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टाइप 1, टाइप 2 तो सुना है, ये टाइप 5 डायबिटीज क्या है? कम वजन वाले लोगों को जकड़ती है

अनुमान है कि टाइप 5 डायबिटीज़ से दुनियाभर में 2 से ढाई करोड़ लोग प्रभावित हैं. इसके बारे में सबकुछ जान लीजिए.

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what is type 5 diabetes and how is it different from type 1 and type 2 diabetes
टाइप 5 डायबिटीज़ का असर उन लोगों में ज़्यादा देखने को मिलता है, जिनका वज़न कम है.
24 अप्रैल 2025 (Updated: 27 अप्रैल 2025, 07:51 PM IST) कॉमेंट्स
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आपने टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ के बारे में सुना होगा. टाइप 1 डायबिटीज यानी वो डायबिटीज जो कम उम्र में हो जाती है. बचपन में ही. टाइप 2 डायबिटीज एक उम्र के बाद होती है. लेकिन, अब डायबिटीज के एक नए टाइप का पता चला है. इसका नाम है, टाइप 5 डायबिटीज.

डायबिटीज के इस नए टाइप के बारे में बताया गया वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ डायबिटीज 2025 में. इसका आयोजन करता है International Diabetes Federation यानी IDF. डायबिटीज के इस नए टाइप के बारे में और जानकारियां इकट्ठा करने के लिए एक ग्लोबल टास्क फोर्स बनाई गई है.

अनुमान है कि टाइप 5 डायबिटीज से दुनियाभर में 2 से ढाई करोड़ लोग प्रभावित हैं. खासकर एशिया और अफ्रीका में रहने वाले.

लेकिन, टाइप 5 डायबिटीज है क्या? इसके लक्षण क्या हैं? ये हमें बताया अमृता हॉस्पिटल में एंडोक्राइनोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर मोहित शर्मा ने.

Dr. Mohit Sharma - Amrita Vishwa Vidyapeetham
डॉ. मोहित शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉक्टर मोहित कहते हैं कि टाइप 5 डायबिटीज का असर उन लोगों में ज़्यादा देखने को मिलता है, जिनका वज़न कम है. जिनके परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री नहीं है. और जिनमें टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण देखने को नहीं मिलते.

अगर किसी के खून में शुगर का लेवल बढ़ा हुआ है. लेकिन, उसमें इंसुलिन रेज़िस्टेंस का कोई लक्षण नहीं है. तो हो सकता है कि उसे टाइप 5 डायबिटीज हो.

इंसुलिन रेज़िस्टेंस यानी जब शरीर के सेल्स खाने को ठीक तरह से ग्लूकोज़ में नहीं बदल पाते. इससे खून में शुगर का लेवल बढ़ जाता है.

वैसे टाइप 5 डायबिटीज का पता सबसे पहले साल 1955 में चला था.  इसका सबसे पहला केस जमैका में मिला था. जमैका कैरेबियन समुद्र में मौजूद एक आइलैंड कंट्री है.

तब इसे J Type Diabetes कहा गया था. J यानी जमैका.

इसके बाद, कुछ और देशों में भी इससे जुड़े मामले देखे गए. खासकर कम आय वाले देशों में. जैसे बांग्लादेश, नाइजीरिया, भारत, इथियोपिया, कोरिया, थाईलैंड और युगांडा. 1985 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन यानी WHO ने इसे डायबिटीज के एक नए टाइप के रूप में मान्यता भी दे दी थी. तब इसे MRDM यानी Malnutrition-Related Diabetes Mellitus के नाम से मान्यता मिली थी. लेकिन, साल 1998 में इस मान्यता को वापस ले लिया गया. क्योंकि उस वक्त इससे जुड़े पर्याप्त सबूत और जानकारी नहीं मिल पाई थी. तब एक्सपर्ट्स का मानना था कि ये टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज का ही मिसडायग्नोस्ड केस है. यानी ये टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज में से ही कोई है, बस जांच सही से नहीं हुई है.

Making Life Easier and Smoother for Diabetic Patients - Hospital Magazine -  Leading Healthcare Magazine in the Middle East
अगर किसी के खून में शुगर का लेवल बढ़ा हुआ है. लेकिन, उसमें इंसुलिन रेज़िस्टेंस का कोई लक्षण नहीं है. तो हो सकता है कि उसे टाइप 5 डायबिटीज हो.

लेकिन, कुछ समय बाद रिसर्च ने साबित कर दिया कि टाइप 5 डायबिटीज, टाइप 1 और टाइप 2 से पूरी तरह अलग है.  

साल 2022 में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के डॉक्टर निहाल थॉमस, डॉक्टर रिद्धी दासगुप्ता और न्यूयॉर्क के एल्बर्ट आइंसटीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर मेरेडिथ हॉकिन्स ने इस कंडीशन के बारे में और रिसर्च की. उन्होंने डायबिटीज के बाकी टाइप और इसमें कई अंतर खोज निकाले. इस रिसर्च को डायबिटीज केयर नाम के मेडिकल जर्नल में छापा गया.

इस रिसर्च से पता चला कि जिन्हें टाइप 5 डायबिटीज है, वो इंसुलिन डेफिसिट हैं. इंसुलिन रेज़िस्टेंट नहीं. दोनों में क्या फ़र्क है, समझाते हैं.

देखिए, इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जो पैंक्रियाज़ में बनता है. इसका काम है, ब्लड शुगर को कंट्रोल करना. लेकिन, ज़रूरतभर इंसुलिन न बनने पर शुगर लेवल बढ़ जाता है.  टाइप 5 डायबिटीज में व्यक्ति का शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता. लेकिन, उनका शरीर इंसुलिन को पहचानता और इस्तेमाल करता है. यानी इंसुलिन रेज़िस्टेंस नहीं है. वहीं, इसके उलट टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन तो बनाता है. लेकिन शरीर उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता. इसे कहते हैं, इंसुलिन रेज़िस्टेंस.

टाइप 5 डायबिटीज उन लोगों को ज़्यादा होती है, जिनका बॉडी मास इंडेक्स साढ़े 18 से कम होता है. ये उन बच्चों में भी ज़्यादा देखी जाती है, जिनका वज़न जन्म के समय कम होता है. और, फिर जन्म के बाद उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिलता.

टाइप 1 डायबिटीज के उलट, टाइप 5 के मरीज़ों में वो एंटीबॉडी नहीं पाई जातीं, जो आमतौर पर टाइप 1 में दिखती हैं. दरअसल, टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है. इसमें शरीर की इम्युनिटी, पैंक्रियाज़ के बीटा सेल्स पर हमला बोल देती है. ये सेल्स इंसुलिन बनाते हैं. इस पूरे ताम-झाम में शरीर कुछ खास एंटीबॉडीज़ बनाता है, जो टाइप 1 डायबिटीज होने का इशारा होता है. मगर टाइप 5 डायबिटीज में ऐसी कोई एंटीबॉडीज़ नहीं बनतीं.

इस रिसर्च के छपने के बाद, साइंस मैगज़ीन ‘साइंटिफिक अमेरिकन’ ने 2023 में एक रिव्यू आर्टिकल छापा. जिसके बाद टाइप 5 डायबिटीज की और चर्चा हुई. और अब यानी 2025 में डायबिटीज का ये नया टाइप आपके सामने है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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