EC के सूत्रों ने कहा- 'बिहार में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के काफी लोग', विपक्ष ने घेर लिया
Tejaswi Yadav और Asaduddin Owaisi ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है.
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भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि बिहार में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोग भी रह रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि इनकी संख्या काफी ज्यादा है. उन्होंने कहा है कि ये जानकारी राज्य में चल रहे वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन (Bihar Voter List) के दौरान सामने आई है.
अधिकारियों ने ये भी कहा है कि 1 अगस्त के बाद ऐसे लोगों की उचित जांच की जाएगी. और 30 सितंबर को प्रकाशित होनो वाली फाइनल लिस्ट में इन नामों को शामिल नहीं किया जाएगा.
तेजस्वी यादव ने ECI पर लगाए गंभीर आरोपविधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है,
चुनाव आयोग स्वयं सामने आने की बजाय सूत्रों के हवाले से खबर प्लांट करवा रहा है, ताकि इसकी आड़ में खेला कर सके. ये वही सूत्र हैं जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा कर चुके थे.

इस खबर पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा है,
ये शर्मनाक है कि एक एक संवैधानिक संस्था ‘सूत्रों’ के माध्यम से जनता से संवाद कर रही है. चुनाव आयोग को ये स्पष्ट करना जरूरी है कि मतदाताओं की नागरिकता तय करने का अधिकार उन्हें किसने दिया? ये ‘गहन संशोधन’ एक अहम चुनाव के ठीक पहले हो रहा है. गरीब लोगों को मजबूर किया जा रहा है कि वो जादुई तरीके से ऐसे कागज बनवाकर लाएं जो ज्यादातर लोगों के पास होंगे ही नहीं. ऐसा लगता है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य की उनकी शक्तियों को छीनना है.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस मामले को लेकर विपक्षी दलों पर हमला बोला है. उन्होंने लिखा है,
बिहार की मतदाता सूची में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल जैसे देशों के विदेशी नागरिकों के नाम मिले हैं. ये खुलासा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान हुआ है. RJD कांग्रेस, वामपंथी और उनके ढोल बजाने वाले पत्रकार से यूट्यूबर बने प्रचारक, NGO और तथाकथित कानूनी कार्यकर्ता लगातार ऐसे नामों को सूची में शामिल करवाने का दबाव बना रहे थे.
अब सच सामने है. क्या यही उनका वोट बैंक मॉडल है?

ECI ने इस प्रक्रिया के लिए 11 दस्तावेजों को मान्यता दी है. इसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को शामिल नहीं किया गया है. विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया के कारण करोड़ों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कट जाएंगे. और इस कारण से आगामी विधानसभा चुनाव प्रभावित होगा.
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मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ECI के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं. इसमें विपक्ष के कई राजनीतिक दल, NGO और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. 10 जुलाई को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने ECI की इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने ECI से कहा कि वो 11 दस्तावेजों में आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को भी शामिल करें. कोर्ट ने कहा कि अगर आयोग ऐसा नहीं करने का फैसला लेता है तो उसे अदालत को इसका कारण बताना होगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
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