असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग में नहीं रुक रही हिंसा, 2 लोगों की मौत, 48 पुलिसकर्मी घायल
Assam West Karbi Anglong Violence: भीड़ ने दुकानों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. कई गाड़ियों में भी आग लगाई गई. पुलिस पर बम, पत्थर और तीर से हमला किया गया. हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है. वहीं 48 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इधर सरकार ने सफाई जी है कि भूख हड़ताल कर रहे लोगों को केवल मेडिकल चेक अप के लिए ले जाया गया था, हिरासत में नहीं लिया गया था.

असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग में हिंसा मंगलवार, 23 दिसंबर को भी जारी रही. इस दौरान 2 लोगों की मौत हो गई. वहीं कई लोग घायल हुए हैं. असम के डीजीपी हरमीत सिंह ने बताया कि 48 पुलिसकर्मी भी इस हिंसा में घायल हुए हैं. इस बीच कार्बी आंगलोंग और वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.
हिंसा मुख्य रूप से पश्चिम कार्बी आंगलोंग के खेरोनी के आस-पास के इलाकों में हो रही है. यह असम की राजधानी गुवाहाटी से लगभग 190 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को भीड़ ने दुकानों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. कई गाड़ियों में भी आग लगाई गई. पुलिस पर बम, पत्थर और तीर से हमला किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक जिन दो लोगों की मौत हुई है, उनमें से एक आदिवासी प्रदर्शनकारी था. बताया गया कि झड़प के दौरान लगी चोट के कारण उसने दम तोड़ दिया. वहीं दूसरा मृतक गैर-आदिवासी व्यक्ति था और दिव्यांग था. हिंसा के दौरान एक इमारत में आग लगा दी गई थी, जिसमें फंसकर उसकी जान चली गई.
डीजीपी ने की शांति की अपीलइधर, असम के पुलिस महानिदेशक (DGP) हरमीत सिंह सोमवार (22 दिसंबर) की शाम से हिंसाग्रस्त इलाकों में हैं. वह प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं. डीजीपी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया,
सुरक्षा बढ़ाई जाएगी: सीएमकल से यहां बहुत बड़ी भीड़ जमा है. मैंने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उनसे बात की. कल रात, उनके नेता को मेडिकल चेक-अप के लिए गुवाहाटी ले जाया गया, क्योंकि डॉक्टरों को लगा कि भूख हड़ताल की वजह से उनकी सेहत बिगड़ रही है, लेकिन किसी ने गलत जानकारी फैला दी कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. आज, उन्होंने पुल पर कब्ज़ा करने की कोशिश की, और जब हमने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने हम पर हमला कर दिया. कच्चे बम और पत्थर फेंके गए. मुझ पर तीर-कमान से हमला किया गया. सरकार उनसे बात कर रही है और इसके लिए एक तारीख तय की गई है. मुख्यमंत्री ने उन्हें एक तारीख दी है और उसके बाद भूख हड़ताल वापस ले ली गई. लेकिन, उन्होंने सभी दुकानें जला दी हैं और अब तक 48 पुलिसकर्मी घायल हो चुके हैं. मैं यह संदेश देना चाहता हूँ कि प्रदर्शनकारियों को रुक जाना चाहिए, और ऐसा करने से उन्हें कुछ नहीं मिलेगा. सरकार समाधान खोजने के लिए तैयार है. हिंसा से किसी को कुछ नहीं मिलता. हमारे पास सभी वीडियो और चेहरे हैं. हम कानूनी कार्रवाई करेंगे.
सोमवार, 22 दिसंबर की रात को असम के शिक्षा मंत्री रानोज पेगू ने भी DGP के साथ इलाके का दौरा किया था. वहीं असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मौतों की पुष्टि करते हुए दुख जताया है. कहा है कि वह स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं. सीएम ने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए बुधवार, 24 दिसंबर को खेरोनी में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे. हम सामान्य स्थिति बहाल करने और बातचीत के ज़रिए मुद्दों को हल करने के लिए सभी संबंधित लोगों के लगातार संपर्क में हैं. सरकार सभी प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी रहेगी और सभी जरूरी सहायता प्रदान करेगी. इससे पहले सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने खेरोनी से 26 किमी दूर डोनकामोकाम में कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) प्रमुख और भारतीय जनता पार्टी के नेता तुलिराम रोंगहांग के पैतृक घर पर आग लगा दी थी.

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क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?पश्चिम कार्बी आंगलोंग के खेरोनी इलाके में कई लोग बीते दो सप्ताह से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे थे. यह लोग विलेज ग्रेजिंग रिजर्व (VGRs) और प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व (PGRs) से कथित अवैध कब्जा हटाने की मांग कर रहे थे. यह क्षेत्र विशेष रूप से चरवाहों के लिए आरक्षित होते हैं. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कार्बी पहाड़ियों में जमीन के बड़े हिस्से पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है. इनमें असम के बाहर के लोग हैं, जो कार्बी समुदाय के नहीं हैं. रविवार, 21 दिसंबर को पुलिस ने 9 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था. इसमें आंदोलन के एक प्रमुख नेता लित्सोंग रोंगफार भी शामिल थे. जैसे ही यह खबर फैली, गांववालों और आंदोलन के समर्थकों में गुस्सा भड़क गया. इसके बाद भूख हड़ताल वाली जगह पर सोमवार की सुबह काफी लोग जमा हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कर दीं और कथित तौर पर इलाके में गाड़ियों और दुकानों में तोड़फोड़ की. हालांकि पुलिस और सरकार का कहना है कि भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को केवल मेडिकल चेक-अप के लिए ले जाया गया था. यह अफवाह है कि उन्हें हिरासत में लिया गया है.
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