पिता के यौन शोषण से प्रेग्नेंट हुई बेटी, मां ने कहा घर नहीं चल रहा, कोर्ट ने सजा कम कर दी
पीड़िता की मां ने कोर्ट को बताया कि 2018 में जब उसके पति को गिरफ्तार किया गया था, तब से वो अपनी तीनों बेटियों की देखभाल खुद कर रही है. उन्होंने कहा कि उसके पति को जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए.

मुंबई के एक कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के दोषी व्यक्ति को दस साल की जेल की सजा सुनाते हुए कहा कि उसकी पत्नी की गवाही को ध्यान में रखते हुए उसे न्यूनतम सजा दी जा रही है. दोषी शख्स पर अपनी 13 साल की बेटी का यौन शोषण का आरोप है. लड़की और उसकी मां ने कोर्ट को बताया कि 2018 से जेल में होने के कारण उनके परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मुकदमे के दौरान पीड़िता और उसकी मां दोनों अपने बयान से मुकर गईं. लेकिन कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट और डीएनए की जांच के आधार पर व्यक्ति को दोषी ठहराया. स्पेशल जज टीटी अग्लवे ने 22 सितंबर को पारित एक आदेश में कहा,
मां-बेटी ने क्या बताया था?"मौजूदा मामले में पीड़िता आरोपी की बेटी है. सूचना देने वाली आरोपी की पत्नी है. पीड़िता और उसकी मां दोनों ही चाहते हैं कि आरोपी को जल्द से जल्द जेल से रिहा किया जाए, क्योंकि उनके लिए परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा था. तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, आरोपी को संबंधित अपराधों के लिए निर्धारित न्यूनतम सजा देना उचित होगा."
शख्स को POCSO की धाराओं के तहत दोषी पाया गया. पीड़िता की मां ने कोर्ट को बताया कि 2018 में जब उसके पति को गिरफ्तार किया गया था, तब से वो अपनी तीनों बेटियों की देखभाल खुद कर रही है. उसने कहा कि उसके पति को जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए.
ये मामला साल 2018 में उस वक्त सामने आया था, जब एक मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि पीड़िता प्रेग्नेंट है. इसके बाद POCSO के नियमों के तहत डॉक्टरों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई. पूछताछ में पीड़िता ने बताया कि उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था. इसके बाद आरोपी पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
पुलिस ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर ये साबित कर दिया कि उसका पिता ही आरोपी है. वो 2018 से जेल में है. अदालत ने कहा,
"...आरोपी ने अपना कोई सबूत पेश नहीं किया है और बचाव पक्ष के सबूत के तौर पर किसी गवाह से पूछताछ भी नहीं की है. डीएनए रिपोर्ट को खारिज करने के लिए आरोपी की ओर से कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया गया."
मामले में ट्रायल के दौरान पीड़िता ने कहा कि उसे घटना के बारे में कुछ याद नहीं है. हालांकि, उसने ये माना था कि उसे अस्पताल ले जाया गया था और वो प्रेग्नेंट पाई गई थी. उसने ये भी माना कि उसकी मेडिकल जांच हुई थी और पुलिस ने उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया था.
ट्रायल के दौरान पीड़िता की मां भी अपने बयान से पलट गई. उसने कहा कि उसकी बेटी ने उसे ये नहीं बताया था कि उसका यौन उत्पीड़न किसने किया था. जिसके बाद कोर्ट ने मेडिकल और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की गवाही और डीएनए रिपोर्ट पर भरोसा किया. साथ ही कोर्ट ने पीड़िता द्वारा डॉक्टरों के सामने दिए बयान पर भी भरोसा जताया.
वीडियो: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, "भारत में व्यभिचार अपराध नहीं है, लेकिन इसके सामाजिक परिणाम हैं", देना पड़ सकता है Compensation