजैक्शंस के लिए उन्हें नोटिस मिले हैं, वो उस समय के हैं जब LIPL और NIPL उनकी सब्सिडियरी कंपनियां नहीं थीं. OCL ने साल 2017 में इन दोनों कंपनियों का अधिग्रहण किया था.

कंपनी ने फाइलिंग में बताया है कि वो कानून और रेगुलेटरी प्रोसेस के तहत मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. कंपनी कानूनी सलाह ले रही है और उचित विकल्पों के बारे में सोच रही है. आगे कहा,

कस्टमर्स और व्यापारियों के लिए पेटीएम पहले जैसा ही काम करता रहेगा. उनकी सेवाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

FEMA के तहत भारत में देश के बाहर से होने वाले लेन-देन पर नजर रखी जाती है. इस कानून को 1999 में पारित किया गया और ये 1 जून, 2000 से लागू है. इसके तहत किसी भी विदेशी लेन-देन के संदिग्ध पाए जाने पर ED नोटिस दे सकती है और जांच कर सकती है. इस कानून के उल्लंघन पर ED को कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने की भी जिम्मेदारी दी गई है.

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