The Lallantop
Advertisement

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला: विवाहेतर संबंध में रहने वाली पत्नी को मेंटेनेंस नहीं मिलेगा

Chhattisgarh High Court News: हाई कोर्ट ने पति की रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया. फ़ैमली कोर्ट के मेंटेनेंस आदेश को खारिज कर दिया. वहीं, मेंटेनेंस राशि बढ़ाने की मांग करने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी गई.

Advertisement
Chhattisgarh High Court News
महिला की अपने अलग हुए पति से भरण-पोषण की मांग को खारिज कर दिया गया है. (फ़ोटो- इंडिया टुडे)
pic
हरीश
19 मई 2025 (Updated: 19 मई 2025, 02:46 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने एक महिला की तलाक के बाद पति से गुजारा भत्ता की मांग को ख़ारिज कर दिया है. इसका कारण हाई कोर्ट ने महिला के विवाह से इतर यौन संबंध यानी एडल्टरस रिलेशन को बताया है. इससे पहले, रायपुर के फ़ैमिली कोर्ट ने पति से कहा था कि वो महिला को 4,000 रुपये मासिक मेंटेनेंस दे.

हाई कोर्ट के जज, जस्टिस अरविंद वर्मा ने फ़ैमिली कोर्ट के इस आदेश को ख़ारिज कर दिया है. फ़ैमिली कोर्ट के आदेश को पति और पत्नी, दोनों ही पक्षों ने चुनौती दी थी. पति ने इसे पूरी तरह से रद्द करने की मांग की थी. जबकि पत्नी ने इसे बढ़ाकर 20,000 रुपये करने की मांग की थी.

पति के वकील का तर्क

टाइम्स ऑफ़ इंडिया (TOI) की ख़बर के मुताबिक़, कोर्ट में पति के वकील ने तर्क दिया कि पत्नी मेंटेनेंस की हकदार नहीं है. क्योंकि वो पति के छोटे भाई (यानी अपने देवर) के साथ व्यभिचारी संबंध (adulterous relationship) में पाई गई थी. बता दें, एडल्टरस रिलेशन वो रिलेशन होते हैं, जब कोई शादीशुदा इंसान अपने जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाए. ये एक्स्ट्रामैरिटल रिलेशन से अलग है. क्योंकि उसमें (एक्स्ट्रामैरिटल रिलेशन) यौन संबंध बनाए गए हों, ये ज़रूरी नहीं होता.

पति के वकील ने कहा कि फ़ैमिली कोर्ट ने सितंबर, 2023 में जब तलाक का आदेश दिया, तब क़ानूनी रूप से इस बात (एडल्टरस रिलेशन) को स्थापित किया गया था. लेकिन फ़ैमिली कोर्ट ने इस सबूत को नज़रअंदाज कर दिया. वकील ने ये भी कहा कि CRPC की धारा 125 (4) की भी अवहेलना की गई, जो एडल्टरस रिलेशन से जुड़ी हुई है.

ये भी पढ़ें- हाई कोर्ट से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे BJP के मंत्री, उसने और बुरा सुनाया

पत्नी के वकील ने क्या कहा?

TOI की ख़बर बताती है कि महिला के वकील ने एडल्टरस रिलेशन के दावे का खंडन किया. उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी पिछली एक्स्ट्रामैरिटल रिलेशन उस समय नहीं थी, जब उसने मेंटेनेंस के लिए आवेदन दायर किया था. इसके अलावा, वकील ने तर्क दिया कि पत्नी की आय की कम है, जिससे वो अपनी ज़िंदगी नहीं चला पा रही. जबकि पति के आय के कई स्रोत हैं.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस अरविंद शर्मा ने अपना फ़ैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि एडल्डरस रिलेशन के आधार पर दिया गया तलाक CRPC की धारा 125 (4) के तहत आता है. हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले (शांताकुमारी बनाम थिम्मेगौड़ा) का हवाला दिया. इस मामले में बताया गया था कि शादी में रहते हुए एडल्टरस रिलेशन में रहने वाली पत्नी मेंटेनेंस की हकदार नहीं है. ऐसे में उन आधारों पर तलाक के दावे को बहाल नहीं किया जा सकता.

अंत में हाई कोर्ट ने पति की रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया. फ़ैमिली कोर्ट के मेंटेनेंस आदेश को खारिज कर दिया. वहीं, मेंटेनेंस की राशि बढ़ाने की मांग करने वाली पत्नी की याचिका खारिज कर दी गई.

वीडियो: एफआईआर रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मंत्री विजय शाह, सीजेआई ने लताड़ दिया

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement