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दिल में थक्के जम रहे हैं, ऐसे पता चलता है

हमारे देश में होने वाली 31% मौतें दिल की बीमारियों की वजह से होती हैं. इन मौतों से बचा जा सकता है, अगर लोग दिल से जुड़े सिग्नल्स को इग्नोर करना बंद कर दें. दिल तभी सिग्नल देता है. जब दिक्कत हद से ज़्यादा बढ़ जाती है. इसी वजह से दिल में ब्लॉकेज बढ़ता रहता है और आपको पता नहीं चलता. नतीजा? हार्ट अटैक. असमय मौत.

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how to detect heart blockage its causes symptoms prevention treatment & important tests
हमारे देश में होने वाली 31% मौतें दिल की बीमारियों की वजह से होती हैं (फोटो: Freepik)
3 अक्तूबर 2025 (Published: 02:53 PM IST)
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फर्ज़ कीजिए, कोई इंसान 2-3 फ्लोर सीढ़ियां चढ़ रहा है. चढ़ते-चढ़ते उसके सीने में दर्द होने लगे. सीने के एकदम बीचों-बीच. दर्द बढ़कर जबड़े या कंधों में भी महसूस होने लगे.

अगर ऐसा हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और दिल की जांच करवानी चाहिए. क्योंकि, ये इशारा है कि दिल में ब्लॉकेज है, जो काफी बढ़ चुका है.

कई लोगों को सीढ़ियां चढ़ने, तेज़ चलने या भारी सामान उठाने पर सीने के बीच में दर्द होता है. फिर जैसे ही वो ये सब करना बंद करते हैं. बैठ जाते हैं, तो दर्द अपने आप ठीक हो जाता है. इसलिए लोग समय रहते इस पर ध्यान नहीं देते. मगर एक बात जान लीजिए, अगर ऐसा हो रहा है तो बात पहले ही आगे बढ़ चुकी है. ब्लॉकेज होने के शुरुआती स्टेज में कुछ भी महसूस नहीं होता. कोई लक्षण नहीं दिखता. इससे इंसान को पता ही नहीं चलता कि ब्लॉकेज हो चुका है.

chest pain heart blockage
2-3 मंज़िल सीढ़ियां चढ़ते ही सीने में दर्द होना दिल में ब्लॉकेज होने का लक्षण हो सकता है (फोटो: Freepik)

हमारे देश में होने वाली 31% मौतें दिल की बीमारियों की वजह से होती हैं. ये The Report on Causes of Death: 2021-2023 से पता चला है. इसे 3 सितंबर 2025 को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने जारी किया है.

इन मौतों से बचा जा सकता है, अगर लोग दिल से जुड़े सिग्नल्स को इग्नोर करना बंद कर दें. दिल तभी सिग्नल देता है. जब दिक्कत हद से ज़्यादा बढ़ जाती है. इसी वजह से दिल में ब्लॉकेज बढ़ता रहता है और आपको पता नहीं चलता. नतीजा? हार्ट अटैक. असमय मौत.

ऐसे में डॉक्टर से जानिए कि दिल में ब्लॉकेज क्यों हो जाते हैं. ब्लॉकेज होने पर पता क्यों नहीं चलता. दिल में ब्लॉकेज है या नहीं, ये पता करने का क्या तरीका है. अगर दिल में ब्लॉकेज हो जाए तो क्या होगा. और, इस ब्लॉकेज से छुटकारा कैसे पाया जाए.

दिल में ब्लॉकेज क्यों हो जाते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर अभिजीत जोशी ने.

dr abhijeet joshi
डॉ. अभिजीत जोशी, हेड, कार्डियोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल्स, पुणे

दिल शरीर का सबसे ज़रूरी अंग है. हम ज़िंदा हैं क्योंकि दिल लगातार धड़क रहा है. दिल तक खून पहुंचाना कोरोनरी आर्टरीज़ (धमनियों) का काम है. कभी कभी कोरोनरी आर्टरीज़ में कोलेस्ट्रॉल और दूसरे टिशू जमा होने से ब्लॉकेज बन जाता है. कभी-कभी इसमें कैल्शियम भी जमा हो जाता है. इससे दिल की मांसपेशियों तक खून पहुंचना कम हो जाता है और दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है.

दिल में ब्लॉकेज होने पर पता क्यों नहीं चलता?

हमारे शरीर में काफी कुछ झेलने की क्षमता होती है. कोरोनरी आर्टरी में 50-60% तक ब्लॉकेज होने पर भी शरीर उससे जूझ लेता है. इसलिए रोज़मर्रा के काम करते हुए हमें दिल से जुड़े लक्षण दिखाई नहीं देते. लेकिन अगर व्यक्ति ज़्यादा मेहनत का काम करे. जैसे 3-4 मंजिल सीढ़ियां चढ़ना या ट्रेकिंग पर जाना. तब दिल से जुड़े लक्षण दिख सकते हैं.

दिल में ब्लॉकेज है या नहीं, ये पता लगाने का क्या तरीका है?  

दिल में ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए कई आसान टेस्ट हैं. जैसे ECG यानी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, ये हमारे दिल की हालत दिखाता है. ECG से पता चलता है कि दिल में कहीं ब्लॉकेज है या नहीं. इसके साथ ही, ट्रेडमिल टेस्ट भी किया जाता है. इसमें मरीज को ट्रेडमिल पर 8-10 मिनट तक चलाया जाता है. फिर ECG के ज़रिए दिल की स्थिति देखी जाती है. सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी भी की जा सकती है. इस टेस्ट में नस पर इंजेक्शन लगाया जाता है. फिर कंप्यूटर की मदद से आर्टरी की स्क्रीनिंग होती है. इससे पता चलता है कि आर्टरी में ब्लॉकेज है या नहीं. फाइनल टेस्ट कन्वेंशनल एंजियोग्राफी होता है. इसमें हाथ या पैर की आर्टरी से होते हुए एक छोटा ट्यूब, दिल की आर्टरी तक पहुंचाया जाता है. फिर उसमें डाई डालकर आर्टरी को देखा जाता है. इससे पता चलता है कि आर्टरी में ब्लॉकेज है या नहीं.

जब आर्टरी में 60-70% ब्लॉकेज हो जाता है, तो शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं. तेज़ चलने, 2-3 मंजिल सीढ़ियां चढ़ने या वजन उठाने पर छाती में दर्द हो सकता है. यह दर्द सीने के बीच में होता है. कभी-कभी दर्द जबड़े, कंधों या पेट के ऊपरी हिस्से में भी महसूस हो सकता है. ये लक्षण चलते वक्त बढ़ते हैं और रुकने पर कम हो जाते हैं. इसे स्टेबल एंजाइना कहते हैं. कुछ लोगों में बैठे-बैठे भी छाती में दर्द शुरू हो जाता है. इसके साथ पसीना आता है, बेचैनी होती है. उल्टी जैसा लगता है, थकान लगती है. इसे एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम या हार्ट अटैक कहते हैं.

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दिल में कोई दिक्कत है या नहीं, ये पता करने के लिए सबसे पहले ECG यानी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम किया जाता है (फोटो: Freepik)
अगर दिल में ब्लॉकेज हो जाए तो क्या होगा?

कोरोनरी आर्टरीज़ हमारे दिल की मांसपेशियों तक खून पहुंचाती हैं. अगर किसी आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाए, तो उसमें खून का बहना रुक सकता है. इससे दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है. मरीज़ को हार्ट अटैक पड़ सकता है, जिससे उसकी जान भी जा सकती है. मरीज को सीने में दर्द, पसीना और घबराहट हो सकती है. कभी-कभी बीपी और हार्ट रेट भी लो हो सकता है. ऐसा होने पर जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचकर इलाज कराना ज़रूरी है.

अगर मरीज़ को हार्ट अटैक पड़ता है, तब दो तरह से इलाज किया जा सकता है. पहला इलाज है, प्राइमरी एंजियोप्लास्टी. इसमें मरीज़ की तुरंत एंजियोग्राफी की जाती है. अगर ब्लॉकेज होता है, तो उसी समय ब्लॉक को हटाकर दिल की मांसपेशियों को नुकसान से बचाया जा सकता है. इससे मरीज़ की जान बच जाती है. आगे चलकर होने वाली तकलीफें भी कम हो सकती हैं. 

इलाज का दूसरा तरीका थ्रंबोलाइसिस है. हार्ट अटैक में खून का थक्का हमारी आर्टरी को ब्लॉक कर देता है. थ्रंबोलाइसिस का इंजेक्शन पहले 3-6 घंटे में, चेस्ट पेन शुरू होने के बाद दिया जाता है. इससे खून का थक्का घुल जाता है और खून का फ्लो सही हो जाता है. बाद में ऐसे मरीज की एंजियोप्लास्टी या फिर स्टेंटिंग भी की जा सकती है. जान बचाने के लिए ये दोनों उपाय बहुत ज़रूरी हैं. लेकिन सबसे ज़रूरी है हार्ट अटैक से बचना. 

इसके लिए दिल से जुड़ी कुछ जांचें समय-समय पर कराते रहें. जैसे कोलेस्ट्रॉल टेस्ट, शुगर टेस्ट, ईकोकार्डियोग्राफी, स्ट्रेस टेस्ट और जरूरत पड़ने पर सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी. इसके साथ ही, ऑयली चीज़ें और फास्ट फूड कम खाएं. खाने में हरी सब्ज़ियां, ताज़े फल और स्प्राउट्स शामिल करें. रोज़ एक्सरसाइज़ करें. जैसे साइकिल चलाना, तैरना या 40-45 मिनट तेज़ कदमों से चलना. इससे दिल को फायदा पहुंचता है. अपने स्ट्रेस को मैनेज करना सीखें. इसके लिए ध्यान लगाएं या कोई हॉबी फॉलो करें. इससे आप रिलैक्स होते हैं और दिल की सेहत सुधरती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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