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अतुल सुभाष की मां को सुप्रीम कोर्ट से झटका, बेटा निकिता सिंघानिया के पास ही रहेगा

Atul Subhash's son custody to Nikita Singhania: जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की बेंच ने सुभाष की मां को पोते की कस्टडी देने से इनकार कर दिया. अंजू देवी के वकील ने मामले की सुनवाई को लेकर अतिरिक्त समय मांगा था, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया.

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अतुल सुभाष के बेटे की कस्टडी की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने निकिता सिंघानिया के पक्ष में फैसला दिया. (तस्वीर:सोशल मीडिया)
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शुभम सिंह
20 जनवरी 2025 (Published: 08:51 PM IST)
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बेंगलुरु के टेक इंजीनियर अतुल सुभाष का चार साल का बेटा अपनी मां निकिता सिंघानिया के साथ रहेगा. अतुल सुभाष ने दिसंबर, 2024 में आत्महत्या कर ली थी. उसके बाद उनके बेटे की कस्टडी को लेकर उनकी मां और पत्नी अपना-अपना दावा ठोक रही थीं. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अतुल की मां अंजू देवी को झटका लगा है.

मां को मिला अतुल सुभाष का बेटा

मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा कर रहे थे. बेंच ने सुभाष की मां को पोते की कस्टडी देने से इनकार कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की अनुसार, 20 जनवरी को अंजू देवी के वकील ने मामले की सुनवाई को लेकर अतिरिक्त समय मांगा था, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया. कोर्ट ने निकिता सिंघानिया के वकील को वीडियो लिंक के जरिये बच्चे को 30 मिनट में कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था. फिर बच्चे को कोर्ट में पेश किया गया. इस दौरान सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को भी बंद कर दिया गया. दोनों जजों की बेंच ने थोड़ी देर तक बच्चे से बात की.

इससे पहले 7 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा था कि अंजू देवी बच्चे के लिए ‘वास्तव में एक अजनबी’ हैं. कोर्ट ने कहा कि जहां तक संभव हो बेटे की कस्टडी माता-पिता में से किसी एक के पास रहनी चाहिए. उस दिन भी बेटे को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये सुनवाई से जोड़ा गया था. 

तब बेंच ने कहा था कि जब यह मामला दाखिल हुआ, तब तक बच्चे की कस्टडी निकिता के ही पास थी. लेकिन फिर उनको हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद अंजू देवी ने पोते का पता लगाने की मांग की थी. मामले में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की गई थी. हैबियस कॉर्पस एक अदालती आदेश होता है. इसके तहत ये पता किया जाता है कि किसी व्यक्ति को अवैध तरीके से हिरासत या कैद में तो नहीं रखा गया और उसे अदालत में पेश किया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा था कि अब स्थिति बदल चुकी है. निकिता को जमानत मिल गई है. बेटा उनके पास है. अगर अंजू देवी को अपने पोते की कस्टडी चाहिए, तो उन्हें निचली अदालत में या अन्य उचित कानूनी फोरम में जाना चाहिए.

अंजू देवी ने कोर्ट में दलील दी थी इतनी कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने उन आरोपों का भी उल्लेख किया जिनमें दावा किया गया है कि सुभाष की आत्महत्या के पीछे निकिता सिंघानिया की भूमिका थी. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि निकिता को अभी तक मामले में दोषी नहीं पाया गया है और केवल मीडिया कवरेज के आधार पर निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता.

मीडिया रपटों के मुताबिक, अतुल-निकिता का बेटा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है. कोर्ट ने उसकी स्थिति पर हरियाणा सरकार और निकिता सिंघानिया से हलफनामा भी मांगा था.

यह भी पढ़ें:अतुल सुभाष की मां ने पोते की कस्टडी मांगी थी, सोचा नहीं होगा सुप्रीम कोर्ट ये कह देगा

वीडियो संदेश के बाद की थी आत्महत्या

बिहार के समस्तीपुर के अतुल सुभाष की शादी यूपी के जौनपुर की निकिता सिंघानिया से अप्रैल, 2019 में हुई थी. दोनों बेंगलुरु में रहकर जॉब करते थे. एक साल बाद बेटे का जन्म हुआ. लेकिन 2021 में दोनों के बीच हुए झगड़े के बाद निकिता ने अपने बच्चे के साथ बेंगलुरु के घर को छोड़ दिया. साल 2022 में निकिता ने अतुल सुभाष और उनके परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया.

अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर, 2024 को अपने बेंगलुरु के फ्लैट में खुदकुशी कर ली. उससे एक दिन पहले उन्होंने 81 मिनट का एक वीडियो और 24 पेज के सुसाइड नोट को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों पर झूठे मामले दर्ज कराने का आरोप लगाया था.

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