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अमित शाह ने रिटायरमेंट प्लान बताकर चौंकाया, बताया राजनीति के बाद क्या करेंगे

Cooperative Ministry के एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री Amit Shah की मौजूदगी में सहकारिता समितियों से जुड़ीं महिलाओं ने अपनी सफलता की कहानियां सुनाईं. इस दौरान अमित शाह ने अपने रिटायरमेंट प्लान के बारे में बताया.

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गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रिटायरमेंट प्लान का खुलासा किया. (X @AmitShah)
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मौ. जिशान
9 जुलाई 2025 (Updated: 9 जुलाई 2025, 08:20 PM IST) कॉमेंट्स
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केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार, 9 जुलाई को अपना रिटायरमेंट प्लान बताया. उन्होंने कहा कि जब वो राजनीति छोड़ देंगे तो अपनी बाकी जिंदगी वेद, उपनिषद और प्राकृतिक खेती को समर्पित करेंगे. उन्होंने यह बयान अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के मौके पर 'सहकार संवाद कार्यक्रम' में दिया. इसमें गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाएं शामिल थीं.

कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने सहकारिता के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की कहानियां सुनाईं. सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम में शामिल महिलाओं से उनके कामकाज के बारे में जाना. इस दौरान उन्होंने अपने रिटायरमेंट प्लान का खुलासा करते हुए कहा,

"मैंने तो तय किया है कि मैं जब भी रिटायर हो जाऊंगा, मैं मेरा बाकी का जीवन वेद उपनिषद और प्राकृतिक खेती के लिए खर्च करूंगा. प्राकृतिक खेती इस प्रकार का एक वैज्ञानिक प्रयोग है, जो कई प्रकार के फायदे देता है."

उन्होंने प्राकृतिक खेती की खूबियों को विस्तार से बताया और कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर्स से उगाई गए गेहूं से कई बार स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती ना केवल शरीर को रोग मुक्त बनाती है बल्कि कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाती है.

अमित शाह ने अपने मंत्री जिंदगी के सफर पर भी बात की. उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय उनके लिए बहुत खास है. कहा कि जब उन्हें देश का गृह मंत्री बनाया गया था, तो सभी ने कहा कि उन्हें बहुत अहम विभाग मिला है. अमित शाह बताते हैं कि जब उन्हें सहकारिता मंत्री बनाया गया, तो उन्हें लगा कि गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग मिला है. यह मंत्रालय देश के किसानों, गरीबों, गांवों और पशुओं के लिए काम करता है.

कार्यक्रम में उन्होंने त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी. यह भारत के सहकारी आंदोलन के जनक माने जाने वाले त्रिभुवन काका के नाम पर है. उन्होंने कहा कि त्रिभुवन काका ने सहकारिता आंदोलन की सच्ची नींव रखी थी. इसी कारण आज गुजरात की महिलाएं 80,000 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही हैं. अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संसद में त्रिभुवन काका का नाम लेने का विरोध किया, लेकिन मैंने मजबूती से कहा कि विश्वविद्यालय का नाम उन्हीं के नाम पर होगा.

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