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डॉक्टर को 12 दिन डिजिटल अरेस्ट में रखा, नकली कोर्ट का ड्रामा दिखाया, 8 करोड़ लूट लिए

अहमदाबाद में एक सीनियर सिटीजन डॉक्टर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के नाम पर फंसाया गया. साइबर ठगों ने उन्हें 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इस दौरान 8 करोड़ रुपये हड़प लिए.

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ठगो ने डॉक्टर को ED के नाम पर फंसाया. (सांकेतिक तस्वीर-इंडिया टुडे)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
31 अगस्त 2025 (Published: 09:30 PM IST)
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कई अलर्ट और साइबर पुलिस की सख्ती के बावजूद ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले थम नहीं रहे हैं. ताजा मामला गुजरात के अहमदाबाद का है. जहां एक सीनियर सिटीजन डॉक्टर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के नाम पर फंसाया गया. साइबर ठगों ने उन्हें 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इस दौरान 8 करोड़ रुपये हड़प लिए. डॉक्टर की शिकायत के बाद क्राइम ब्रांच ने मास्टरमाइंड विकास कुमार सिंह समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

इंडिया टुडे से जुड़े बृजेश दोशी की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित डॉक्टर को पहले एक वॉट्सऐप कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को ED का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि जेट एयरवेज मनी लॉन्ड्रिंग स्कैम में आपके बैंक अकाउंट से 5 लाख रुपये जमा हुए हैं. ठगों ने आगे कहा कि अगर जांच में सहयोग नहीं किया तो 40 दिन की रिमांड ले लेंगे. वहीं इस बारे में किसी से बताने पर उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि इसके बाद ठगों ने वृद्ध डॉक्टर से कहा कि कोर्ट में उनकी सुनवाई ऑनलाइन होगी. उन्हें वीडियो कॉल पर कोर्ट जैसी प्रक्रिया दिखाई गई. जिसमें वकील, जज और कोर्ट स्टाफ के लोग एक्टिंग करते दिखे. इसके बाद पीड़ित को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नाम से एक फर्जी लेटर भी भेजा गया. ठगों ने डॉक्टर को यकीन दिला दिया कि मामला पूरी तरह से असली है.

आरोपियों ने डॉक्टर से कहा कि उनके बैंक के पैसे सिक्योरिटी के तौर पर अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करने होंगे. इस दौरान पीड़ित डॉक्टर ने डर से 12 दिन में 7 अलग-अलग बैंक खातों में कुल 8 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. आरोपियों ने विश्वास दिलाया कि जांच पूरी होने के बाद सारे पैसे उन्हें वापस मिल जाएंगे. लेकिन पैसे वापस नहीं मिले.

इसके बाद पीड़ित डॉक्टर ने मामले की शिकायत पुलिस से की. इस दौरान डॉक्टर ने जिस खाते में पैसे ट्रांसफर किए थे, उनकी जांच की गई. जांच में पता चला कि वह बैंक अकाउंट अहमदाबाद के नरोला के रहने वाले पप्पू सिंह का है. पुलिस की पूछताछ में पप्पू ने बताया कि वह कमीशन के लालच में बैंक अकाउंट किराए पर दे बैठा था. उसे लालच दिया गया था कि खाते में जितने पैसे ट्रांसफर होंगे, उसका 10 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा. लेकिन पैसे खाते में ट्रांसफर तो हुए, मगर अंत में ठगों ने मात्र 780 रुपये ही उसके हिस्से में छोड़े. बाकी के पैसे अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए गए थे. यानी खुद पप्पू भी ठगी का शिकार बन गया था.

पुलिस की आगे की जांच में पता चला कि इस ठगी का मास्टरमाइंड विकास कुमार सिंह है. वह बिचौलिए आसिफ की मदद से पप्पू के संपर्क में आया था. वहीं विकास टेलीग्राम ऐप के जरिए कंबोडिया में बैठे साइबर फ्रॉड गैंग से जुड़ा हुआ था. पुलिस ने बताया कि इन ठगों के पास ऐसी हाईटेक एप्लीकेशंस हैं, जिनसे कॉल करने पर लोकेशन भारत में ही दिखती है, जबकि कॉल विदेश से आ रही होती है.

अहमदाबाद के ACP भरत पटेल ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है. आरोपी विकास, बिचौलिया आसिफ और पप्पू सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि कंबोडिया में बैठे साइबर गैंग तक पहुंचना अभी भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. उन्होंने बताया कि ऐसे गैंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं. ED, CBI, NIA जैसी जांच एजेंसियों के नाम पर लोगों को डराते हैं.

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