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बानू मुश्ताक ने जवानों को समर्पित किया बुकर प्राइज, बताया कैसे बिना रिसर्च लिखती हैं कहानियां

Banu Mushtaq Interview: बानू मुश्ताक ने कहा है कि उन्हें कहानी लिखने के लिए रिसर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने इस पुरस्कार को देश और देश के सिपाहियों को डेडिकेट किया है. उन्होंने अपनी कहानियों पर खुलकर बात की है.

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Banu Mushtaq Interview
बानू मुश्ताक को इस साल का बुकर प्राइज मिला है. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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मयंक मिश्रा
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23 मई 2025 (Updated: 23 मई 2025, 12:17 PM IST)
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कर्नाटक की रहने वाली लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक (Banu Mushtaq) को इस साल का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize 2025) मिला है. मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखी उनकी किताब के अंग्रेजी अनुवाद ‘हार्ट लैंप’ को ये सम्मान दिया गया है. दीपा भास्थी ने इसका अंग्रेजी अनुवाद किया है. 

बानू मुश्ताक ने कहा है कि उनको अपनी कहानियों के लिए किसी रिसर्च की जरूरत नहीं है. उन्होंने इस पुरस्कार को देश और देश के सिपाहियों को समर्पित किया है. इंडिया टुडे ग्रुप के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा,

इस पुरस्कार को मैं अपने मुल्क के हर शख्स को, मेरे मुल्क की हिफाजत कर रहे सिपाहियों को, कलाकारों को और मेरे मुल्क को डेडिकेट करना चाहती हूं.

"कहानी में भावनाओं को ज्यादा तरजीह…"

उन्होंने अपनी कहानी लिखने की प्रक्रिया के बारे में कहा,

कहानी लिखने के लिए मैं ज्यादा रिसर्च नहीं करती. मुझे जितनी जानकारी है, उसी के आधार पर मैं अपनी भावनाओं को प्राथमिकता देती हूं. मैं भावनाओं को बहुत ज्यादा तरजीह देती हूं. 

इस किताब में 12 छोटी-छोटी कहानियां हैं. इस किताब की एक कहानी पर चर्चा के दौरान लेखिका से ‘शाहिस्ता महल’ के बारे में पूछा गया. उन्होंने जवाब दिया,

इसको ताजमहल के लिए सांकेतिक तौर पर इस्तेमाल किया गया है. क्योंकि ताजमहल भी एक पत्नी के प्यार में बनवाया गया था. और कहानी में भी शाहिस्ता के प्यार में एक महल बनवाया गया है. लेकिन वो प्यार नहीं एक धोखा था. ये बात मैंने किताब में बताई है.

ये भी पढ़ें: "मेरा दिल ही मेरी प्रयोगशाला है..." International Booker Prize जीतने वाली भारतीय लेखिका ने क्या बताया?

"कम्फर्ट जोन में हूंं…"

इस किताब में लेखिका के जीवन के करीब कोई कहानी है क्या? बानू मुश्ताक इसका जवाब कुछ यूं देती हैं,

नहीं, ऐसा नहीं है. मैं तो अपनी जिंदगी में खुश हूं. मैंने अपनी मर्जी से शादी की. मेरे बच्चों की अच्छी पढ़ाई हुई और वो अच्छी स्थिति में हैं. मुझे अपना काम करने की आजादी है. कोई उंगली नहीं उठा सकता. मैं अपने कम्फर्ट जोन में हूं. मैं अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर लोगों से मिलती हूं. मैं आराम से रह सकती हूं लेकिन रह नहीं पाती. क्योंकि मुझे लोगों के मसलों को समझना है. उनके साथ रोना है और उनके साथ हंसना है. इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि कोई भी कहानी मेरे जीवन से मिलती-जुलती नहीं है.

इस दौरान उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की है कि वो अपनी आत्मकथा भी लिख रही हैं. 

वीडियो: भारतीय लेखिका की किताब Heart Lamp को मिला बुकर प्राइज़, किताब में ऐसा क्या था जान लीजिए

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