The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Delhi Rs 34-Crore Cloud Seeding Plan After Experts Said 'Not Feasible' IIT-Kanpur

दिल्ली सरकार ने नकली बारिश कराने में 34 करोड़ फूंक दिए, बरसा नहीं, केंद्र ने तो चेताया भी था

Delhi Cloud Seeding Plan: IIT कानपुर के साथ मिलकर लगभग 34 करोड़ रुपये की क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया. लेकिन बारिश तो हुई ही नहीं. और ये बात तो पहले ही बता दी गई थी.

Advertisement
Delhi Rs 34-Crore Cloud Seeding Plan
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के लिए पहले ही चेता चुका था. (फाइल फोटो- PTI)
pic
हरीश
1 नवंबर 2025 (Updated: 1 नवंबर 2025, 07:29 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. माने आर्टिफीशियल बारिश करानी तो थी, लेकिन हो नहीं पाई. ये हमारे साथ-साथ IIT कानपुर के वैज्ञानिकों को भी अब तक पता चल गया है, जिन्होंने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर क्लाउड सीडिंग कराने की जिम्मेदारी ली थी. लेकिन क्या दिल्ली सरकार को ये सब पहले से पता था? और फिर भी उसने टैक्सपेयर्स के 34 करोड़ रुपये एक ऐसे प्रयोग पर खर्च करने का फैसला किया, जिसे जानकार पहले ही 'असंभव' बताकर खारिज कर चुके थे?

ये सवाल उठे हैं दिसंबर, 2024 में राज्यसभा में दिए गए एक लिखित जवाब के सामने आने के बाद. इसके मुताबिक, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पुष्टि की कि तीन स्पेश्लाइज्ड एजेंसियों ने सर्दियों के दौरान दिल्ली में क्लाउड सीडिंग न करने की सलाह दी थी. ये एजेंसियां हैं- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD).

एजेंसियों की राय स्पष्ट थी, विज्ञान इसका समर्थन नहीं करता. पश्चिमी विक्षोभों से प्रभावित दिल्ली का (ठंड के समय का) आकाश शायद ही कभी उस तरह के घने, नमी से भरपूर बादल बनाता है, जिनकी क्लाउड सीडिंग के लिए जरूरत होती है. जब बादल बनते भी हैं, तो वे बहुत ऊंचे या बहुत ड्राई होते हैं. और जो भी बारिश होती है, वो अक्सर जमीन को छूने से पहले ही वाष्पित (Evaporate) हो जाती है.

इंडिया टुडे से जुड़ीं सोनल मेहरोत्रा कपूर की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यसभा के जवाब में कई और बातें कही गईं. मसनल, इन एजेंसियों ने सर्वसम्मति से निष्कर्ष निकाला कि ठंड और गर्मी के महीनों के दौरान दिल्ली में क्लाउड सीडिंग संभव नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि मौसम संबंधी जरूरी परिस्थितियां आमतौर पर नवंबर और फरवरी के बीच NCR क्षेत्र में मौजूद नहीं रहतीं. ये परिस्थितियां हैं, पर्याप्त आर्द्रता, लो क्लाउड बेस और बादलों की गहराई.

यहां तक कि जब पश्चिमी विक्षोभ कुछ बादल बनाते हैं, तब भी परतें इतनी पतली होती हैं कि सीडिंग से उस तरह बारिश नहीं हो पाती. मंत्रालय ने ये भी बताया कि ऐसी परिस्थितियों में सिल्वर आयोडाइड जैसे केमिकल्स के इस्तेमाल से न के समान फायदा होगा. जबकि पर्यावरणीय जोखिम भी हो सकते हैं. छोटे और आसान शब्दों में कहें, तो जानकारों ने सरकार को लिखित रूप से बताया कि सर्दियों में क्लाउड सीडिंग दिल्ली में काम नहीं करती.

फिर भी इस साल की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर के साथ मिलकर लगभग 34 करोड़ रुपये की क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया. एक इंटरव्यू में IIT कानपुर के डायरेक्टर ने इस डील की पुष्टि की. कहा कि संस्थान ने दिल्ली सरकार के साथ ट्रायल करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है.

ये भी पढ़ें- अगर क्लाउड सीडिंग हुई, तो सिर्फ फायदे होंगे?

क्या हाल हुआ?

28 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग के लिए दो उड़ानें भरी गईं, दोनों की लागत लगभग 60-60 लाख रुपये थी. लगभग 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया था. नतीजा? लगभग कुछ भी नहीं. दिल्ली में कुछ मिलीमीटर बूंदाबांदी हुई, बस इतनी ही.

इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों ने भी यही बात स्वीकार की है. IIT कानपुर ने बताया कि ट्रायल्स के दौरान वातावरण में नमी बहुत कम थी, बमुश्किल 10 से 15 प्रतिशत. इससे कोई खास बारिश होना संभव नहीं था. ये वही स्थितियां थीं, जिनके बारे में IMD और CQAM ने बीते साल चेतावनी दी थी.

तो फिर, इसे हरी झंडी किसने दी? क्या एजेंसियों की सलाह को नजरअंदाज किया गया? क्या 34 करोड़ रुपये की सरकारी राशि खर्च करने से पहले इसकी जमीनी हकीकत की दोबारा समीक्षा की गई? और अगर विज्ञान ने पहले ही इस बात को निरर्थक घोषित कर दिया था, तो इस दांव को सही क्यों ठहराया गया. दिखावे के लिए, राजनीति के लिए, या फिर गलत आशावाद के लिए?

ये भी पढ़ें- जमकर हुई क्लाउड सीडिंग, फिर बारिश क्यों नहीं हुई?

जवाब क्या मिला?

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर दिल्ली सरकार ने कहा कि क्लाउड सीडिंग पहल अभी प्रायोगिक चरण (experimental phase) में है. हालांकि, पर्यावरण मंत्री टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे. लेकिन उनके ऑफिस ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के कई प्रकार हैं. और ये स्पष्ट होना बाकी है कि किस स्पेसिफिक कैटिगरी के लिए एक्सपर्ट्स की राय मांगी गई थी.

ये भी बताया गया कि 28 अक्टूबर को शुरुआती उड़ानें भरने वाला IIT कानपुर वर्तमान में एक डिटेल टेक्निकल असेसमेंट कर रहा है. अधिकारियों ने आगे बताया कि प्रोजेक्ट का दायरा और उसे आगे जारी रखा जाए या नहीं, ये IIT के विशेषज्ञों द्वारा अपना मूल्यांकन पूरा करने और सरकार को अपने निष्कर्ष पेश करने के बाद तय की जाएगी.

ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली ने क्लाउड सीडिंग की कोशिश की हो. पिछली कोशिशें भी प्रदूषण के स्तर या बारिश में कोई कमी लाने में नाकाम रही थीं.

वीडियो: '8 साल कम हो सकती है उम्र...' दिल्ली प्रदूषण पर ये रिपोर्ट डराने वाली है!

Advertisement

Advertisement

()