जिम में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करना ज़्यादा बढ़िया या कार्डियो? फिटनेस एक्सपर्ट ने सब बता दिया
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में स्क्वाट्स, लंजेस, पुलअप्स, पुशअप्स जैसी एक्सरसाइज होती हैं. वहीं कार्डियो में तेज़ी से चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना और तैरना शामिल हैं.

चर्बी घटानी है. कार्डियो करूं या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग? मसल्स बनानी हैं. कार्डियो करूं या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग? जिन लोगों ने हाल-फ़िलहाल में जिम जाना शुरू किया है, उनके मन में यही सवाल आता है. कार्डियो या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, आखिर बेहतर क्या है? कोई कहता, जमकर कार्डियो करो. कोई बोलता, भई! स्ट्रेंथ ट्रेनिंग बेस्ट है. लेकिन इन एक्सरसाइज़ेस को करने से होता क्या है. वर्कआउट का कौन-सा तरीका क्या फायदा पहुंचाता है. ये जानेंगे आज सेहत के इस आर्टिकल में. डॉक्टर से समझेंगे कि कार्डियो क्या है, इससे क्या फायदा होता है. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग क्या है, ये क्या फायदा पहुंचाती है. हमारे बॉडी टाइप के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो में से क्या बेहतर है. और, इन्हें करने का सही तरीका क्या है.
क्या है कार्डियो और इसके क्या फायदे हैं?ये हमें बताया फिटनेस एंड परफॉर्मेंस एक्सपर्ट कुशल पाल सिंह ने.

कार्डियो यानी कार्डियोवैस्कुलर ट्रेनिंग या एक्सरसाइज़. ऐसी कोई भी एक्टिविटी, जिसमें हार्ट रेट बढ़ता हो या कहें कि सांस फूलती हो, वो कार्डियो है. कार्डियो में दिल और फेफड़ों को ज़्यादा काम करना पड़ता है. जैसे तेज़ी से चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना और तैरना.
कार्डियो से दिल और फेफड़ों के काम करने की क्षमता बेहतर बनती है. आपका स्टैमिना और एनर्जी लेवल बढ़ता है. ज़्यादा कैलोरी बर्न होती हैं. वज़न घटाने में मदद मिलती है. ये स्ट्रेस और मूड दोनों को बेहतर करता है.
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग क्या है और इसे करने के क्या फ़ायदे हैं?स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का मतलब है मांसपेशियों को किसी फ़ोर्स (रेज़िस्टेंस) के खिलाफ ट्रेन करना. इस रेज़िस्टेंस को वेट्स के ज़रिए पैदा किया जाता है. वेट्स में बारबेल, डंबल, रेज़िस्टेंट बैंड और खुद का बॉडी वेट शामिल हो सकते हैं.
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में स्क्वाट्स, लंजेस, पुलअप्स, पुशअप्स जैसी एक्सरसाइज होती हैं. इससे मांसपेशियां और हड्डियां मज़बूत होती हैं. मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है, जिससे शरीर ज़्यादा कैलोरीज़ बर्न करता है, भले ही आप आराम कर रहे हों. बॉडी शेप, पॉश्चर और शरीर का बैलेंस सुधरता है. उम्र बढ़ने पर मसल लॉस और कमज़ोरी होती है. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग इसे कंट्रोल करती है.

ज़्यादातर भारतीयों में दो बातें आम हैं. पहला, मसल मास का कम होना. दूसरा, शरीर का फैट खासकर पेट के आसपास जमा होना. अगर आप सिर्फ कार्डियो करेंगे, तब वज़न तो घटेगा. लेकिन साथ में मसल लॉस भी होने लगेगा. मसल मास कम होने पर मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है. इस वजह से वज़न दोबारा बढ़ जाता है.
सबसे अच्छा तरीका है कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो दोनों करें. एक हफ्ते में दो से तीन बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें. वहीं तीन से चार बार कार्डियो ट्रेनिंग करें. इससे आपको सबसे ज़्यादा फायदा पहुंचेगा.
एक्सरसाइज़ करने का सही तरीकाकौन-सी एक्सरसाइज या वर्कआउट करना है, ये आपके फिटनेस लेवल, लक्ष्य और पसंद पर निर्भर करता है. आप किसी फिटनेस एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं. एक अच्छे वर्कआउट में कुछ खास चीज़ें शामिल होती हैं. जैसे मोबिलिटी, स्टेबिलिटी, वॉर्मअप, कूल-डाउन, कार्डियो और स्ट्रेंथ इत्यादि. रोज़ वर्कआउट करना, पर्याप्त आराम और सही पोषण आपके फिटनेस को बेहतर बना सकते हैं.
एक्सरसाइज़ कोई भी करें, बस ये ध्यान रखें कि आपको इंजरी न हो. हर एक्सरसाइज़ को ट्रेनर की देखरेख में करें. साथ में, ज़रूरतभर आराम भी करें, क्योंकि एक्सरसाइज़ के साथ-साथ खुद को आराम देना भी बहुत ज़रूरी है. जब आप आराम करते हैं. सोते हैं, उस वक़्त आपकी मांसपेशियां खुद को रिपेयर करती हैं. जो चोट लगी है, उसकी मरम्मत करती हैं. इसलिए एक्सरसाइज के साथ, आराम भी ज़रूरी है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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