'...उस दिन हम कब्र में होंगे', आजम खान ने ये क्या कहा?
अखिलेश यादव से मुलाकात पर आजम खान ने कहा कि अखिलेश उनसे पहले भी मिले थे. जेल में भी और चुनाव से पहले भी.

जेल से बाहर आने के बाद से सपा नेता आजम खान की पॉलिटिक्स और अखिलेश यादव से रिश्ते को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं. अब आजम खान ने इंडिया टुडे से जुड़े कुमार अभिषेक को दिए एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बात की है. उन्होंने कहा कि पहले उनकी जिंदगी बाहर की चर्चाओं में थी, लेकिन अब जेल में रहने की जिंदगी भी चर्चा में है. पॉडकास्ट में आजम खान ने कहा, ‘जिस दिन हम चर्चा, पर्चा और खर्चा से महरूम हो जाएंगे, उस दिन हम कब्र में होंगे.’ जब उनसे पूछा गया कि वह हमेशा चर्चा में रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि जेल में रहते हुए भी वो चर्चा में रहे, इससे वो कभी दूर नहीं हुए.
बातचीत के दौरान जेल के अनुभवों पर आजम खान ने कहा,
“अब वो जमाना नहीं रहा जब अंग्रेज गुलाम हिंदुस्तान में सम्मानित लोगों को सम्मान के साथ जेल में रखते थे. अब वक्त ऐसा है कि जिसे जितना सम्मान मिलना चाहिए, उसे उतना ही अपमानित किया जाता है.”
उन्होंने आगे कहा,
"शिकवा किसी से नहीं, शिकवा बदलते जमाने से है. हम भी उस गिरावट का हिस्सा बन गए हैं."
जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी कोई शिकायत सरकार, बीजेपी या किसी नेता से है. इस पर उन्होंने कहा,
अखिलेश से रिश्ते पर क्या बोले?“मेरा अल्लाह मुझे बदला लेने की इजाजत देता है, लेकिन सबसे बेहतर है कि बदला अल्लाह पर छोड़ दिया जाए. मैंने सब कुछ अल्लाह पर छोड़ दिया है. अगर आसमान में मालिक होता, तो न जाने कितनी बार खून बरसता."
अखिलेश यादव से मुलाकात पर आजम खान ने कहा कि वे उनसे पहले भी मिले थे. जेल में और चुनाव से पहले भी. उन्होंने कहा,
"मैं शिकायतों का कायल नहीं हूं. मैं 114 मुकदमों का मुलजिम हूं, फिर भी जो मुझसे मिले उनका बड़प्पन था. मैं उनकी इज्जत करता हूं. अब भी कभी मिलेंगे तो मैं उतनी ही इज्जत दूंगा."
जेल में फोन के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि वहां फोन की इजाजत नहीं थी, इसलिए कोई संपर्क नहीं रहा. 8 तारीख को अखिलेश का कॉल आने पर आजम बोले,
“जेल में फोन नहीं रख सकते थे. जो रूटीन फोन कर सकते थे, मैं वो भी नहीं कर सकता था.”
कोरोना काल में जेल और उनकी राजनीतिक यात्रा पर आजम खान ने कहा कि वो 10 बार विधायक, सांसद और मंत्री रहे, लेकिन उनकी पेंशन रोक दी गई. उनकी सदस्यता 5 घंटे में खत्म कर दी गई. जबकि उनकी अपील में जज ने कहा कि उनकी स्पीच में एक भी आपत्तिजनक शब्द नहीं था. उन्होंने राहुल गांधी के मामले से तुलना करते हुए कहा,
“उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि आजम खान के साथ सख्ती बरती गई.”
जब पूछा गया कि सिर्फ आजम खान ही क्यों निशाने पर हैं, तो उन्होंने कहा,
मुलायम सिंह पर क्या बोले?"यही मेरा मेडल है. मेरे बाद इस पर रिसर्च होगी."
मुलायम सिंह यादव की याद पर उन्होंने कहा कि उनके साथ गहरे रिश्ते थे, जो धर्म-जाति से परे थे. सीनिया सपा नेता ने कहा,
आगे का क्या प्लान?“मुलायम के जाने से जिंदगी में कमी आ गई. शायद मुझे मुलायम के साथ राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन अधूरे कामों की वजह से मैं रुका रहा.”
आगे की राजनीति पर आजम खान ने कहा,
"अब तो ओखली में सिर दे दिया है, तो मूसल से क्या डरना."
परिवार की सदस्यता खत्म होने पर उन्होंने कहा कि वो नवाबों से लड़कर यहां तक पहुंचे हैं. आजम खान ने दावा किया कि उन्होंने रामपुर में लोगों को ‘जागृत’ किया और नवाबों के खिलाफ जीत हासिल की.
रामपुर से चुनाव लड़ेंगे?इस सवाल पर उन्होंने कहा,
"क्या जरूरी है कि रामपुर से ही लड़ें? देश बड़ा है, कहीं से भी लड़ लेंगे या लड़ा देंगे."
पार्टी से निष्कासन पर आजम खान ने कहा कि वो समाजवादी पार्टी के फाउंडर मेंबर हैं और निकाले जाने के बाद भी पार्टी नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा,
"मुझे निकालना मजबूरी थी, वापस लेना मोहब्बत थी. मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा."
एसटी हसन के टिकट कटवाने के आरोप पर आजम ने कहा कि उन्होंने ही हसन को टिकट दिलवाया था. उन्होंने कहा कि वो हसन से मिलेंगे, और उन्हें मना लेंगे.
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