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काम के प्रेशर ने सीईओ साब के ब्लड प्रेशर बढ़ा दिया, आईसीयू में भर्ती होना पड़ा

बेंगलुरु बेस्ड कंपनी है Dazeinfo Media and Research. इसके फाउंडर और सीईओ हैं अमित मिश्रा. महोदय अपने लैपटॉप पर काम कर रहे थे कि अचानक से नाक से खून की धार (Bengaluru CEO lands in ICU) बह निकली. ब्लड प्रेशर ने मीटर फाड़ दिया.

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A Bengaluru-based man was hospitalised after his BP spiked to 230
सीईओ काम का दवाब नहीं झेल पाए
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सूर्यकांत मिश्रा
3 अप्रैल 2025 (Updated: 3 अप्रैल 2025, 12:04 PM IST) कॉमेंट्स
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काम ही तो है. काम ही तो करना है. थोड़ा ज्यादा कर लोगे तो क्या ही हो जाएगा. कुछ नहीं बस ब्लड प्रेशर रॉकेट हो जाएगा. ICU में भर्ती होना पड़ेगा बस. अगर इतना पढ़कर आपको लग रहा हो कि हम कोई फिलम की कहानी बताने वाले हैं तो नहीं जनाब, ऐसा वाकई में हुआ है. काम के दवाब में एक सीईओ को अस्पताल (Bengaluru CEO lands in ICU) जाना पड़ा. बेचारे का रक्तचाप बढ़कर मीटर फाड़ गया. घटना आईटी सिटी बेंगलुरु की है और सीईओ का नाम है अमित मिश्रा. मिश्रा जी का ब्लड प्रेशर नॉर्मल हुआ तो फिर LinkedIn पर आपबीती बताई.

बेंगलुरु बेस्ड कंपनी है Dazeinfo Media and Research. इसके फाउंडर और सीईओ हैं अमित मिश्रा. महोदय अपने लैपटॉप पर काम कर रहे थे कि अचानक से नाक से खून की धार बह निकली. अमित के शब्दों में, 

"आलस से भरा शनिवार, लैपटॉप पर आराम से काम करते हुए, अचानक नाक से खून बहने लगा, रुकना मुश्किल हो गया, सफ़ेद वॉशबेसिन लाल हो गया, मोटा सूती कपड़ा खून से लथपथ हो गया, कोमा में जाने का डर, ICU में भर्ती. मेरा भयावह सप्ताहांत"

जब तक नजदीकी अस्पताल पहुंचते तब तक काफी खून बह गया. अस्पताल की इमरजेंसी सर्विसेस को 20 मिनट लगे खून को अस्थाई रूप से रोकने में. मगर असल बात तो तब पता चली जब ब्लड प्रेशर चेक हुआ. सीधे 230 मतलब खतरनाक लिमिट से भी ऊपर. सामान्य तौर पर इसका मीटर 120/80 mm Hg होता है. डॉक्टर की भाषा में इसे 120 over 80 millimeters of mercury कहते हैं और अपनी में 120 over 80.

Bengaluru CEO icu
सांकेतिक इमेज 

अमित को आईसीयू में भर्ती होना पड़ा. दिलचस्प बात ये कि अमित को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं चला. मतलब नाक से खून तो आया मगर कोई सरदर्द नहीं हुआ और ना बेचैनी हुई. बहरहाल जब भर्ती हो गए और डॉक्टर उनका बीपी नॉर्मल भी कर दिए. लेकिन अभी और भी कुछ होना था. अमित दूसरे दिन सुबह उठे तो चक्कर खाकर गिरे.

पता चला कि इस बार बीपी लो हो गया. लो और हाई का कारण पता करने के लिए तमाम टेस्ट हुए मसलन ECG, LFT, ECHO, cholesterol वगैरा. चार दिन की प्रोसेस में पीड़ादायक angiography भी हुई मगर कुछ निकला नहीं. अमित अभी ठीक हैं मगर उनको समझ नहीं आ रहा कि बीपी को हुआ क्या था. बहरहाल आदमी अनुभव से ही सीखता है तो अब उनकी, आपके और हमारे किए सलाह है.

# शरीर कभी-कभी कोई संकेत नहीं देता है. इसका मतलब ये नहीं कि लगे रहो. समय-समय पर चेकअप करवाते रहो.  

#  काम जरूरी है मगर सेहत से ज्यादा नहीं

# इमरजेंसी के लिए हमेशा तैयार रहो

# मेडिकल साइंस अभी भी पहेली है. 15 टेस्ट के बाद भी कुछ पता नहीं चला.

खबर समाप्त करते हैं और अपना बीपी नहीं बढ़ाते. बाकी आप अपना ख्याल रखिए. सेहत सलामत तो सीईओ हजार. 

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