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CBI ने अनिल अंबानी के बेटे के खिलाफ 228 करोड़ के बैंकिंग फ्रॉड का केस दर्ज किया

सीबीआई ने IPC की धारा 120-B और 420, साथ ही प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13(2) और 13(1)(d) तथा संशोधित PC एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया है.

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Anil Ambani's son Jai Anmol named in Rs 228 crore banking fraud case by CBI
यूनियन बैंक ने 228.06 करोड़ रुपये का रॉन्गफुल लॉस होने का दावा किया है. (फोटो- इंडिया टुडे)
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प्रशांत सिंह
9 दिसंबर 2025 (Published: 05:20 PM IST)
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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने बिज़नेसमैन अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया है. ये केस रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से जुड़े एक बड़े बैंकिंग फ्रॉड से जुड़ा हुआ है. एजेंसी ने पहली बार अनमोल के नाम पर कोई आपराधिक मामला दर्ज किया है.

अधिकारियों के मुताबिक, केस में RHFL, इसके पूर्व CEO और होल-टाइम डायरेक्टर रवींद्र सुधालकर और कुछ अज्ञात लोगों, जिनमें अज्ञात सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं, का नाम है. शिकायत में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार के आरोप लगाए गए हैं. इस मामले में बैंक को 228.06 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

CBI ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-B और 420, साथ ही प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13(2) और 13(1)(d) तथा संशोधित PC एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया है. जांच का जिम्मा नई दिल्ली स्थित CBI की बैंकिंग सिक्योरिटी एंड फ्रॉड ब्रांच के इंस्पेक्टर रोशन लाल को सौंपा गया है.

बैंक ने शिकायत में क्या बताया?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक CBI को भेजी गई लिखित शिकायत में कहा गया है कि जय अनमोल अनिल अंबानी, रवींद्र सुधालकर और अन्य लोगों ने लोन देने और उसे चुकाने में अनियमितताओं के जरिए बैंक को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया. एजेंसी ने इस मामले में धोखाधड़ी और पद के दुरुपयोग से जुड़े आरोप दर्ज किए हैं.

धोखाधड़ी के इस मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी जनरल मैनेजर अनूप विनायक तराले ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके अनुसार, RHFL ने मुंबई स्थित बैंक की SCF ब्रांच से लोन लिया था, और अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत होने का दावा किया था. इन दावों के आधार पर बैंक ने 2015 से 2019 के बीच 450 करोड़ रुपये के टर्म लोन मंजूर किए. साथ ही कंपनी द्वारा जारी 100 करोड़ रुपये के प्राइवेटली प्लेस्ड नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (इसके तहत तय समय के लिए कंपनी इन्वेस्टर को इंटरेस्ट देती है. इन्हें कंपनी के शेयर में नहीं बदला जा सकता) भी सब्सक्राइब किए.

लोन अकाउंट बना NPA

बैंक ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने लोन की राशि को तय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने की बजाय डायवर्ट कर दिया. लोन अकाउंट 30 सितंबर 2019 को NPA बन गया था, और गहन जांच के बाद बैंक ने 10 अक्टूबर 2024 को इस अकाउंट को “फ्रॉड” घोषित कर दिया. इसके बाद RBI को इस बारे में सूचना दी गई.

यूनियन बैंक ने 228.06 करोड़ रुपये का ‘रॉन्गफुल लॉस’ होने का दावा किया है. ग्रांट थॉर्नटन इंडिया LLP द्वारा अप्रैल 2016 से जून 2019 तक की अवधि के लिए किया गया फॉरेंसिक ऑडिट इन आरोपों का मुख्य आधार है. ऑडिट में पाया गया कि कंपनी के जनरल पर्पज कॉर्पोरेट लोन्स का लगभग 86%, यानी 12,573.06 करोड़ रुपये की राशि कंपनी से जुड़ी एंटिटीज को ट्रांसफर कर दी गई. इनमें से बड़ी रकम ग्रुप कंपनियों को भेजी गई या संबंधित पक्षों का कर्ज चुकाने में इस्तेमाल हुई.

ऑडिट में सर्कुलर ट्रांजेक्शन भी पकड़े गए, जिसमें पैसा घुमाकर वापस RHFL को रूट किया गया था. साथ ही बड़ी रकम का एंड-यूज ट्रेस नहीं हो सका क्योंकि डेटा में गैप थे. बैंक ने आगे आरोप लगाया है कि पूर्व डायरेक्टर्स उस पीरियड में कंपनी के हर दिन के काम और फाइनेंशियल डिसीजन के लिए सीधे जिम्मेदार थे. शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने अपने साथियों और अनजान पब्लिक सर्वेंट्स के साथ मिलकर क्रिमिनल कांस्पिरेसी रची. बैंक को चीट किया, अकाउंट्स को मैनिपुलेट किया गया, और पब्लिक फंड्स का भी गलत इस्तेमाल किया गया.

वीडियो: खर्चा-पानी: क्या अनिल अंबानी इस डील से 'कमबैक' करने वाले हैं?

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