जिसे सुसाइड समझ रही थी पुलिस, निकला मर्डर... एक महीने बाद एक ढक्कन और चप्पल ने खोला राज
इस मामले को सुसाइड की तरह ही देख रही थी बेंगलुरु पुलिस, लेकिन कुछ बातें गले नहीं उतर रही थीं. जांच तब शक के घेरे में आई, जब पोस्टमॉर्टम में जहर से मौत की पुष्टि तो हुई, लेकिन लोकेश की चप्पलें और जहर की बोतल का ढक्कन मौके से गायब थे. फिर,महीने भर बाद खुला पत्नी की हरकत का राज.

कर्नाटक के बेंगलुरु साउथ जिले के माकली गांव में 24 जून को पूर्व ग्राम पंचायत सदस्य लोकेश की लाश मिली थी. पहले इसे सुसाइड माना जा रहा था, लेकिन जांच हुई तो पता चला कि यह एक सोची-समझी हत्या थी. आरोप है कि इस हत्याकांड की साजिश खुद मृतक की पत्नी चंद्रकला ने रची थी. पुलिस ने शुक्रवार, 25 जुलाई को इस मामले में चंद्रकला समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 24 जून को लोकेश की लाश उसकी कार में पाई गई थी. पास में जहर की बोतल भी मिली थी. शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं थे, इसलिए एमके डोड्डी थाना पुलिस ने इसे सुसाइड माना. चंद्रकला ने बताया था कि लोकेश पर कर्ज बहुत था और वो मानसिक तनाव से गुजर रहा था.
पुलिस इस मामले को सुसाइड की तरह ही देख रही थी, लेकिन कुछ बातें गले नहीं उतर रही थीं. पुलिस की जांच तब शक के घेरे में आई जब पोस्टमॉर्टम में जहर से मौत की पुष्टि तो हुई, लेकिन लोकेश की चप्पलें और जहर की बोतल का ढक्कन मौके से गायब थे. इसके बाद पुलिस ने परिवार वालों और लोकेश के जान-पहचान वालों के कॉल रिकॉर्ड खंगाले.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया,
"हमने देखा कि चंद्रकला ने घटना वाले दिन एक शख्स योगेश से कई बार बात की थी. आगे जांच में पता चला कि योगेश की बातचीत संतोष नाम के हत्या के आरोपी से हो रही थी."
संतोष के मोबाइल की लोकेशन वारदात के समय घटना वाली जगह पर दिखा रही थी. उसके साथ शिवलिंग, सूर्या और चंदन नाम के तीन और लोग भी थे. जब पुलिस ने चंद्रकला से सख्ती से पूछताछ की तो उसके बयान बदलने लगे. आखिरकार उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया और बताया कि उसने अपने पति की हत्या की साजिश योगेश के साथ मिलकर रची थी.
पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया,
"चंद्रकला और लोकेश के बीच रिश्ते ठीक नहीं थे. दोनों के बीच शक और झगड़े होते रहते थे. चंद्रकला बेंगलुरु में अपने बच्चों के साथ रहती थी और सिर्फ पंचायत की मीटिंग के लिए एमके डोड्डी जाती थी."
चंद्रकला ने अपनी परेशानी योगेश को बताई. दोनों ने मिलकर लोकेश को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. योगेश ने अपने स्कूल के दोस्त संतोष को सुपारी दी और 5 लाख रुपये में हत्या की डील तय हुई.
23 जून की रात जब लोकेश बेंगलुरु से लौट रहा था, तो योगेश उसकी हर हरकत की जानकारी संतोष को देता रहा. आरोप है कि फिर संतोष और उसके साथियों ने कनवा रोड के पास लोकेश को रोका और जबरन जहर पिलाकर उसकी हत्या कर दी.
बाद में सुसाइड दिखाने के लिए कार में बोतल रखकर आरोपी फरार हो गए. चप्पल और बोतल के ढक्कन की गैरमौजूदगी से पुलिस ने इस मर्डर केस को सुलझाया और आरोपियों को गिरफ्तार किया.
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