2025 में टीबी मुक्त नहीं हुआ भारत, आखिर इतनी घातक क्यों है ये बीमारी?
टीबी एक संक्रामक बीमारी है. ये माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नाम के बैक्टीरिया से होती है.

दुनियाभर में होने वाली मौतों के टॉप 10 कारणों में से एक है टीबी. ऐसा कहना है, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन यानी WHO की ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2025 का. इसे 12 नवंबर 2025 को जारी किया गया है. ये रिपोर्ट बताती है कि साल 2024 में, दुनियाभर में टीबी के एक करोड़ से ज़्यादा नए मामले सामने आए. वहीं 12 लाख से ज़्यादा लोगों की इससे मौत हुई.
टीबी के सबसे ज़्यादा मामले 30 देशों में देखे जाते हैं. साल 2024 में टीबी के 87% मामले इन्हीं 30 देशों से रिपोर्ट हुए. पहले नंबर पर कौन-सा देश है? भारत. टीबी के 25% मामले भारत में रिपोर्ट होते हैं. इसके बाद इंडोनेशिया, फिलीपींस, चाइना, पाकिस्तान, नाइजीरिया और बाकी देश हैं.
ये हाल तब है, जब भारत सरकार ने 2025 तक टीबी को देश से मिटाने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए National Tuberculosis Elimination Programme भी चलाया गया. सरकार टीबी को देश से जड़ से मिटाना चाहती थी, लेकिन फिलहाल ऐसा हो नहीं पाया है. मगर अंधेरे के बीच रोशनी की एक किरण भी है.

Ministry of Health and Family Welfare ने 12 नवंबर को एक प्रेस रिलीज़ जारी की. बताया कि देश में टीबी के मामलों में कमी आई है. जहां 2015 में हर 1 लाख में टीबी के 237 मामले रिपोर्ट होते थे, वहीं 2024 में ये घटकर 187 हो गए. यानी कुल 21% की गिरावट आई है.
दुनियाभर में टीबी के मामलों में 12% की गिरावट देखी गई है. पर भारत में ये 21% है. यानी 2025 तक देश में टीबी भले खत्म न हुआ हो, लेकिन मामले घटे ज़रूर हैं.
देश में टीबी से होने वाली मौतों में भी कमी आई है. 2015 में जहां हर एक लाख आबादी पर 28 मौतें हो रही थीं. वहीं 2024 में प्रति एक लाख आबादी पर 21 मौतें हुईं.
अब सरकार तो पूरी कोशिश कर ही रही है. लेकिन हम भी सावधान रहकर मामले घटाने में मदद कर सकते हैं.
टीबी क्यों होता है. ये कैसे फैलता है. इसके क्या लक्षण हैं. और टीबी से कैसे बचें? ये सब हमने जाना आकाश हेल्थकेयर में रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट एंड हेड, डॉ. अक्षय बुधराजा से.
टीबी कैसे फैलता है?
डॉक्टर अक्षय बताते हैं कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है. ये माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नाम के बैक्टीरिया से होती है. जब टीबी से पीड़ित व्यक्ति खांसता, छींकता या पास आकर बात करता है, तो ये बैक्टीरिया हवा के ज़रिए आसपास मौजूद लोगों के फेफड़ों में चले जाते हैं. इससे टीबी फैलता है. टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों पर असर करता है. पर ये शरीर के हर अंग में फैल सकता है. बाल और नाखून छोड़कर, शरीर का कोई हिस्सा इससे अछूता नहीं रहता.
टीबी के प्रकारटीबी के दो मुख्य प्रकार हैं. एक, फेफड़ों का टीबी. इसे पल्मोनरी ट्यूबरक्यूलोसिस कहते हैं. ये सबसे आम है. भारत में करीब 80% मामले फेफड़ों के टीबी के हैं. इसलिए इसके लक्षण मालूम होना ज़रूरी हैं.
दूसरा, अन्य अंगों का टीबी. जिसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्यूलोसिस कहते हैं. ऐसा टीबी हड्डियों, लिम्फ नोड्स, किडनी, पेट, प्राइवेट पार्ट, दिमाग कहीं भी हो सकता है.

- दो हफ़्ते से ज़्यादा खांसी रहना.
- खांसी के साथ खून या बलगम आना.
- भूख कम लगना.
- वज़न घटना.
- बुखार रहना, जो शाम को बढ़ जाता है.
- रात में पसीना आना.
- बच्चों में विकास रुक जाना.
अगर महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में टीबी हो जाए, तो इनफर्टिलिटी भी हो सकती है. कुछ मामलों में टीबी का कोई साफ लक्षण नहीं दिखता. रूटीन जांच में मरीज़ को टीबी होने का पता चलता है.

अगर आपको टीबी के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच ज़रूर कराएं. अगर टीबी का पता चलता है, तो उसका इलाज किया जाएगा. National Tuberculosis Elimination Programme के तहत मरीज़ को मुफ्त दवाइयां दी जाएंगी. उनका इलाज बिल्कुल फ्री होगा.
आमतौर पर, टीबी की दवा का कोर्स 6 से 9 महीने तक चलता है. लेकिन ये टीबी के टाइप और मरीज़ की स्थिति पर भी निर्भर करता है.
टीबी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. बशर्ते इसका टाइम से पता चल जाए. मरीज़ इलाज बीच में न छोड़े. अगर मरीज़ पूरा इलाज करवाता है. दवाइयां ठीक से लेता है. डॉक्टर का कहा मानता है, तो टीबी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.
जिन्हें टीबी नहीं है. वो इससे बचने के लिए कुछ टिप्स फॉलो कर सकते हैं. जैसे टीबी के मरीज़ के पास हमेशा मास्क पहनकर जाएं. खांसते या छींकते समय मुंह ढक लें. हाथ धोते रहें और हेल्दी खाना खाएं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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