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अब सड़क चलते पकड़े जाएंगे अपराधी! दिल्ली पुलिस ऐसे AI कैमरे लगाने जा रही है

Delhi पुलिस AI से चलने वाली FRS तकनीक का विस्तार करने जा रही है. इस प्रोजेक्ट को जून से शुरु किया जा सकता है. जिसका मकसद चेहरे की पहचान करके पूरे शहर में निगरानी करना है. क्या है ये प्रोजेक्ट?

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AI will identify the faces of criminals delhi police used Facial Recognition System
दिल्ली पुलिस AI से चलने वाली FRS तकनीक का विस्तार बड़े लेवल पर करने जा रही है (फोटो: आजतक/ प्रतीकात्मक)
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अर्पित कटियार
6 अप्रैल 2025 (Published: 12:58 PM IST)
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तारीख-17 मार्च, 2025. अजमल भाई गणेश एक फर्म से 80 लाख रुपये नकद लेकर घर जा रहे थे. उन्हें पता नहीं था कि कोई उनका पीछा कर रहा है. तभी अचानक, उत्तरी दिल्ली के फतेहपुरी के पास एक नकाबपोश व्यक्ति ने उन पर बंदूक तान दी. डर की वजह से गणेश ने पूरी नकदी उस नकाबपोश लुटेरे को सौंप दी. ये घटना पास में लगे CCTV कैमरे में कैद हो गई. ठीक तीन दिन बाद, जिला पुलिस ने कैमरे की फुटेज से लुटेरे का स्क्रीनशॉट लिया अपने फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (Facial Recognition System - FRS) में डाला. जो चेहरा उभर कर सामने आया, वो मोहम्मद अली का था. जिसने पहले भी ऐसी ही दो लूटों को अंजाम दिया था.

FRS की मदद से चेहरे की पहचान करने वाली ये तकनीक नई नहीं है. ये एक इजरायली सॉफ्टवेयर है जिसका इस्तेमाल दिल्ली पुलिस 2018 से करती आ रही है. अब खबर पर आते हैं. दिल्ली पुलिस AI से चलने वाली FRS तकनीक का विस्तार बड़े लेवल पर करने जा रही है. इस प्रोजेक्ट को जून 2025 से शुरु किया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस एक एडवांस C4I सेंटर स्थापित कर रही है. C4I मतलब-कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर और इंटेलीजेंस. जिसका मकसद चेहरे की पहचान करके पूरे शहर में निगरानी करना है. हालांकि, इस प्रोजेक्ट में इजरायली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. बल्कि, इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत एक रिसर्च संगठन ने प्रशिक्षित और विकसित किया है. C4I सेंटर, शहर भर में लगे 10,000 हाई-रिजॉल्यूशन वाले CCTV कैमरों से लाइव फीड प्राप्त करेगा.

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रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन से जुड़े अपार गुप्ता का कहना है कि चेहरे की पहचान को दूसरे डेटा स्ट्रीम के साथ जोड़कर किसी भी शख्स की डिटेल्ड प्रोफाइल बनाई जा सकती है. हालांकि, उन्होंने इस तकनीक के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता भी जताई. उन्होंने कहा,

“गलत मिलान से लोगों के लिए बुरे परिणाम हो सकते हैं. अगर पुलिस गलत मिलान को सच मान लेती है तो, एक निर्दोष व्यक्ति को जांच में घसीटा जा सकता है या हिरासत में भी लिया जा सकता है... सामाजिक रूप से, एक बार जब किसी को गलती से 'अपराधी' या 'दंगाई' करार दिया जाता है, तो उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है.”

वर्तमान में, उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली पुलिस इजरायली सॉफ्टवेयर से लैस वैन चलाती है. जो सड़कों पर चेहरों को स्कैन करने और संदिग्धों की पहचान करने में मदद करती है. कैमरों और कंप्यूटरों से लैस ये FRS वैन संभावित हमलों के बारे में पहले से सचेत करती है. रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले उत्तर-पश्चिमी जिले में, FRS ने पिछले एक साल में कम से कम 200 अपराधियों को पकड़ने में मदद की. वहीं, इस फरवरी में, जिले की पुलिस ने सॉफ्टवेयर का उपयोग करके दो चोरी के मामलों को सुलझाया.

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