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'पूरा देश खामियाजा भुगतेगा अगर... ', चारधाम परियोजना पर मुरली मनोहर जोशी ने CJI को लिखा खत

BJP नेता मुरली मनोहर जोशी समेत 57 लोगों ने चारधाम परियोजना (Chardham Project) के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है. इसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई को पत्र लिखा है. बड़ा कदम उठाने को कहा है.

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Chardham project murli manohar joshi write a letter to the CJI
मुरली मनोहर जोशी समेत 57 लोगों ने CJI को खत लिखा है (फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
27 सितंबर 2025 (Updated: 27 सितंबर 2025, 02:49 PM IST)
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी समेत 57 लोगों ने चारधाम परियोजना (Chardham Project) के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है. इसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई को पत्र लिखा है. साथ ही इस परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ही एक फैसले पर पुनर्विचार करने और उसे वापस लेने की मांग की है. उन्होंने अपने इस पत्र में हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदाओं का भी जिक्र किया है.

क्या है पूरा मामला?

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 57 लोगों ने चारधाम परियोजना के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह के अलावा कई जाने-माने शिक्षाविद, वैज्ञानिक, सांसद और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. इतिहासकार शेखर पाठक, लेखक रामचंद्र गुहा और RSS के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य ने भी पत्र में की गई अपील का समर्थन किया है.

Chardham project murli manohar joshi write a letter to the CJI
(फोटो: आजतक)

CJI को लिखे गए पत्र में कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया गया है, जिसमें चारधाम परियोजना के तहत सड़कों के चौड़ीकरण की अनुमति देने की बात कही है. जोशी ने अदालत से अपने पहले के आदेश की समीक्षा करने की मांग की है. पत्र में कहा गया है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में उभरते ‘अस्तित्वगत संकट’ को स्वीकार किया है. यदि अभी सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो पूरे देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

क्या है चारधाम परियोजना?

दरअसल, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसमें चार प्रमुख धार्मिक स्थलों - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए नेशनल हाइवे को 12 मीटर चौड़ा किए जाने का प्रस्ताव था. पत्र में अब अपील की गई है कि चौड़ाई 12 मीटर की जगह महज 5.5 मीटर होनी चाहिए.

यह भारत सरकार की राजमार्ग परियोजना है. इस परियोजना के तहत 889 किलोमीटर के नेशनल हाइवे को चौड़ा करने की योजना है, ताकि उत्तराखंड के इन पवित्र स्थलों तक श्रद्धालु पूरे साल बगैर किसी रोक-टोक के पहुंच सके.

ये भी पढ़ें: चारधाम प्रोजेक्ट क्या है, जिसके एक नियम को 'हिमालयन ब्लंडर' कहा जा रहा है

इस पत्र में विशेष रूप से भागीरथी इको-सेंसिटिव जोन (BESZ) का उल्लेख किया गया है, जो गंगा का उद्गम स्थल है और हाल ही में धाराली आपदा जैसी त्रासदियों का सामना कर चुका है. इन लोगों ने मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि चारधाम परियोजना के फैसले की पुनः समीक्षा कर अधिक टिकाऊ ढांचा अपनाया जाए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित हो सके.

वीडियो: हिमाचल प्रदेश को आपदाग्रस्त घोषित किया गया? इससे कितनी राहत मिलेगी?

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