क्या होता है स्मॉग, सर्दियों में शरीर को ये कितना नुकसान पहुंचाता है?
अक्टूबर शुरू होने के साथ शुरू होने वाला है स्मॉग सीज़न. जानिए, इस बार स्मॉग की मार से बचने के लिए क्या तैयारियां करें.

अक्टूबर का महीना शुरू हो गया है. इसके साथ ही शुरू होने वाला है स्मॉग सीज़न. जल्द ही आसमान धुआं-धुआं होगा. प्रदूषण और कोहरे की परत कुछ मीटर दूर देखना मुश्किल कर देगी. आंखें जलेंगी. शरीर में खुजली होगी. ज़ुकाम-खांसी से लोग परेशान हो जाएंगे. सांस लेने में दिक्कत शुरू हो जाएगी.
हम आपको डरा नहीं रहे. बस आईना दिखा रहे हैं. हर साल यही तो होता है.
इस बार दिल्ली सरकार ने स्मॉग से निपटने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. सरकार को अपनी तैयारी करने देते हैं, हम भी आने वाले महीनों के लिए, स्मॉग से बचने के लिए तैयार हो जाते हैं.
चलिए फिर, डॉक्टर से समझते हैं कि स्मॉग क्या होता है. देशभर में स्मॉग कब से कब तक रहता है. स्मॉग से शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है. और, स्मॉग के नुकसान से बचने के लिए क्या तैयारी करें.
स्मॉग क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर उज्ज्वल पारख ने.

गर्मियों से सर्दियां आ रही हैं. हर साल इस मौसम में प्रदूषण लेवल बढ़ जाता है. इसके कई कारण हैं. बदलते मौसम में फॉग भी हो जाता है यानी कोहरा. कोहरा तब बनता है जब हवा में मौजूद नमी ठंडी होकर छोटी-छोटी बूंदों में बदल जाती है. प्रदूषण और कोहरे के मिक्सचर को ‘स्मॉग’ कहते हैं.
देशभर में स्मॉग कब से कब तक रहता है?-स्मॉग बदलते हुए मौसम और सर्दियों में देखा जाता है यानी अक्टूबर से जनवरी.
-इसी वक्त प्रदूषण भी ज़्यादा होता है.
स्मॉग से शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है?स्मॉग शरीर को ठीक वैसे ही नुकसान पहुंचाता है जैसे प्रदूषण. हवा में मौजूद पानी की बूंदें प्रदूषण के कणों को सोख लेती हैं. इससे ज़मीन के ऊपर एक प्रदूषण की परत-सी बन जाती है. ये कण सांस के ज़रिए फेफड़ों तक जाते हैं, जिससे उन्हें नुकसान पहुंचता है. इन कणों में न सिर्फ़ प्रदूषण होता है, बल्कि इनसे इन्फेक्शन भी होता है. जैसे वायरल इन्फेक्शन.
स्मॉग से आंखों, नाक, कान, गले, लंग्स, दिल को नुकसान पहुंचता है. साथ ही, जीआई सिस्टम और स्किन को भी नुकसान पहुंचता है. जीआई सिस्टम यानी वो सारे अंग जो खाना निगलने, पचाने, निकालने में मदद करते हैं.

इससे बचने के लिए वही तरीके अपनाने होंगे, जो प्रदूषण से बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं. बाहर निकलने से पहले मुंह पर मास्क लगाएं. अगर स्मॉग ज़्यादा है, तो बाहर निकलने से बचें, क्योंकि जैसे ही धूप आती है, स्मॉग कम हो जाता है. इस दौरान हवा थोड़ी साफ़ हो जाती है. इसलिए बाहर निकलना बेहतर है. जो लोग बीमार हैं, उन्हें रेगुलर दवा लेना ज़रूरी है. ख़ासकर वो दवाएं जो सांस लेने में मदद करती हैं. आप दवाओं की मात्रा को डॉक्टर की सलाह से बढ़ा सकते हैं, ताकि स्मॉग के नुकसान से फेफड़ों को बचाया जा सके.
स्मॉग, कोहरा नॉर्थ इंडिया में ज़्यादा देखा जाता है. क्योंकि देश के इस हिस्से में हवा की स्पीड कम हो जाती है और हवा एक जगह इकट्ठा हो जाती है. इस मौसम में पर्याप्त मात्रा में पानी पीजिए, ताकि फेफड़ों की अंदरूनी परत सूखे नहीं. अगर फेफड़ों की अंदरूनी परत सूखेगी नहीं तो बलगम आसानी से निकल जाएगा और फेफड़ों की सफ़ाई होती रहेगी. इसलिए पानी पीना है, मास्क का इस्तेमाल करना है. जिस समय स्मॉग ज़्यादा है, उस वक़्त घर से बाहर निकलना अवॉयड करना है. जो बीमार हैं उन्हें समय पर दवाएं लेनी हैं. डॉक्टर की सलाह पर दवा बढ़ा भी सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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