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क्या आज रुक जाएगी देश की रफ्तार? जानिए ‘भारत बंद’ का पूरा शेड्यूल और असर, सरकार क्या बोली?

Bharat Bandh on 9 July 2025: केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने दावा किया है कि क़रीब 213 यूनियंस ने मंत्रालय को सूचित किया है कि वो इस हड़ताल में भाग नहीं लेंगे. जिसमें RSS से जुड़ा हुआ भारतीय मजदूर संघ (BMS) भी शामिल है. ट्रेड यूनियंस ने इस पर क्या कहा है?

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Bharat Bandh on 9 July 2025
आज यानी 9 जुलाई को भारत बंद की अपील की गई है. (फ़ाइल फ़ोटो- इंडिया टुडे)
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हरीश
9 जुलाई 2025 (Published: 08:16 AM IST)
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10 केंद्रीय ट्रेड यूनियंस (CTU) ने मिलकर देशभर में आज यानी 9 जुलाई को भारत बंद (Bharat Band) का एलान किया है. इस दौरान एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल भी की जाएगी. बैंकिंग, बीमा, डाक, खनन, निर्माण समेत अन्य क्षेत्रों के 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों के इसमें शामिल होने की संभावना है.

केंद्रीय ट्रेड यूनियंस और उनके सहयोगियों के एक मंच ने इसकी घोषणा की है. बताया है कि सरकार की "मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों" का विरोध करने के लिए ये बंद किया जाएगा.

सरकार ने क्या कहा?

इस बीच, केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने दावा किया है कि क़रीब 213 यूनियंस ने मंत्रालय को सूचित किया है कि वो इस हड़ताल में भाग नहीं लेंगे. जिसमें RSS से जुड़ा हुआ भारतीय मजदूर संघ (BMS) भी शामिल है. द हिंदू को मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि इन यूनियंस में भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) की पावरग्रिड कर्मचारी यूनियन और भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (CITU) की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कर्मचारी यूनियन का नाम भी शामिल है.

इसके अलावा, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड वर्कर्स एंड स्टाफ यूनियन का नाम भी इन यूनियनों की सूची में शामिल हैं. RSS से जुड़े भारतीय मजदूर संघ BMS के महासचिव रवींद्र हिमटे का इस मामले में एक बयान आया है. उन्होंने कहा कि यूनियन हड़ताल का समर्थन नहीं करेगी. क्योंकि कुछ ट्रेड यूनियंस श्रमिकों के नाम पर राजनीतिक लड़ाई लड़ रही हैं.

Central Trade Unions का रिएक्शन

दूसरी तरफ़ केंद्रीय ट्रेड यूनियंस (CTU) ने कहा है कि केंद्र सरकार दबाव बनाने और श्रमिकों को डराने की कोशिश कर रही है. लेकिन हड़ताल सफल होगी. इन यूनियंस में से एक ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के महासचिव अमरजीत कौर ने द हिंदू से बात की. उन्होंने कहा कि केंद्र ने दावा किया है कि रक्षा क्षेत्र की यूनियंस हड़ताल पर नहीं जा रही हैं. लेकिन वो पहले तय किए गए अनुसार एक घंटे का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अमरजीत कौर ने आगे कहा,

सरकार इस मुद्दे से जूझ रही है. वो मीडिया को बताना चाहते हैं कि कुछ नहीं हो रहा है. रेलवे यूनियंस ने हड़ताल का नोटिस नहीं दिया था. वो केवल अपने सदस्यों को संगठित करेंगे. एक या दो को छोड़कर कई सीमेंट फैक्ट्री यूनियन हड़ताल पर जा रही हैं. बैंकों और बीमा क्षेत्रों में हड़ताल लगभग पूरी तरह से होगी. 

AITUC के महासचिव अमरजीत कौर के मुताबिक़, सरकार की लिस्ट में जिन क्षेत्रों का जि़क्र किया गया है, उनमें बड़े औद्योगिक क्षेत्रों की यूनियंस शामिल नहीं हैं. वहां हड़ताल का असर दिखाई देगा. सरकार के अपने रिकॉर्ड के अनुसार, 16,000 से ज़्यादा यूनियंस हैं और 213 यूनियनों की सूची में सिर्फ़ सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र/सेवा यूनियंस हैं. उनमें भी कुछ यूनियंस में सदस्यता बहुत कम है.

ये भी पढ़ें- भारत बंद के बारे में और क्या जानकारी है?

हड़ताल में कौन-कौन भाग लेंगे?

विरोध प्रदर्शन में शामिल यूनियंस में कुछ प्रमुख यूनियन शामिल हैं. जैसे:

1. भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)

2. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)

3. हिंद मजदूर सभा (HMS)

4. भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (CITU)

5. अखिल भारतीय संयुक्त ट्रेड यूनियन केंद्र (AIUTUC)

6. ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन केंद्र (TUCC)

7. स्व-रोजगार महिला एसोसिएशन (SEWA)

8. अखिल भारतीय केंद्रीय ट्रेड यूनियन परिषद (AICCTU)

9. लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)

10. यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)

आरोप और मांगें क्या हैं?

केंद्रीय ट्रेड यूनियंस और उनके सहयोगियों के एक मंच ने बयान जारी किया. इसमें ट्रेड यूनियंस ने दावा किया कि उनकी चिंताओं को लगातार नज़रअंदाज़ किया गया है. उन्होंने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा था. लेकिन उनका कहना है कि इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया और कुछ सवाल पूछे. मसलन-

- पिछले दस सालों में भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) का आयोजन नहीं किया गया है.

- क्या चार नए लेबर कोड लागू करने से यूनियंस कमजोर होंगी और काम के घंटे बढ़ेंगे?

- क्या सरकार संविदा नौकरियों और निजीकरण को बढ़ावा दे रही है?

- क्या पब्लिक सेक्टर में ज्यादा भर्ती और सैलरी बढ़ोतरी की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है?

- क्या युवा बेरोजगारी से निपटे बिना ही कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने की पेशकश की जा रही है?

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