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'ब्रांड को क्रिटिसाइज करना मानहानि नहीं' दिल्ली HC के फैसले से इन्फ्लुएंसर्स चैन की सांस लेंगे

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर किसी भी कंपनी के प्रोडक्ट की आलोचना उसका नाम लेकर कर सकते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के एक ताजा फैसले ने उन्हें इस काम में संरक्षण दिया है. आइए जानते हैं क्या है मामला

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Delhi High Court
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि इन्फ्लुएंसर्स तथ्य के साथ ब्रांड्स को क्रिटिसाइज कर सकते हैं (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
29 अप्रैल 2025 (Published: 03:11 PM IST) कॉमेंट्स
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किसी कंपनी के प्रोडक्ट को लेकर ‘नेगेटिव’ रिव्यू करने पर मानहानि का केस नहीं बनेगा. दिल्ली हाई कोर्ट की ये टिप्पणी खासतौर पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए काफी राहत देने वाली है. कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर अगर कोई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर किसी भी कंज्यूमर ब्रांड पर कमेंट करता है तो यह मानहानि का मामला नहीं होगा. कोर्ट की इस टिप्पणी में बड़ी कंपनियों के साथ कानूनी लड़ाई में फंसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के बचाव के लिए विस्तार से रूपरेखा तय की गई है.

कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रोडक्ट की आलोचना करने के दौरान इन्फ्लुएंसर्स ब्रांड के नाम को उजागर सकते हैं. उन्हें इसके लिए मानहानि के मुकदमे का डर नहीं होना चाहिए. ब्रांड्स की आलोचना के लिए वो व्यंग्य या फिर अतिशयोक्ति का भी सहारा ले सकते हैं.  कोर्ट ने कहा कि सच पर आधारित उनकी प्रोडक्ट-समीक्षा पर रोक लगाना न केवल उनकी अभिव्यक्ति की आजादी में बाधा डालने जैसा है बल्कि यह ग्राहकों को उनकी सेहत से जुड़ी सही जानकारी पाने से भी वंचित करने वाला फैसला होगा. 

हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ग्राहकों के व्यवहार को शेप (Shape) देते हैं. ऐसे में उनकी ओर से किया गया कॉमेन्ट ब्रांड की प्रतिष्ठा पर असर डालती है. इस वजह से कमर्शियल संस्थाओं और इन्फ्लुएंसर्स के रिश्तों में एक तरह का तनाव बना रहता है. 

क्या है मामला

दरअसल, सैंस न्यूट्रिशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने चार सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ कोर्ट में एक याचिका डाली थी. ये कंपनी न्यूट्रास्युटिकल और हेल्थकेयर सप्लीमेंट्स का कारोबार करती है. कंपनी ने आरोप लगाया था कि अर्पित मंगल, कबीर ग्रोवर, मनीष केशवानी और अविजित रॉय नाम के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने उनके उत्पादों पर अपमानजनक रिव्यू दिया था. 

मानहानि का मुकदमा 

अर्पित मंगल ने अपने YouTube चैनल पर सैंस न्यूट्रिशन ब्रांड के 'डॉक्टर्स चॉइस' नाम के प्रोडक्ट का रिव्यू करते हुए एक वीडियो डाला था. इसके बाद कंपनी ने मंगल के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस कर दिया. मामले को सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि मंगल का वीडियो लैब से प्राप्त परीक्षण के नतीजों पर आधारित था. 

इस पर कंपनी का कहना था कि उसके उत्पादों के लेबल में दी गई न्यूट्रिशन संबंधी जानकारी उसे बनाने वाली कंपनी की ओर से दी गई जानकारी पर आधारित थी. जवाब में कोर्ट ने कहा, 

इस लॉजिक को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता कि प्रोडक्ट किसी तीसरी पार्टी ने तैयार किए हैं. अगर प्रोडक्ट के लेबल पर झूठे दावे किए गए हैं तो यह जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की होगी. खासतौर पर तब जब कंपनी अपने ब्रांड नेम के तहत चीजों का प्रचार करती है या बेचती है.

कंपनी ने आरोप लगाया कि अर्पित मंगल ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रोडक्ट का लैब टेस्ट किया था. कोर्ट ने कंपनी की इस दलील को भी खारिज कर दिया और चारों इन्फ्लुएंसर्स की टिप्पणियों के संबंध में किसी भी तरह का आदेश पारित करने से मना कर दिया.

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