अखिलेश यादव ने आजम खान को 'सपा की धड़कन' बताया, लेकिन उन्होंने क्या कहा?
आजम खान ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर अखिलेश यादव उनसे मिलना चाहते हैं तो उन्हें अकेले आना होगा. उन्होंने अल्टिमेटम दिया था कि उनके अलावा उनके परिवार का कोई सदस्य अखिलेश यादव से नहीं मिलेगा.

अखिलेश यादव बुधवार, 8 अक्टूबर को आजम खान से मिलने रामपुर पहुंचे. बीती 23 सितंबर को जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद आजम खान और अखिलेश यादव की ये पहली मुलाकात है. 15 दिन बाद आजम खान से मिलने पहुंचे अखिलेश यादव ने कहा कि वो जेल में उनसे नहीं मिल पाए थे, इसलिए अब मिलने आए हैं. सपा प्रमुख ने आजम को ‘पार्टी की धड़कन’ भी बताया.
2 घंटे से ज्यादा चली इस मुलाकात के बाद मीडिया से दोनों नेताओं ने क्या कहा बताएंगे, मगर उससे पहले मुलाकात से पहले का संदर्भ जानते हैं. आजम खान ने 24 घंटे पहले एक अल्टिमेटम दिया था. उन्होंने साफ कहा था कि अगर अखिलेश यादव उनसे मिलना चाहते हैं तो उन्हें अकेले आना होगा. आजम खान ने ये भी कहा था कि उनके अलावा उनके परिवार का कोई सदस्य अखिलेश यादव से नहीं मिलेगा.
पार्टी के सीनियर नेता ने बयान दिया,
"न मेरी पत्नी मिलेंगी, न मेरा बेटा अब्दुल्लाह मिलेगा. अखिलेश यादव के साथ भी उनकी सिक्योरिटी के अलावा कोई अन्य नेता या व्यक्ति मेरे घर में न आए."
हालांकि आजम खान ने ये भी कहा था कि अगर अखिलेश यादव उनसे मिलने आते हैं तो ये उनका सम्मान होगा. उन्होंने ये भी बताया कि अखिलेश यादव से उनकी फोन पर भी कोई बात नहीं हुई है, क्योंकि बीते दिनों उनके फोन बंद थे.
पठान मुस्लिमों की नुमाइंदगी करते हैं आजम खान
इलेक्टोरल रोल के डेटा के अनुसार, रामपुर में लगभग 60 प्रतिशत मतदाता मुसलमान हैं. 'सपा की धड़कन' आजम खान का यहां लंबे वक्त से बोलबाला है. वो यहां पठान मुस्लिमों की नुमाइंदगी करते आए हैं. 1980 से अब तक, आजम खान इस निर्वाचन क्षेत्र से 10 बार जीत चुके हैं. रामपुर में पठानों के पास सबसे बड़ा वोट बैंक है. उनके लगभग 80 हजार वोट हैं.
हालांकि रामपुर से इस समय सपा के ही मोहिबुल्ला नदवी सांसद हैं जो तुर्क मुस्लिमों के नेता माने जाते हैं. उनका वोट बैंक 30 हजार के आसपास बताया जाता है. और सैफियों के लगभग 3 हजार वोट हैं. लेकिन मुकाबला तुर्कों और पठानों के बीच माना जाता है. पिछले लोकसभा चुनाव में रामपुर से सपा उम्मीदवार के रूप में जब नदवी के नाम की घोषणा हुई थी तो तुर्क मुस्लिमों ने दिवाली जैसा जश्न मनाया था. वैसे ‘तुर्क बनाम पठान’ का झगड़ा सिर्फ रामपुर तक सीमित नहीं है. ये संभल, मुरादाबाद समेत आसपास के कई जिलों तक फैला है.
मुलाकात के बाद अखिलेशबहरहाल, दो घंटे लंच पर मुलाकात चली. फिर सामने आए बयान. सपा सुप्रीमो और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि आजम और उनके परिवार को झूठे मुकदमोें में फंसाया गया है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा की तरह पुराने साथियों के साथ खड़ी है. अखिलेश ने कहा,
“मैं पहले नहीं पहुंच पाया था, इसलिए आज उनके घर मिलने और हालचाल पूछने आया हूं. आजम खान बहुत पुराने नेता हैं, और पुराने नेताओं की बात ही कुछ और होती है. वो हमारी पार्टी के दरख्त हैं, जिनकी जितनी गहरी जड़ें हैं, उतना ही बड़ा साया हमारे साथ है.”
अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा,
“बीजेपी शायद गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहती है कि आजम खान पर ज्यादा केस दर्ज हों. आजम साहब, उनकी पत्नी और बेटे अब्दुल्लाह पर झूठे केस लगाए गए हैं.”
अखिलेश ने आजम खान से मुलाकात की फोटो X पर शेयर भी की. साथ में लिखा,
“क्या कहें भला उस मुलाकात की दास्तान, जहां बस जज़्बातों ने खामोशी से बात की.”

रिकॉर्ड के लिए बता दें कि आजम खान अक्टूबर 2023 से सीतापुर जेल में बंद थे. 23 सितंबर 2025 को वो जेल से बाहर आए. सीतापुर से अखिलेश का निवास स्थल लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है. फिर भी आजम के पास पहुंचने में उन्हें 15 दिन लग गए. इसी को लेकर आजम खान से सवाल भी पूछा गया. और उनके जवाब पहेलीनुमा और तंज से भरे आज भी थे.
सवाल: अखिलेश ने X पर लिखा कि खामोशी से दिल मिल गए.
जवाब: दिल जुदा कब हुए थे? आप आग लगाने वाली बात कर रहे हैं.
सवाल: दो घंटे की मुलाकात में क्या कुछ हुआ?
जवाब: कोई शिकवा और शिकायत नहीं. पार्टी को अच्छे से रहना चाहिए. सेहत को लेकर बात हुई. जब दो लोग बैठेंगे, तो बात तो करेंगे ही ना.
सवाल: रामपुर की सियासत से क्या आजम खान खुश हैं?
जवाब: रामपुर में कोई सियासत ही नहीं रही है पिछले वर्षों में. तकलीफों का दौर अभी खत्म थोड़ी हो गया है. मुर्गी चोरी में 30 लाख का जुर्माना इतनी लंबी सजा. जेल में और रहना पड़ेगा, इतना कहां से दूंगा. घर बेच दूंगा, तब भी नहीं दे पाऊंगा.
सवाल: अखिलेश से मदद मांगी?
जवाब: अखिलेश से क्यों ये सब कहूंगा, इतनी खुद्दारी तो है मुझमें. अखिलेश सब कुछ पहले से जानते हैं. अखिलेश कानूनी तौर पर मेरी मदद करते रहे हैं और करते रहना भी चाहिए.
सवाल: सांसद नदवी मिलने नहीं आए, आपने कहा था कि आप उन्हें नहीं जानते.
जवाब: अब तो जानता हूं, जब से वो सांसद हो गए हैं. पहले नहीं जानता था. वो पसंद न पहले थे और न आज हैं.
सवाल: भाजपा के मंत्रियों के आरोप हैं कि चुनाव नजदीक आ गया है इसलिए मुलाकात हुई है.
जवाब: क्या चुनाव जल्दी हो रहा है? 2027 तो अभी बहुत दूर है. अगर चुनाव नजदीक आ गया है तो बात कुछ बिगड़ी हुई है.
कई राजनीतिक जानकार अखिलेश यादव और आजम खान की इस मुलाकात को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए ‘एनर्जी बूस्टर’ मान रहे हैं. लेकिन वे ये भी कहते हैं कि अखिलेश के लिए आजम खान ‘दवा और दर्द’ दोनों हैं. वो अपने तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं जिनसे अखिलेश बचने की कोशिश करते रहे हैं. आने वाले समय में ये देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश इस बैलेंस को कैसे मेंटेन करते हैं.
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