दुनियाभर में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल दवाएं काम क्यों नहीं कर रहीं?
जब किसी मरीज़ पर दवाएं असर करना बंद कर दें. एंटीबायोटिक खाने के बाद भी फ़ायदा न हो. तो इसे एंटीबायोटिक रज़िस्टेंस कहते हैं. दुनियाभर में एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. हर साल लाखों जानें जा रही हैं. ये सामने आया है World Health Organization यानी WHO की एक रिपोर्ट में.

रमेश की तबियत पिछले दो हफ़्तों से ठीक नहीं हो रही. दवाएं खाने के बाद भी. डॉक्टर को अलग-अलग दवाएं देनी पड़ रही हैं, इस उम्मीद में कि शायद वो असर कर जाएं. पता है ऐसा क्यों हो रहा है? इसके पीछे वजह है एंटीबायोटिक रज़िस्टेंस.
जब किसी मरीज़ पर दवाएं असर करना बंद कर दें. एंटीबायोटिक खाने के बाद भी फ़ायदा न हो. तो इसे एंटीबायोटिक रज़िस्टेंस कहते हैं. दुनियाभर में एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. हर साल लाखों जानें जा रही हैं. ऐसा खासकर उन देशों में हो रहा है, जहां रिसोर्सेस यानी संसाधनों की कमी है. ये सामने आया है World Health Organization यानी WHO की एक रिपोर्ट में.
इसे 13 अक्टूबर 2025 को जारी किया गया है. Global antibiotic resistance surveillance report 2025 को GLASS ने तैयार किया है. GLASS यानी Global Antimicrobial Resistance and Use Surveillance System. इसे WHO ने बनाया है. ये दुनियाभर में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटीफंगल दवाओं के इस्तेमाल और एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस पर नज़र रखता है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस सेहत के लिए टॉप 10 ख़तरों में से एक है. एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस को आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब है, जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट उनपर असर करने वाली दवाओं के ख़िलाफ़ अपनी खुद की इम्यूनिटी पैदा कर लें. जिनसे एंटीवायरल, एंटीबायोटिक जैसी दवाएं बेअसर हो जाएं.
इसकी वजह से साधारण-से इंफेक्शन भी आसानी से ठीक नहीं होते. जैसे सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट या पेशाब का इंफेक्शन. अनुमान है कि एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस, दुनिया में मौतों की बड़ी वजह है. खासकर उन देशों में जहां का हेल्थकेयर सिस्टम कमज़ोर है.

साल 2021 में साढ़े 11 लाख के करीब लोगों की मौत एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस से हुई. यानी उन्हें बैक्टीरियल इंफेक्शन हुआ. लेकिन उन पर एंटीबायोटिक्स काम नहीं कर पाईं.
साल 2023 में दुनियाभर में हर 6 में से 1 इंफेक्शन पर एंटीबायोटिक काम नहीं कर पाई. पेशाब से जुड़े हर 3 में 1 इंफेक्शन पर दवाएं बेअसर रहीं.
6 में से 1 ब्लड इन्फेक्शन पर दवाओं ने काम करना बंद कर दिया. ब्लड इंफेक्शन्स बहुत गंभीर माने जाते हैं. इनकी वजह से मरीज़ के अंग काम करना बंद कर देते हैं. मौत तक हो सकती है. ICU में भर्ती होने वाले ज़्यादातर मरीज़ों को ब्लड इन्फेक्शन होते हैं.
पाचन तंत्र से जुड़े हर 15 में से 1 इंफेक्शन पर भी दवाओं ने काम नहीं किया. खासकर 5 साल से छोटे बच्चों में.
अब सवाल आता है कि क्या हम एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस से बच सकते हैं? इसका जवाब दिया मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर एंड इमरजेंसी डिपार्टमेंट की क्लीनिकल डायरेक्टर, डॉ. पूजा वाधवा ने.

डॉक्टर पूजा वाधवा बताती हैं कि अगर आप चाहते हैं कि एंटीबायोटिक्स आप पर असर करती रहें. तो एंटीबायोटिक्स तभी खाएं, जब डॉक्टर कहे. दवाएं उतनी ही डोज़ और दिनों तक लें, जितनी डॉक्टर ने बताई हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से एंटीबायोटिक्स खरीदकर न खाएं. अगर एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट्स दिखें या आप इन्हें सहन न कर पाएं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
साथ ही, अपने आसपास और खुद की सफाई रखें. अगर आपको खांसी-जुकाम या कोई इंफेक्शन है तो घर पर आराम करें. बाहर निकलने से ये दूसरों में भी फैल सकता है. खांसते या छींकते समय रुमाल का इस्तेमाल करें. अपने हाथ साफ रखें. खाने का सामान ढककर रखें और सही तरह से खाना स्टोर करें. खाना खाने से पहले हाथ ज़रूर धोएं. ऐसा करके आप खुद को इंफेक्शन से बचा सकते हैं. कुछ इंफेक्शंस से बचने के लिए वैक्सीन भी मौजूद है. बच्चों और बुजुर्गों को ये वैक्सीन ज़रूर लगवानी चाहिए. इससे न केवल इंफेक्शन, बल्कि गंभीर कॉम्प्लिकेशंस से भी बचा जा सकता है.
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