सलमान खान की तरह किम कर्दाशियां को भी ब्रेन एन्यूरिज़्म, ये होता क्या है?
किम कर्दाशियां और उनका परिवार The Kardashians नाम के शो में नज़र आ रहे हैं. इसके टीज़र में किम ने बताया कि MRI स्कैन में डॉक्टर्स को उनके दिमाग में एक छोटा-सा एन्यूरिज़्म मिला है. इसकी वजह वो तलाक के बाद हुए स्ट्रेस को बताती हैं.

किम कर्दाशियां. इनका नाम आपने ज़रूर सुना होगा. ये Americal Television Personality और Businesswoman हैं. इनके परिवार पर बना रियलिटी शो Keeping Up With the Kardashians काफी पॉपुलर हुआ था. अब किम और उनका परिवार The Kardashians नाम के शो में नज़र आ रहे हैं, जिसका नया सीज़न अक्टूबर में आया है. इसके टीज़र में किम ने बताया कि MRI स्कैन में डॉक्टर्स को उनके दिमाग में एक छोटा-सा एन्यूरिज़्म मिला है. इसकी वजह वो तलाक के बाद हुए स्ट्रेस को बताती हैं.
वैसे किम इकलौती सेलिब्रिटी नहीं हैं, जिन्हें ब्रेन एन्यूरिज़्म है. सलमान खान को भी ब्रेन एन्यूरिज़्म डायग्नोस हुआ था. ये बात उन्होंने ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ के तीसरे सीज़न में बताई थी.
ब्रेन एन्यूरिज़्म क्या होता है? ये कितना घातक है? क्या सिर्फ स्ट्रेस लेने से किसी को ब्रेन एन्यूरिज़्म हो सकता है? ये सब हमने पूछा मैरिंगो एशिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो एंड स्पाइन, गुरुग्राम के चेयरमैन डॉक्टर प्रवीण गुप्ता से.

डॉ. प्रवीण बताते हैं कि ब्रेन एन्यूरिज़्म दिमाग से जुड़ी बीमारी है. जब दिमाग में मौजूद किसी खून की नली में कोई उभार आ जाए. या किसी जगह पर वो गुब्बारे की तरह फूल जाए. तो इस फूले हिस्से को ब्रेन एन्यूरिज़्म कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब खून की नली किसी ख़ास जगह पर कमज़ोर हो जाती है. और, उस कमज़ोर हिस्से पर बार-बार खून का दबाव पड़ता है. नतीजा? वो कमज़ोर हिस्सा फूलकर गुब्बारे जैसा बन जाता है. अब अगर ये फट जाए तो ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग होने लगती है. व्यक्ति को स्ट्रोक पड़ सकता है. यानी ये एक जानलेवा कंडीशन है.
हालांकि ज़्यादातर ब्रेन एन्यूरिज़्म गंभीर नहीं होते. खासकर अगर वो छोटे हैं. अक्सर लोगों को किसी दूसरी बीमारी का टेस्ट कराते वक्त इनका पता चलता है.
किम कर्दाशियां के ब्रेन एन्यूरिज़्म का साइज़ छोटा है. इसलिए मुमकिन है ये गंभीर न हो. लेकिन अभी तक इसके साइज़ और लोकेशन के बारे में पूरी जानकारी नहीं है.
ब्रेन एन्यूरिज़्म आमतौर पर बिना किसी लक्षण के दिमाग में बनते रहते हैं. दिक्कत तब होती है, जब ये फट जाते हैं. ऐसा होने पर अचानक और बहुत तेज़ सिरदर्द होता है. व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता है. उबकाई, उल्टी आने लगती है. गर्दन में अकड़न होती है. कई बार व्यक्ति बेहोश हो जाता है.
40 की उम्र के बाद और ब्रेन एन्यूरिज़्म की हिस्ट्री वाले लोगों में इसका रिस्क ज़्यादा होता है. उस पर, अगर व्यक्ति का बीपी हाई रहता है. वो स्मोकिंग करता है. उसका लाइफस्टाइल खराब है, तो ब्रेन एन्यूरिज़्म होने का रिस्क और ज़्यादा बढ़ जाता है.

स्ट्रेस से सीधे तौर पर ब्रेन एन्यूरिज़्म नहीं होता. लेकिन इससे रिस्क ज़रूर बढ़ता है. कैसे? समझाते हैं.
देखिए, स्ट्रेस होने पर शरीर फाइट एंड फ्लाइट मोड में चला जाता है. इस दौरान, दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हमारे दिमाग में बहुत बारीक खून की नलियां होती हैं. जब बीपी बढ़ता है, तो इन नलियों पर भी दबाव बढ़ जाता है. अब अगर इनमें से कोई नली पहले से ही कमज़ोर है. या उसमें गुब्बारे जैसा उभार यानी ब्रेन एन्यूरिज़्म बना हुआ है. तो ये दबाव उस पर सीधा असर डालता है. ऐसे में अगर उस पर स्ट्रेस बढ़ जाए, तो एन्यूरिज़्म फट भी सकता है. इसके फटने से ब्रेन हेमरेज हो सकता है.
इसलिए स्ट्रेस और ब्रेन एन्यूरिज़्म दोनों से ही बचना ज़रूरी है.
ब्रेन एन्यूरिज़्म से बचने के लिए ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें. अच्छी नींद लें. रोज़ एक्सरसाइज़ करें. स्मोकिंग छोड़ दें. कुल मिलाकर, हेल्दी लाइफस्टाइल जिएं. अगर घर में किसी को ब्रेन एन्यूरिज़्म हुआ है, तो सीटी स्कैन और एमआरआई एंजियोग्राफी जैसे टेस्ट ज़रूर कराएं.
अगर ब्रेन एन्यूरिज़्म का टाइम पर पता चल जाए, तो सर्जिकल क्लिपिंग या एंडोवस्कुलर कॉइलिंग के ज़रिए इसे ठीक किया जा सकता है. सर्जिकल क्लिपिंग में ब्रेन एन्यूरिज़्म के एक सिरे पर मेटल क्लिप लगा दिया जाता है. जिससे उसमें होने वाला खून का बहाव रुक जाता है. वहीं, एंडोवस्कुलर कॉइलिंग में कैथेटर नाम के ट्यूब से एन्यूरिज़्म के अंदर कॉइल डालकर उसे भर दिया जाता है. ताकि उसमें खून का बहाव रुक जाए.
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