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बहराइच सांप्रदायिक हिंसा के दोषी सरफराज को फांसी की सजा, 9 को उम्रकैद

सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. सबूतों के अभाव में तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है.

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Bahraich Communal Violence Case Update Sarfaraz Gets Death Punishment Rest Nine Life Imprisonment
14 महीने चले ट्रायल के बाद अदालत ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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प्रशांत सिंह
11 दिसंबर 2025 (Updated: 11 दिसंबर 2025, 07:45 PM IST)
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बहराइच सांप्रदायिक हिंसा मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने मुख्य आरोपी सरफराज को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा दी है. बाकी नौ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. आजतक से जुड़े राम चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) पवन कुमार शर्मा ने आरोपियों की सजा का एलान किया. सभी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. सबूतों के अभाव में तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है.

दुर्गा प्रतिमा के जुलूस के दौरान हुई हिंसा

यूपी के बहराइच जिला स्थित थाना हरदी क्षेत्र के महाराजगंज बाजार में 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. जुलूस में डीजे पर बज रहे संगीत को लेकर दो समुदायों में विवाद हो गया था. तनाव बढ़ने पर पथराव और फायरिंग हुई. इसमें रेहुआ मंसूर गांव के 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मौत हो गई. 

घटना के बाद इलाके में व्यापक हिंसा भड़क उठी थी. आक्रोशित भीड़ ने कई दुकानों, घरों और वाहनों में आगजनी और तोड़फोड़ की थी. स्थिति को काबू में करने के लिए प्रशासन ने कई दिनों तक इंटरनेट सेवा बंद रखी और भारी पुलिस बल तैनात किया था.

पुलिस ने घटना के बाद कार्रवाई करते हुए कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इनमें मुख्य आरोपी सरफराज और तालिब नेपाल भागने की फिराक में थे. पुलिस ने उन्हें मुठभेड़ में पकड़ा था. आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 191(2) 191(3), 190, 103(2) 249, 61(2) के साथ आर्म्स एक्ट की धारा 30 और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी मुकदमा दर्ज हुआ था.

लगभग 14 महीने चले ट्रायल के बाद अदालत ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था. सबूतों के अभाव में तीन को बरी कर दिया. 11 दिसंबर को सभी की सजा का ऐलान किया गया. दोषी ठहराए गए लोगों में अब्दुल हमीद और उसके बेटों सहित अन्य लोग शामिल हैं. राम गोपाल मिश्रा की पत्नी रोली मिश्रा और परिवार ने सभी दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी. फैसले के बाद परिवार ने इसे न्याय की जीत बताया, हालांकि उन्होंने सभी को फांसी की मांग दोहराई.

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